पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/७४४

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६८८ उया प्रयया पतिशय दाता बाद कुछ पमोना निझ रहती । पीछे मुग्व यो पत्यमा म कुषित, नको पूर्ण लता है। नाही हत, दुवंम पीर पनियमित मया भो। हरि नट, मारमान पित, for अध्यन समस. मी गेगोको पपी. पाती है। प्रथमावस्या । foपामा धन्यमा यहि पोरोन सरा में भारत किमो किमो रोगीको पनि चोर गरीरको रमही पोनो। वमन होना। मन ममय निारा पनि र रोगी हो जाती है तथा रोगो पित्त वमन करता है। पताल पवमय पा जाता है. उमका नियाम हल्दो साधारणत: यह पर रातको ही प्राता है। कंपकंपी. मल्दो चन्ता तथा म मप्रमाम र ममय एक प्रकारका के बाद रोगीक गरीरमें अन्वत उदोपना होती है। गम्द होता है। गार गोता. पवना पी पीने मस्तक, चतुगोलक, पीठ प्रादि या प्रत्यगामि वेदना | लदबद हो जाता है। मायुकान गिमो किमो मेगका पौर जहास्थिहिन्बम हींदन पड़ता है। गगी चित्त पत्या वेदना पार पासपता , मया कोई कार मोना मन्द करता है। विस्तु उममे पपनको राम्ध रागी मावधानोम मर जाना है। नहीं समझता। मुग्न अत्यन्त माल और स्फोत, पण म रोगके भी मान मर्यटनी से। लाल, स्फोत और भाराकास तया चनुक सारे मानो | माधारणतः पीतायर तीन प्रकारका होता । -१ प्रदा. याहर निकले पा रहे है-ऐमा मालूम पड़ता है। हिक, २ पायमादिक और ३ माहातिक। मेव गावचम प्राय: उपौर शुक रहता। नाड़ी हम व्यक्तियों को प्रदाधिक ( Inflammatory ) नया संप पौर म कुचित हो जाती है. गरीर अत्यधिक गोतम व्यक्तियोको पासमादिक (Ailynamiri पोरग्यर गोता होगे नाडोको गति निताना मृटु होती है। जिन्द्रा है। प्रटासिकौ पत्यधिक उद्दोग्गा पार गग गोपी स्फोस और बेतवर्ण मन हारा पाहत होती है। पम | माहानिक को STAT *। पाश्मादिर में गाडीकी गति ममय वमन नहीं होता, किन्तु कोठयहता होतो।। धीर. गरीर गौसम और अपना को आता मया गी मानमें भी कुछ विमरणता हो जाती है। १२१३ घंटे १५ दिनमें प्रधान हो जाना मसालिक Ar मी पस्या रसतो है. यादमें हितोयावस्था प्रकट होतो पहनेहोम मयुषप्तमा मानम पड़ने मग | R है। म पस्या में गागरिक ठहोपना पिपाटमें परिणत पयाय में रोगो म य: प्रोसा नहीं इसमें नी २४ घंटे है कोजाती है: मुग्न पल्पना चिन्ता यम्त मा मानम पड़ता पन्दर मर जाते हैं। पोरग्यागियों में पhिain है। कुछ पोन', सामगनामिकामदेग और मुपः मर हो जारी है। यह पनि शुरु शेता वियर पोनाको नाता रोग जितना बदमागी सब जितागो मरते, उता कुहिन शादी भी उतना हो पोला होता जाता रहे हो . नहीं माने। समग घुष पोर पनि मागतो पार रोगी भिव भिव मिगिट दोरता है। शिक्षा अधिक मरत है। 8.3. पौर २० शिपांग परिमाग पोतरा नया पयभाग पोर पागंदेग गफ | मध्यम्यिन प्रदेश रममा मोनाइन । मातिगोताग मोहिमयर्ण हो जामा है। पेट महापातो है प्रटेगर घर के पास पनीर। दशानेगे दर्द भो शेता। म मामय पायना दाद विमा-पीनध्याको विपक्षमा विषयों मका एक पोर मामा,यमन हा रस्ता । पगार यस थोड़ा। मत नहों । प्रधानतः प्रदानाकर पीर उसे कम पोला सोना है। गो प्रायः मा दोघंगाम घोड़ा दो उपायोका पयत गगरिया आना। पपम्याको करता है । गंग कटिन होने पर रोगो माममे विचार साया तो प्रदार नामक या अफा भग पापकी पासको गम निकलतो पोर मानकी पत्यास यि व्यवस्था करमा भाहिये। नाहन्द्रा और प्रभार मारभोमा। कभी कमी दारमागहोयाम मोपी विधि राध्यमित पोर प्रिया या रमगुटिका भी दिया। प्रनित को पालम मारन. पारः भार देती है। या, पममा दो दिम, मान, दिन तय किया जाता है। प्रवाहमा मायाप शेम वर F .. .. .... ..-