पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/८१६

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७४५ मा--भिमान . ७४.२३२५" पूल में प्रयस्थित है । एमके उत्तर और पूर्व में ] जिया माणके जैमा गोब होनेके कारण ये लोग उन्होंके मध्य भारतके, चेलकरी.और कुशलगड़ राज्य, दक्षिण में | अन्तर्गत माने जाते हैं। . . . दोहद तथा पश्चिममें रेवाकाठा है । अनस नदो इसके पूर्व झिकरगाछा- बङ्गाल के अन्तर्गत यगोर जिलेका एक भागमें प्रवाहित है। यहाँ कम गहराई में ही पानी | शहर । यह अता. २३६२० पोर देशा०६८० निकलता है और कुएंके जलमे खेत मींचा जाता है। पर अवस्थित है। यह यगोर नगरमे ८ मीन दूर कालि- गुजरात और सागरका वाणिज्य पय इसी खण्ड के मध्य यादक नटोके पश्चिम तोरम अवस्थित है। नदो ऊपर में अवस्थित है । भूपरिमागा २६७ वर्ग मोम्न है। एक झूला अर्थात् मुन्नता हुघा पुन्न है। यहां खजूरके २ बम्बई प्रेमिडेन्मीके अन्तर्गत पांचमहाल जिलेके गुड़ और चीनोका व्यवसाय अधिक होता है। नोलकर दोद यानाके उक्त झालोद खगड़का एक नगर। यह माहस मैकेजीके नामानुसार निकटवर्ती हाटका नाम अक्षा २३६ उ. और देगा. ७४ पूछमें अवस्थित मेञ्जोहाट पड़ा है। यहमि शान्तिपुर जानेका रास्ता है। लोकसंख्या प्राय: ५८१७ है। इसके अधिकांग सुगम होने के कारण यहुतसे गान्तिपुरके व्यापारो इस अधिवामी कोल और भीन्न है पहले यह एक विस्तो। शहरसे गुड़ खरिद कर चोनो प्रस्तुत करने के लिये. १६ नारयुक्त परगनेका प्रधान स्थान था। अभी भी शान्तिपुर ले जाते हैं। भिव भिन्न ताहके शस्य, कपाभ, धातुपावादि तथा हाथी झिङ्गाक सं० लो०) लिगि-माकन् पृपोदरादित्वात् माधुः । दांत रतलाम मलय (चड़ौ)-के जेमा लाहकी बनी हुई फनविशेष, एक फलका नाम। इसके गुण-तिता, चडी तया तरह तरहके खिलौने दूर दूर देशों में भेजे जाते | मधुर. प्रामवात और गन्दाग्निकारक है। २ कर्कटी, हैं। मस्जिदें', देवालय तथा बड़ो बड़ो अट्टालिकाएँ | कटो। नगरको शोभाको बढ़ाती हैं। नगरके समीप एक बड़ा | झिझिनो (सं० स्त्रो०) लिगि-णिनि, पृषोदरादित्वात् 'सरोवर है, यह नगर नीमचमे बरोदा जानेके पथ पर | साधुः। १ जिङ्गिनो वक्ष, एक प्रकारका बहुत बड़ा जंगली अवस्थित है। पेड़। एमके पत्ते महएके समान ओर शाखायों में दोनों झा (मपु०) झा झा इति शब्दं कृत्वा वाति गच्छति पोर लगते हैं। इसके फल मफेद पोर फल बेरके समान या-डु। वृक्षविशेष, भाऊ नामका पेड़। होते हैं। २ उल्का, मशाल, दम्ती। झावुक ( म पु०) झाबुरेव स्वार्थे कन् । झावु देखे।। झिङ्गी. (स'. स्त्रो०) लिगि-अच्-डोप पोदरादित्वात् झिंगन (हिं. पु.) १ एक प्रकारका पेड़ । इसके पत्तोंमे साधुः । सिंगिनी देखो। लाल गंग बनता है। २ सारस्वत ब्राह्मयों को एक जाति । भिमकार ( हिंत्री०) झझकार देखो। झिंगवा (हिं. स्त्रो०) एक प्रकारको छोटी मछली।। झिझकारना (हि'• क्रि०) १ असहारना देखो। २ झटकना इसके मुंह और पूछके पास दोनों तरफ बाल होते है। देखो। झिझिया (हिं. स्त्री०) एक तरहका घड़ा जिसमें बहुत झिझिट - सम्पूर्ण जातिको एक रागिणी। इसमें कोमन मे छोटे छोटे छेद होते हैं। छोटी छोटी लड़कियां इसमें जलता हुआ दीया डाल कर कुमारके महोने में निखाद ध्यवाहत होता है । यह याधुनिक राग है। इसे झिझोटो भी कहते हैं। यह सन्ध्याके ममय गायो जाती घुमाती हैं। . . . . झिझोटी (स्त्रिो ) .शुद्ध स्वरया सम्मण जातिकी| है, किसी किमोके मतसे मन समय गायो जा सकती है। एक रागिणी । यह दिनके चौथे पहरमें गाई जाती है। . . ( संगीतरत्ना.) झिझोतिया-बुन्देलखण्डक ब्राह्मणों का एक भेद। झिझान - युलप्रदेशके अन्तर्गत मुजफ्फरनगर जिलेको सुलतानपर और चन्देरी प्रादि देशों में ये लोग अधिक मामलो तहसीतका एक कृषिप्रधान शहर, । यह पक्षा. • संख्या में रहते हैं। बुन्देलखण्डका प्राचीन माम निझोता:२८२१३० भोर देया० १६.पू के मध्य मुजा है.और वहाक मानाय जिभोतिया कहनाते हैं। कनो] फ्फरनगरमे ३०मोल पछिम यमुना नदो और खाड़ी के Vol. VIII. 18