पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/८०२

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झाँसी : ०१. पनाज उपज जाता है।. थोड़ोसो हानि होनेसे अधि- पहले ही किया जा चुका है। दुर्भिक्ष, अनाहरि, बाढ़, वामियोंको श्रनका कट होता है। प्राय: अधिक समय | महामारी पारिका प्रकोप कम नहीं है । दुभिंत प्राय: ही उन्हें अन्न कष्ट भोगना पड़ता है। रबोमें गेहू, जो, पाँच वर्ष के बाद नहीं रहता है। सरकार के रिपोर्ट में चना, उटः और मरमा प्रधान है। शरत् कालमें ज्वार, मान्नूम होता है, कि पच्छे वर्षों में झमोमें जितना पनाज शाजरा. तिल, पाम पोर कोदो उत्पन्न होता है। उत्पन्न होता है, उममे वा के अधिकामियों का केवल दश दमके मिया मान्न रंगको छोट बनाने के लिये बालो माम तक खर्च चलता है। पौधको जड़ बहुत होतो है । यही जड़ यहांका १७८३, १८३३, १८३७, १८४७.१८६८ ई में यहां प्रधान वाणिज्यद्रश्य है और यह मवमे अच्छो जमोनम | भीषण दुर्भिक्ष हो गया है। गवर्मेण्ट दुर्भिके ममय उपजतो है। मगरानोपुरका विख्यात खारुषां इस । माहाय्यदानार्थ कर्म (Relief-work) खोल कर तथा पालसे रंगा जाता है। झामो और बुन्देलखण्ड में बहुत भिन्न भिव स्थानीसे गस्यादि रफतनो कर जाका दुःख अगह किसान लोग इसी पालको बेच कर मालगुजारी दूर करतो हैं। देशोय राज्य के शामनभुता.पनेक पाम देते हैं और बहुत जगह पाल में बदलेमें अनाज खरीद झामीको मीमा रहनेमे रिलिफ कार्यग विशेष विमला कर अपनी जोविकानिर्वाह करते हैं। अनेक समय | होती है। शस्तक्षेत्रमें घास के हो जानेमे अनाजमें बहुत नुकमान माणिज्य-भोमो मे अनारको रफतनो नहों होती यरन पहुँचता है। सम्प्रति बहुत कष्टसे वह घास निर्मूल कर दूमो दूमरे देशों से हो मामटनो होती है। उसके बदले दो गई है। झांसोक उत्पन शस्यमे वहांका निर्वाह झांसोमे कपास और भाल रंग दूसरे स्थानमें भेजा जाता भलोमांति नहीं होता है, तोभो सुदृष्टि होनेसे कभी कभी है। शिल्पद्रथादि यही नहीं के बराबर है, केवल वारूपाँ बहुत अनाजको रफतनो यहांमे होती है। नामक लाल कपड़ा यहाँ बहुत तैयार होता है। मामीसे यह जलसिञ्चनका प्रबन्ध पच्छा नहीं है। पहले कालपी होते हुए कानपुर जानेको पकी सड़क है पोर जिन बड़े बड़े सरोवरा या सत्रिम हुदका विषय वर्णन नदो प्रभृतिके ऊपा पुल द्वारा सुगम पथ है । पन्याम्य हो चुका है, उनमें से अधिकांश मस्कारके प्रभावसे राहें बाढ़ के ममय जानेके योग्य नहीं रहता है। अकर्मण्य हो गया है तथा वहुत थोड़े स्थानों में उनका शामन - इण्डियन सिविल सर्भिसके मदस्य तथा एक जन पहुंचता है। जो कुछ हो. आजकल गएटने सता महकारो डिपुटी कलेकर द्वारा शासन कार्य चलाया मरोयरीका,संस्कार तथा बाड़ी इत्यादि खोदनका पच्छा | जाता है। इनके सिवा कनेकर, व्यापट मजिष्ट्रेट प्रबन्ध कर दिया है। यहाँके रूपक मात्र हो दरिद्र है, और तीन डेपुटो फलेकर भी है। वन विभागके जो एक बार फसम्न के नहीं होने से ही उनका मर्व नाग हो । कर्मचारो है उन्होंके हाथ बुन्देलखण्ड के वनका भो इन्त: जाता है । तब उन्हें महाजनसे ऋण लेने के सिवा और जाम है। दीवानी अदालत में दो डिष्ट्रिक मुन्सिफ पोर कोई उपाय नहीं रहता है। वैतवा और धसान, इन दो | एक मजज है। यज्ञ १० फौजदारो पोर १. दोवानो नदियों के मध्यवर्ती देगमें प्रायः अनारष्टि हुपा करती | पटालते हैं । इसके मिया पुनिम.चौकीदार इत्यादिकी है, सतरा यहाँके रूपों की अवस्था शोचनीय है, कृपके | संख्या प्रायः १३०. है। जिले के सदरमें एक जैस है ‘मिया उन्हें दूसरा कोई उपाय नहीं रहता है। पंगरेजी और मानगरमें एक हाजत है। पधिकांग कैदी चोरीके ' शासनकर्तागण पहले पूर्ववर्ती राजागोको माई बड़ी अपराध बन्दी । ... .. .. निठ,रतामे कर वसूल करते थे. बाद - मजाको प्रकत यहां विद्या शिक्षाको सुव्यवस्था नहीं ||१८६०९०के पवस्था देख कर गयमण्ट अघ. उदार हो गई है। अभी बाट-नति के बदले इसका पवनति ही हो रही है। यहाँका राजस्व अन्यान्य स्थानोंकी पपेसा यत कम है। यहतमै विद्यालय उठ गये हैं। ... ... ... ... झांसी में देवपिडम्बना पधिक है, जिसका उनल]: ,, यह जिला ६ तहसीलमें विभाग है। इसमें दो म्युनिमः Vol. VIII: 183