पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/८०

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नयशलमेर (नैसलमेर) जयशलमेरके महारावलको १५ तोपोंकी सलामो । जयशलमेरमें ४३२ नगर तथा ग्राम बसे हैं। इसको मिलती है। जनसंख्या प्राय: ७३३३० है। यह राज्य १६ हुकूमतों में बंटा हुआ है। लोग मारवाड़ी भोर सिंधी भाषा बोलते ३ वशीर*-अभिषेक सं० १०३५ । हैं। जमोनके सूख जानेसे थोड़ा पानो ही सपिके लिये ४ दुसान*-अमिषेक सं०११००। काफी होता है । कूए २५० हान गहरे हैं। नमक कई ५ लंजविजयराय (दुसानके ३य पुत्र) जगह मिलता है। दश हाय नीचे खारी पानी है । इसको ६ मोजदेव( लंजविजयके पुत्र) कड़ाहमें रख कर सुखानेसे छोटे दानेका मफेद नमक ७ अयशाल (दुसाजके ज्येष्ठ पुत्र ) हनौने १२१२ संवत्में | निकलता है। १८७६ ई०को मन्धिके अनुसार वार्षिक जयशलमेर स्थापन किया था। १५००० मनसे ज्यादा नमक नयशनमेरमें नहीं बनाया ८ शालिवाहन (जयशलके एक पुत्र ) अभिषेक सं० १२२४ ।। जा सकता। चूनका पत्थर बहुत अच्छा होता है। और ९ विजली (शालिबान के पुत्र । भी कई प्रकारके पत्थर और महियां यहाँ मिलती हैं। १० कल्याण (जयशालके ज्येष्ठ पुत्र ) अभिषेक सं० १२५७ । जनी कम्बल, थैनेि और पत्थर के प्याले श्रादि बनाये जाते ११ काशिकदेव (कल्याण के पुत्र ) अभिषेक में० १२७५ । हैं। ऊन, घो, ऊंट मवेशो, भेड़ और महोकी रफ्तनी १२ करुण ( काशिकरामके पौत्र और तेजसिंहके कनिष्ठ पुत्र) होती है। यहां रेलवे और सड़क का अभाव है। रेमी- १३ लक्ष्मणसेन (करुण के पुत्र) अभिषेक सं० १५२७ । डेण्टको अदालत सबमे बड़ी है। राजाका प्राय प्राय: १४ पुण्यपाल (लक्षमणके पुत्र) १ लाख है। १७५६ ई०में अपई सिंहने 'अखईशाही' १५ जयतामह वा जयसिंह (डाशिकदेवके पौत्र और तेजमिहके सिकारावधानोमें टकसाल खोल कर चलाया था। पाठ- पुत्र ) अभिषेक सं० १३३२ । भालापी छात्र को पढ़नेके लिये कोई शुल्क देना नहीं पड़ता। १६ मूलराज* ( जयसिंहके पुत्र ) अभिषेक से० १३५० ।। [सं० १३५१में और एक बार यदुवंशका ध्वंस हुआ था। राजपूतानाके जयमालमेर राजाको राजधानो। यह अक्षा. २६.५५ ७० और देशा० ७७ ५५ पू०में अव. प्रायः १३५७ सम्बत् तक यदुवंशीय किसी व्यक्तिने जयशल. स्थित है। लोकसंख्या प्रायः ११३७ है। जयशलमेर (राज्य) मेरका राज्य नहीं किया ।] देखो। इसके चारों ओर ३ मोल लम्बा, १११५ फुट अचा. १७ रावलदूध (भिन्न वंशीय जयशालके पुत्र) मृत्यु सं० १३६२ । २६ यशोवन्तसिंह ( अमरके पुत्र ) अभिषेक सं० १७५८ । १८ गुरुसिंह ( १४वें राजा पुण्यपाल के प्रपौत्र, लक्ष्मणसिंहके पौत्र २७ अक्षयसिंह ( यशोवन्त के ज्येष्ठपुग्न) और रत्नसिंदके पुत्र ) इन्हें दिलोके बादशाहसे अयशलमेरका २८ तेजसिंह (यशोवन्तके पुत्र । इन्होंने बलपूर्वक सिंहासन राज्य मिला था। __ अधिकार किया था) , १६ वे यूर (गुरुसिंहके इतरुपुत्र । इन्हें गुरुसिंहये मृत्युके बाद | २६ सवाईसिंह (तेरसिंहके शिशुपुत्र ) रानी विमलादेवीसे सिंहासन प्राप्त हुआ था। इनके पुत्र | ३० पूर्गक वायसिंह ( पुनः ) कल्याणने भिन्न स्थानमें राज्य किया था। ३१ मूलराज ( अक्षयसिंहके पुत्र ) अनिषेक सं० ११८॥ २० भयसिंह ( हमारके पुत्र और केयूरके दत्तकपुत्र ) ३२ गजसिंह (मूलराजके पौत्र और मानसिंह के पुत्र) २१ भूनकर्ण (जयसिंहके छोटे भाई ) २३ रणजितसिंह ( गजसिंहके भतीजे) २१ भीम* (नूनकर्णके पौत्र और हरराजके पुत्र ) ३४ वैरिशाल ( रणजीतसिंहके सहोदर ) २३ मनोहरदास ( नूनकर्णके पौत्र और श्यामदासके पुत्र) । ३५ जवाहिरसिंह। २४ सुक्लसिंह ( नूनकर्णके मण्यम पुत्र सौर मलदेदके प्रपौत्र) - विदिनत राजाओंका विवरण उन्हीं शदौमें देखना २५ अमरसिंह ( सुबलसिंहके पुत्र) मृत्यु सं० १७५८ चाहिए ! . . Vol. VIII. 19