पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/७०९

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सोया पोरम सोता. मी गारोर पोरउपर मनागत होने यि माम. का . कोपर पामे मन में अपना. उस माममन्दर ! कार दर्गन, माच्छद गंगे हिमाम मेरो । | विशको शिर मानि योर ग्नानिका पन्तदान होता है। रोमा माममि मन्सार महापौर न्द्रिय __ चरम पामा शहर पो मार विशति टेषित मनापमान विनाग, फर पग्नि पोर . मोमधातु माय गमम करमी। पातरियो रोगीको गोमन, यासका पर रम और रमाथित होममे माय मस्वरमें उनकर उभगनसणाझान्त स्वर में गोल पोर मोम, पुरानी प्रशाकीरदात है। मंद पोर पस्थिगत होने पर क.माध्य तया एकमत . कोमे पमाध्य हो जाता है। पत्वमा पमादाह. धक पियामा मनाप, बाम, दीप चा मसटीचा मानिगरिक, फुलियो भर. मगिया- पोर महिने पोका समगा, रम पनुगत हो कर मस्याममे मोठम्य पग्निशा निराम तयारम पार मन नियः, ये म प्रसवंग बरके | पूर्वक पम्निको उमा दाग देशका पन पढ़ा कर मोमी. मा को रोक देते हैं : पोले ममाम देशम घर पर प्रथम । पत्यना याराना, टमा, प्रलाप, काम. भम, कर पत्यारा मन्ताप उत्पप करते उमममम मनुका मन्धि पोर पश्चिम वेदना नया मननिया पादिको मारा गरीर गरम हो जाता। पम्पसा ये यतिंगधार में नका।। ___ नूतन वरम मायः पग्नि पपने स्थान में स्थानालारित पामागयी हो घरको तरपति होती है। पाएय हो जातोपोर उममे स्रोत मन्द हो जाते हैं। मी ज्यर पुराना पराया मोंको देख कर गरोर के लिए रोगोके गरोग पमीना नहीं निकलता। लिए हितकारक न पाहारीय च पथया परत परुचि, प्रविपाक, अदरको गुरुता. उदयको पवि. दाग गरी एमालानी चाहिये। मदनन्तर कपाय: अहि. तम्या, पानम्य, पविभावरी मर्गदा दिन पाम. पभ्यासंद, पदेष परिपक, पनुलेपन, यमम. परका भोग, दोपौकी प्रति नानासाय. माम नियम, पायापम पनुपामन, उपगमन, नस्यम, (जी महराना), धानाग, मुमा विभाद. गरी धूमपान, पनन पा धारभोजन पाटि ज्या प्रकार स्तम्धता, सुप्तता, गुगता, मूवाधिल मर्म अपरिया । भदम य.याम्यविध्या नया गर्गरम पपोणता-ये मय पामगर मान ___वर स्यने र गोम गुरुम', दोनभाध उधा, गरोरम्य व धातुपोंकी ता. गरो मा . टाग, पायमाटयमन, प्रमि, गरोरा यहिभागमे । ग्यरकी मृदुता, दोपपत्ति (मनमूनादिका उम) उशाय, पापेटमा पोर भाई पाती। तया पटाइ भोग-ये निरामयर महर में। रव श यरमें रानि र विकाहगा, पुन: पुनः | नाम दियानिद्रा, ग्राग, सभ्य, गुरु पोर . गुममरत या दाह, मगर रमा, भR. In पधिक भोजन, मेगुन, बोध, प्रथम यागु वा पूर्व दिगाको पोर प्रभार EिRोमा । यागुफा मेनन, श्यायाम पोर काय पदार्थ का मेघन मामा मन्या पसर या मोर, नागि, फरमा कोइ देना चाहिये। पोमार, मोर दुगंभ और पतिरोता ! चय, निरामयायु, मय, क्रोध, प्राम, गोक पैर ___घर मदाय मी त्या पमेर, विमा. मनाप | बरियम- मिया न्याशिमो कारण पर सोना पति मुकदुग्न्य समरि ग्नागि पोर पधिपायाम करना चाहिये। पयाम महायोगे , परमो. निसगे गरी प्रधिक दुनमको एमापयाम कर मिगत परम विभ, पम्मेिदारमा गाहिये: inरमें मोमेनिकिका ' पण, निरपर माम पाया । शिमीमकारका गुरुमी मिन मा ।