पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/७१६

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होनमे विय घौर विजयी विकिरमा करनी चाहिये ।। प्रम पार पानीय पाहिदाग जीतज्या गोघ्र मानस होता इममें मगधाका काय दिया जाता है। नीम पोर है। पर्यादि मनगान मे गोतम्वरकी गोर गान्ति देवदारका साथ या मालतोपुष्पका काय भो मेव होतो। नीय है। ___मस-धीस वृत अथवा चन्दनादि तेल लगानमे - पपायो व्यक्तिको पानाहयुक्ता बर होनमे मदिरा दाहयुत वर गाना होता । मधु, काली, दूध, दही, और मां रमका मेयन तथा बुखार पयवा वापरीगोका ची पोर जन द्वारा मे कने तथा ममें अपमान करनेमे बुखार. सतण विकिमा हारा गान्त होता है । | दारवर गोकरी उपगित होता। पायन्त दाहाभिभूत पानाम, अभिन्नपित बन्नुका नाम, वायुका प्रगमन | होनि पुकरपत्र, पायल, नीलोत्पन्नाव कमनपत्र पोर तथा हर्षक धारा काम, शोक और भयजनित चर निम नतीम (रेगमो) यसमें चन्दनोदफमा रमेक फर शान्त हो जाता है। उसमें, अयया हिमजनमिन या गोगनार यह सण. काम्य और मनोजवम्नु, पित्ता निकित्सा पीर सहाय } शयन, चन्द गोटफ द्वारा समोसन मवर्गः, गा मान हारा गोत्र ही कोजनित बरको शान्ति होती है। मणि नीर मा सना म्पा: मनोन सन्धि पुप्प कामजनित वर क्रोधके द्वारा पीर क्रोधजनित | मान्य धारग, चन्दनोद कयो गीतवानायर टाल, ज्वर, कामकै हारा या काम पोर क्रोध रन दोना । पन पोर सानहाना पाद डाग यजन करें। मरन, हाग भय पोर गोफ जनित ज्वर नट होता है। चन्दनति और मणि मुलादि स ट पनवागमे पर जो बुदार मय पोर उसके वेगको चिन्ता करते न मियकामिनों के म्पर्ग मे मा दाइबर जाना की ज्वराकास होता है। उम यशिका वुवार पमिनः । रहता। पित पौर विचित्र विषय हारा उक्त कान पोर येविषय मधु पोर फेनायुत निम्मपत्रिका जनपिना फर यमन म्म निकै नट होने पर नियत हो माता है। 4राने में दाद प्रान्त होता है। माधोत धी गुपड़ कर । चरम पदानुमार गीताल अभ्यप्रदेह पोर, कोन पोर पिने के माय अथवा शुकधान्यकी कांशों के रिपे ; तथा मौसज्या उगा प्रभ्य प्रदे घोर परि. माय ययगमा नेपन करर्गम पयया पनाग पत्ताको पंकका प्रयोग किया जा मनाता है। फफजन्य और अम्नमें पोग और फैट कर या बटोपशम पार निम्ब- वायुजन्य उधरमें रोगो यदि गीत मारा पीड़ित की, तो पत्रको फैट कर जपा प्रदेश प्रयोग या मेपन करनेमे हम शरीर पर उगवर्गहा लेप देना और उस दाम, रज्या पोर मुहाको गानित ोतो है। एक पाय कार्य की विधिय है। पिदुपा कानी, गोमूव पार बात यव, पारताले मीठ और एक मापन प्रमा उनको दधिमगर गेयन करमा चाहिये । प्रथया पनागडे मिन्ना कर एकप्रम्य तेन पाक करें। याद तम यर कनका निपन या ससा, सुलगो पोर मरि जना बोल दारको गामा रता है। योगादिगा या काकोम्पादि. रना एकत्र या इम पीर पर करना उचित है। गाय पश्या उत्पनादिगणको पोम कर मेपन करना भाय चार पर न लगाना चाहिये। म पवम्याम चाहिये । गलका काय पोर म माय लेन पक पावादिगा काय विशेष दिनकर है। बात का हमको मानिम की वा हमकी या कर देवपण कायम ययगारन करना चाहिये। ग, उममे दादास रोगोत्रो प्रयगान कवि। 4 यारा सा मुनीण जम मेमन द्वारा जर समय मेने पर जान और उपयाम, दिमे मात नियारण करार पर प्णागुर जैपन करमा, मेक, प्रने पर मंगमन सोपा मॉम और मटन • नाहिये। यो पयोममम्मवा पीनम्तनो प्रमदा पारा निभे विरमग पोर नाम एवं पम्पि पोर मध्यागत गाद मागिन कराना नाहिये। रोगोका गगेर होन/ धोने में निरूप पोर पनुयासन प्रदान करता पित। पर ममीको पटा देना चाहिये। यात महर मेद भुगारको गामि दिए पोपन, पन्द्रयव पाया