पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/७२०

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धवर मकता है। यातानेमज्वरम बंद प्रदात करनेमे प्रोम | मोठ इनको ममान भागमे झागमूय द्वारा पोम कर समूहमें मृटुता घोर अग्नि अपने प्रागयमें पासोहै। चांपोंमे मगानमे विदोषन ध्याकान्त दिनों भो वातवरम पाग्य वेदना पोर गिरोघटना होने पर गोवर | चेतनता पा आती है। तथा कण्टकारीमाधित रखानि तण्डलकत पेया पीना . भागन्तुक व्यरमें नाम नहीं कराना चाहिये। पाहिये। काग, ग्राम वा हिनको होने पर पञ्चमुनो- वाय, वन्धन, थम, धादिमे गिर पड़ना पादि कारणाम माधित यया पिलाना अच्छा है। होनघाले घरमें मवमनः दूध पीर मामरमयुर पम चतुर्मदिका धीर पटाकायले एक मेघनमे भिक धारा चिकित्सा करना विधेय है। पथपर्यटन के कारण ज्वर शान्त होता है। बुखार सोनम तेनको मालिम पोर दिनको मौनः पञ्चकोन, पिप्पल्यादिकाध, चिरायमादिमाय, दशमूमो । चाहिये। गोपधिगधज वरको समं गन्धसम काय द्वारा साथ पादिक मेवन करनेमे यातयोपिक ज्वर नट निवारण करना चाहिये। महदेवाकी जद विधानानु होता है । म घरमें वालुकास्त्र का प्रयोग किया मार गठमें धारण करनेमे चार दिन के भीतर भौतिक जा सकता है। र नर हो जाता है। अमृताटक. कण्टकार्यादिकाय, नागगटिकाय, कटकी। माकन लिखा है कि, पान प्रकारका विपमम्बर कस्का पाटि पित्त पञ्चानागक है । प्रायः माविपातिक होता है। पूर्णामिवित मन्ततादि विटोप वर में प्रथमतः कफनायक औपधादिका । पाच प्रकार के विषमज्वरी के मिवा पन्य चातुर्य कका प्रयोग करें। ग्लेमा प्रमित होने पर स्रोतमा परि । विपर्याय 'चातुर्य कविपर्यय' नामक पर भो पिम. शत हो जाता है, गरीर एनका होता पोर प्याम मिट | ज्वरमें गिना जाता है। यह स्वर पम्यि पोर मशागत जाती है। कोई कोई मनिपात ज्यामे पहले पित्त दोषोंमे उत्पन्न होता है। यर व्यर मध्यमें दो दिन प्रशमित करने की व्ययम्या करते हैं। म स्वामें समान, होता है, पादि और पशिम दिनमें नहीं रहमा । यो घालुकावंद, नम्य. निष्ठीयन (कफ निकालना ), प्रयलेह ज्वर मध्यम एक दिन हो कर पाय पोर गेप दिनमें पोर पञ्जनका प्रयोग किया जाता है। यिमुक्त होता है, उमको "टनायक विपर्यय' कहते हैं। मुगुममें लिया है कि. मात. दावे, प्रयया धारह पिमधरम पित्त दूषित हो कर फोटेगम तथा 'दिनमें मविपास वर पुनः गर्दिन को कर या तो डा. कफ दूषित हो कर हाय म टएमे रोगोका मगर गामा होता है या गोको मार डालता है। गरम पीर सायपर उगई हो जाने कफ कोटदेगम मविपात बम जिमको पिपामा, वेदना और पीर पित्त हायरमें रहे मो गरीर गोतन बार हायर नातु-गोप होगा है. नमको किमी हालत भी प्रयत गरम हो जाते हैं। मोतन मन नहीं पिलाना चाहिये। जिम विषमज्वाम गरीर भारी पोर पोग भरा दमूल, हाटगात्रा घटादयान त्यादि काय भवन पामा मान म पड़े सय मदा याहे पेग माय मर करनेमे मनियात वर उपगमित हो सकता है। मत. पम्पिति करे पोर ठाडामान म पड़े, उमझो अनेक मनोयनीयटिका, विनेवरम, भस्मेवारमा पग्निकुमार विषमज्वर की रम, पमतादियटिका पादि प्रौष मविपात याको ____ममो सरहका 'विषमयर विदोपर प्रशोयमे नट मारनयामो है। होता! पा चिश्मिा उमी दीया करनी चाहिये पटादिकाय, योगरामाध, शादिकाय पादिका निकी प्रधानता विषमयानेको घमन गिरे. पायथापिीपी प्रयोग किया जाता है। चनादि दारा मोधन कर गिग्ध और अपचया . रियमो, मरिन, गच, मभय करनधोड, धस्तर पानीय मेधन कग कर ज्याकी ममता कमी वारिये। वीर, पायमा, घर, बड़ा, मफेद मरमी, fer, or मोरका काढ़ा, दुमतारम, पोदिलाय. रा