पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/७४०

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ज्वर ६०० ... ३, कभी कभी उदरामान और उदरामय होता है। दिन माड़ोस म्पन्दन १२० १६० र सर जोता है। . मलका वर्ग सफेद होता है। मन निकलते समय पर बढ़त ममय रोगो नि मस्तक में बेदनाका गु. नहीं गिरता। भय करता है। जिसमासीर ३म किनारे ४. गरोरम फुन्मियां नहीं निकलती। दांत निगान दोबन से। एएसका गगैर विशेषतः धोन:पुमिक-स्वर (Relapsing)-यह स्वर खपः । मुखमगइन पोना रो जाना है पोर घरत पमीना काल स्थायो होता है। कभी दिन और कभी मातदिन निकलता है। रासाय प्राय: नाहः सोमा । म मा नका रहता है । इमलिए अंग्रेजोम रसको short fever, मात दिन मामा वर उपगात हो जाता. किना five or sevendrays fever अथवा cinocha का ४ दिन सप्तमत्तणीक माय पुनः ज्वर पाता है. तोन है। यह व्वर लगातार ५मेदिन तक रहकर मम्म.. दिनमै ज्यादा न ठरता ! २१वें दिन रोगो पुनः रूपमे विच्छेद हो जाता है, किन्तु चौदवें दिन पुनः । वराक्रान्त होता है । मस्तिक वा पान्टिक की भांति प्रकट होता है। पुनराकमणके उपराना सोमरे दिन इसमें भो किमी प्रकार का टट दृष्टिगोचर नही पोता. ज्वरका विराम होता है, तश्मे रोगी आरोग्यनाम क्षरता मिर्फ गरीरका मा पार पंगाय पना हो जाता है। रहता है। कोई कोई कहते हैं, यह स्वर विल्कन मंकाः जिला सगवर्ष मनात पीर गुष्क होने पर पीडाको मक नहीं है, तथा कोई कोई ऐसा कहते हैं-यह मर | गुरुता ममझमा धारिये । यह तक कामको कि यह फनी कपके हारा या -इस स्वामें पधिक उपमर्ग नहीं होते। गरीर में प्रविष्ट होमकता है। प्रायः देखा जाता है कि कभी कमो निमोनिया, प्रगटिग प्र.मि पाहिमाम जो लोग म रोगीक वसादिधात है. ये भी उस प्रवरसे | यन्त्र सम्बन्धी गेग उपमगंगामे दिशा देते। हम पीड़ित होते यावर्ताका मत है कि, प्रभाय पोर दार रोगम गर्भवतो स्त्रियाँ गभ पात भनेको मभावना द्रताके कारण ही एम रागको घरपशि होतो। पोमः | होता हैबहुतमी गर्भवती सियां म स्वरमे पाहिन • पुमिकबर Typhus fever की तरह मश्रामक है। हो कर मत मताम प्रमय करता 1 वाटने पर इम ज्वरये एक वालि घार बार पाझास होता है। यह मूखी पातो नया उB ममय मरने का विशेष भय ज्या गोषही देश भरम फेम आसा है। थोड़ी एम. रहता है। वालों को ही यह पर होता है। म उमरमें फीमदो पांच पादमो म मारी । लक्षण-म व्यरको पूर्वावस्याम विगैप कोई नशा रोगो का पैगाम पूरी तरह न होने फार मका मही दोपते, महमा एक घटेके पदर गेगी विस्कल ययतारा (ura) के माय मिथित होता है, -निष्ट हो जाता है परन्तु कमो कभी जर पाने पाने जिममे रोगीको मूो पा फर उमई प्राण मे मेतो। गीत, कम्म, मस्तक पोर पीठ में दर्द, काममें मनः | निमोनिया रोग उपमर्ग दपमें मोज़ाद रह कर कमी कभी झनाहट मादि क्षण उपस्थित होते हैं। पोन:पुनि मृत्य का कारण ही लाता है। परम मुखमादन लाम मोर शरीरका पमड़ा गरम हो शिकणा-माधारणतः दरिदमा पोर पभाजी साताबर होमेके बाद तोमरे दिन भो सभी पोन:पुनिक ज्यरका कारण ममिल मरमे पामे पाकायम पसरदता पनुभूत हो वमन होता है, कोट उमका निराकरण करना चाश्मि ग्याम भीपध प्राय: गइ रहता है, कमो कामी पतिरिम जमीय दृष्य | मेघनका रिमेय प्रयोजन नी । बस अकरा होनी मेयन फरनमे भी दरामय होता है। इस समय पारा पोप देनी पारिवारिक मनापी पि धोना गरीर पीने से हर कोनासा... शिमा प्रम मी. मज्यरका एक प्रधान RECEI म मिरपाई का काम नहीं होता। गौथे दिन परको हीि मरिया पर मिए प्रिम घोपा सरता कामाई पारीरिक माय 'डियो को जाता है। पर, उमीका मेयरमा शहिये । पर मिल पाने Vol.VIIL.110