पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/८१८

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मिण्टौश-मिन्दन महाराणी ७४७ वृत्तविशेष, कटमर या, पियावासा। इसके पर्याय-1 स्टेट रेनवैसे झिदाईदद तक एक सड़क बनाई गई है। मेरोयक, कण्टकुरगट, सेरेयक और झिण्टिका है। वारेन हेष्टि सके ममय इम महरमें भूणणा थानाके प्रधान , नीलझिण्टिका पाय-वाना, दामो, अर्तगन्न, वाण | एक चौको स्थापित हुई । १७८६ ई में यह मामूदशाहो पार्तगत, महचर और नोलकुरण्टक । परुण-झिगिट | विभागको कलेकरोका तथा पोछे १८६१ में यह एक काका पर्याय -कुरवक। पीतझिण्टिकाके पर्याय उपविभागका मदर हो गया। कुरुण्टक, महचरी, महचर महाचर, वीर, पीतपुष्य, | । प्रवाद है, कि पहले झिनाईदहके चारों भोर इमेत • दामी और कुरण्टक है। इसके गुण-कटु, तित, रहते थे। वे पथिकको मार कर उसका मर्वस्व ले लेते दन्तामय, शूल, वात. कफ, थोप, काग और त्वम् दोष । शहरके ममोप हो एक बड़े सरोवरमें ये पधिकको नाशक है। २ कुन्दर ग, कोई घाम ! हटते थे। पाज भी उम सरोवरके 'चकोरा' या 'माड़ो झिण्टोभ (स, पु० ) १ झारटो कठमरया। २ शिव, | धापा' इत्यादि नामसे चक्षुमत्पाटन, दन्तभवन प्रभृति मदिव। नृशंम व्यापारका हो म्मरण पा जाता है। झिनाईद. . झिना (हिं. पु. । महीन चावलका धान। । के निकट वृहस्पति और रविवारको एक पाक्षिक हाट , झिनाई बङ्गालके मेमममिह जिलेकी एक नदी। यह लगती है। हाटमें जितनी चोजे पातो हैं उनमें हर जमालपुर के निकट ब्रह्मपुत्रसे निकल कर जाफरबाही एकमे स्थानीय कान्लोजोके लिए मुट्ठी बमूल को जाती होती हुदै यमुनामें जा गिरी है। ग्रीष्मकालको इसमें है। झिनाईदह के निकटवर्ती नुयाडाला नाम के एक अधिक जन्त नहीं रहता, किन्तु दूमरे समयमै नाय मदा, ग्राम, पाँच पाँचई नामक एक ठाकुर हैं। बहुतमो पाती जाती है। वध्या स्त्रिया सन्तानको कामनाये उनकी पूजा करने मिनाईदह-१ बङ्गान के अन्तर्गत यथोर जिलेका एक को गातो है । झिनाईटह ययोरमे बहुत ऊंचा तथा उपविभाग। यह पक्षा० २३ २२ से २३४७ उ० और शुष्क और स्वास्थ्यकर है। देशा०६८ ५७ से ८८ २२ पू०के मध्य अपस्थित है। झिन्दन महाराणो-परनामकेशरो महाराज रणजिसिंह इसका क्षेत्रफल ४७५ वर्ग मोल है। इसमें ग्राम घौर नगर को प्रियनमा महिपो और महाराज दलोपसिभी मिला कर कुन्त ८६५ म्नगते हैं। पहले यह स्थान भूपया माता। इनके भाई जवाहिरसिह कुछ दिन शिख. उपविभागके अन्तर्गत था। १८६१ ई के नोलकरके राज्यके वजीर थे तथा अन्तमें दुर्दान्त बालसा सैन्य द्वारा उपद्रवमें मागुगके कई अंश ले कर यहाँ एक स्वतन्त्र उपविभाग स्थापित हुमा। इस उपविभागमें १ दीवानो ___ रणजिसि को विवाहिता स्त्रियोंम झिन्दन सबसे अदालत, १ मजिस्ट्रेट और फलेकरो प्रदालत, १ छोटी। अधिक प्रियतमा थों, इमोलिए रजिसिंह उनको 'स्नेह- पदालत, ३ रजिष्टरी पाफिस और तोन थान है । लोक- मे मा बुवा' अर्थात् मियपतिको प्रिया कहते थे। गाह. . सख्या प्राय: ३.४८८८है। सूजाको कानुनके मिहासन पर पुनः स्थापित करने के २ बङ्गालके अन्तर्गत यशोर जिले के उपरोत झिनाई.] लिए जो झगड़ा चला था, उससे पहले महाराणी .दह उपविभागका सदर पोर एक शहर। यह पक्षा | भिन्दनने दलीपसिंहको प्रसय किया था। महाराज २२. ३३.३० पोर देशा० ८८ ११ पू० पर यगोरसे रणजितमिह इस संवादको पा कर प्रत्यन्त पानन्दित २८ मील उत्तर मवगङ्गा नदोंके किनारे अपस्थित है।| हुए। उन्होंने इस पुशोमें दरिद्रोको खूब धन दान दिया यहाक बाजार, चीनी, तण्डन्त पोर लाल मिर्चका प्यव- और १०१ तोप कुड़वा कर इस मुसयादको घोषित माय अधिक होता है। नवगङ्गा नदी धारा कई एक किया। म्वानों के माप वाणिज्यका सम्बन्ध है, किन्तु उ नदोम | महाराज रणजिस्मिक परनोक गमनके माद यया. पनेक समय बहुत कम पानो रहता है। इन बवाल ] क्रमसे खन्नसिंह, ननिहालसिह पोर गेरसिंह पसाद 7 .