पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/७७

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... जयशलमेर ( बैसलमेर) स्विच शिवदेवको राजनौन छोड़ कर यवनों विरुद्ध : मनराव नमय गवनीपतिने लाहोर पर आर शुद्ध करने के लिए रवाने हुए । युद्दमें गत्र मारे गये। किया। इमो समय गानिवाइनपुर (मिशारकोट, वनराई गजनी प्रश्किार करने समय मौ ३. दिन: यदुपति हायसे निकल गया। मङ्गटावरे मन तर जिवटेदने युड फिश और इतने उन्होंने माझा : राव. कसरमि, मइरान, शिवगन, फन और ईवट . यनका पनु ठान किया। इस युद्ध में नौ हजार यादों के पुत्र घे गजनीपतिक आक्रमक ममय मात्र ने माप विमनन किये है। पालिवाहन इस दुर्घटना अपने नोट पुरको माथ ने कर जहनको तर मार बाद पञ्चाव दले गये। यह भूमिशीने उन्हें राजा गये । मन कर रहा । उन्होंने वि०म००२में शानिवाइन उनके अन्य पुत्र शालिवाहनपुरमें एक रजिन्द र . पुरको स्थापना को । उनके बारह पुव धे-वनन्द, रमाल, गुमरीतिने रपडे गये। यठोटाम नामक तज्ञ (तर) नोट, वन, रूप, मुन्दर, लेख, यमसन, निमा, मन, जानीय ए भूमिशने झा विजयो बबनराजशेयर मायु और यज्ञायु । मनोने एक एक स्वाधीन राज्य सुदर मनाई। इस मुमियाके पूर्व पुरुषों ने महि- स्थापन किया। राजके पर्व पुरुषों ने धन-सम्पत्ति होन नो यो इस वनन्द माय तोमरवं गौर जयपालको कनाका ममय यठोदामने उमोशा बदला लिया। विवाद हुपा। दिदीपति जयरानो महायतासे गालि गजनोपतिने बनिकको भाशा दो कि, मोन होगा वाइनन गजनोशा उद्धार किया और वहां जाठपुत्र : पुत्रों को वे उनके पाम भेन । मदागय पिकने उनसे वनन्ददेवको रख दोड़ा। मापरता के लिए कइला भेजा कि, 'मेरे घर में कोई मो शालिवाहन बाद वनन्दको पितृ-अधिकार प्राम राजकुमार नहीं है; ए भूमिया देश छोड़ वर माग हुमा। उनी अन्य भातायों ने पहाड़ पार्वत्यप्रदेश गया है, उमौके लड़के मेरे घर रहते हैं। परन्तु यरन प्राधिपत्य विस्तार ध्यिा । वन्द स्वयं ही राजकार्य रामने उन्हें उपस्थित होनेका प्रादेश दिया। इपिक उन देते है। उनके ममय यवनों ने पुनः गटनी पर प्रधि ! लड़कोंको दोन सपक मे में राजदरबारमें दे गये । कार जमानिया: बलन्द मात पुत्र घे-महि, मूति। यवनराजने मो जाट जातीय कृषकों को लड़कियों के बहर, जिन, मरमोर, महिपरेड और महाराव । भूपतिरे! उनका विवाह कर दिया। इस तरह कोरडे पुन्न पुत्र चश्तिम हो चकताई जातिको उत्पत्ति हुई। चकि- कलोरिया जाट, महराज और शिवराज वर मा. तारे पाठ पुत्र । देवसिंह, भैरवमिंह, हेमकर्स, नाहर, जाट और शिराबाट कइन्चाये ! फूलने नास्ति और जापान,धरसिंह. विवो और माह मम्मन्द । वनन्दन देवनने अपने कुम्भकार कहा घा, इसलिए उनके .. रश्तिशे गानोका मारित्व प्रदान किया। यवनोंने / वंशधर नापित और कुम्भकार हुए । गजनो विज्ञार कर शिनने कहा-'यदि तुम हमारा! सरको सो बनिर पाराका राजा महलरावने गहा जानने जा कर नदी पार होए है।सपा दक्तिने धर्म ग्रहप कर बनिच खा- नवराज्य अधिकार किया। उस समय यहाँ नदो किनारे राजै एक कन्याशा पादियइरा किया और उन विस्तो! वराह, मृतवनमें मूत, पूगनने परमार, धातने मोद और . राजा यह विश! उन्हावभावर प्रब चकितनो- दो नामक स्थानमें लोदरा राजौका दाम घा! . मोगन वा गाईमुपन नाममे प्रमिड है। चर्शितः। यहां सोदा गनमा माय मिन्न कर मानरावन के स्तमे कारने भो न्ने धर्म पवलम्बन किया था। निवि राय किया। महिको विधिकार प्राम पाइन्होंने इन उनके पुत्र मध्यमराव ( ममराय ) ने मोदा-राज वंश सपने को पटुमा राजपूत कहनेन्दगे। न्याका पाणिग्रह किया। इनके तोन पुत्र ये-यूप, . . महिराई दो पुत्र थे, मासराव और महरराव !'. नटराज पौर गोगटी। वैरने वधुत नगदमदा नट ..