पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/७९५

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२४ ___ • माँई-माँमा बड़ा सुन्दर नगता है या मरोवरके किनारे पोर बगीची झोखना (Eि क्रि०) जौना देखो। . . . . . . . में गोमा लगाया जाता है। पौर भी एक प्रकारका झोबर (हि. पु.) १ भसाड् । २ अरहर फेमस काट । झाऊ होता है. जिसके पत्ते ईपत् पारहिम, पति पुद्र के बाद रोतमें लगी हुई टो। पौर गुळवड होते हैं। इस तरह माजको नाल झोगना (हि. वि. ) टोलाढाला। झाल कहते हैं। ... झोजन (वि०सी०) मासन देयो। ' , एक प्रकारके झामे कशे पत्ते ईपत् सवणात झोजी-पामामको एक नदी । या नागा पर्वतके मोकोक- होते हैं। सुलतानके प्रामपामके दरिद्रगण नमक चुङ्ग स्थान के निकट निकल गियसागर जिलेके उत्तर बदले इम के पत्तों के पानोमे रोटी बनाते हैं। यहतो दुई ब्रह्मपुवमें जा गिरतो है। इसकी पूरी नम्बाई ____बहुत मे झामनोको डालियों में एक प्रकारके | ०१ मील है । शिवसागर पोर जोरहाट विभागोको झोमो कोड़े रह कर फनको तरह गुटिका उत्पन्न करते है। ये मोमा जैसी है। ग्रोम ऋतु में यह सूख जाती है। उता-- गुटिकायें माजूफल के समान और सिक्तगुणमम्मन होतो रेके ४ घाट है। इस पर प्रासाम-अङ्गाल रेलवेका पुन हैं। इस वृक्षको काल भी दोनों ही चो0 यस्तादि रंगने | बंधा है। पोर पमहा साफ करनेके काममें पाती हैं। सोचक झोझ (हिं. स्त्रो०) १ कोम के ठले हुए दो गोलाकार और वन्तकारक पोषधरूपमें इनका व्यवहार होता है। टुकड़ोंका जोड़ा। यह टुकड़ा मज़ोरेको तरहका होता है स्थानीय घतादि धोने के लिए धमका पानो कभी कभी किन्तु माकारजे उसमे बहुत बड़ा होता है। टुकड़ों के .. पत्यन्त लाभकारी होता है। ममय समय पर इम कार्य / बोधमें उभार होता है और इसो उभारमें डोरो पिरोनेके . के लिए पत्ते भी व्यवद्धत होते हैं। . : लिये एक छेद रहता है। यह पूजन प्रादिके समय घड़िया इसका गोंद किमी काममें नहीं पाता। परम देगक लों और शंखोंके माथं बजाया जाता है। २ क्रोध, गुस्मा। मिनाई पर्वत पर एक प्रकारका भाऊ होता है, जिस ३ पासीपन, शरारत । ४ किसी दुष्ट मनोविकारका पर कभी कभी मफेद पत्ते लगते हैं। ये छत्ते तस्य | पावेग। ५ शक सरोवर, सूखा ताम्ताव । ६ विषयको शर्करामे उत्पन्न होते हैं। : सिन्धुपादि अनेक प्रदेशों में | कामना, भोगको च्छा। झाम वृक्ष में एक पदार्थमे एक प्रकारका मिष्टरस बना | | झझिन (Eि: स्त्रो. स्त्रियों भोर. बचोका एक गहना। करता है। . , .. . यह कड़े को तरह पैरोम पहना जाता है । यह खोखला झार (हि. स्त्रो०).१ प्रतिविम्प, छाया, परछाई।२ होता है पोर झनझन पावाज हो. इस लिये गर्म कंक. इल, धोरा। ३.अधे, भन्धकार। ४ प्रतिशब्द, लोटो | ड़ियां भरी रहतो है। कभी कभी लोग घोड़ी चोर बसो हुई पावाज । ५ रविकारमे मनुष्यों के मुख पर होन- पादिको भो शोभा पौर झन्झन् शब्द होने के लिये पोतल वाले एक प्रकारके हल के काले धचे। . . या तायकी झाझन पहनाते हैं, पंजनी, पायल ! . झाई, माई (हि.सी.) छोटे छोटे लड़की का एक खेल।। | झांझर (हि. वि०) १जर, पुराना, हितिकफटा टूटा। २.छिद्रयुक्त, छेदवाला। झोक (Eि बोर) ताकने की क्रिया या भाव।। झांझरो (हि.सो.) १ झांम नामका पाना, झाल। झांकना (हि.कि.). १ प्रारमेंसे मुंह निकाल कर मांझन नामक परका गहना। देखना । २ इधर उधर भुक कर देखना । . .: . झांझा (हि.पु) एका प्रकारका कोड़ा। यह घटी झाकर (हि • पु. ) शंबाह देगा ...... हुई फसल के पत्तोको वीच योधमे खा कर फसतकी झोका (हि.पु.) १ जालोदार पौधा । २ झरे।।। बरबाद कर देता है। इसके कई भेद है। इस तरह का झांझी (Rोपवलोकम, दर्शन । २ दृश्य, यह कोडा सदा नमाया या मुफली के पत्तों पर देखा जाता जो-देना नाय ३ झरोग्या, विरुकी है। भांगको फेयी नो घो पोर धोनी के माय भूनी झाब (हि.पु.) एक प्रकारका बड़ा अंगलो हिरन । हो । ३ झझर, बखेड़ा।