पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/८२५

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'७४ - मोद पृथक पृथक खराइने कर मंगठित पा है। ममत। तभोमे यह देग झोंदका एक भाग समझा जाता। राज्यका परिमाणफल १३३२ वर्ग मील है। यह रान्ध। दूसरे वर्ष दिलो गयमेंटने झोंद पर अधिकार करनेको पुनकियान राज्यके पन्तर्गत है। पतियाला देखो। कोशिश की. किन्तु फुलकियान मरदाने उनके प्राक्रम १७६३ ई. में मिनि मुसलमानोंमे मरहिन्द मान्त जोत | को रोक दिया। १७७५ ई में गजपतिसिहमे यहां करके इसको नींव डालो यो और १७६८ ई में यह एक दुर्ग बनवाया। १७८० में मोस्ट-माक्रमापक दिलोके ममा द्वारा अनुमोदिन दुपा है। झीटके समय ये लोग मुमलमान जनरलमे पराम्त हुए, गजपतिः राजा हमेशा के लिए पगारेज शुभचिन्तक थे . महा- मि केद कर लिये गये। पीछे अच्छो रकम देकर गाष्ट्रॉक अधःपतनके बाद झोंटके राजा बाघमिहने उन्होंने छुटकारा पाया । १७८८ में दो लड़के छोड़ पहरेजोंकी यवेष्ट महायता को थो। जम लार्ड लेक कर आप इस लोकमे चन्न नसे। बड़े भागमिह राजा ( Lord Lake ) ने विपाशाके किनारे होलकरका पीछा कहलाये। उनके अधिकारम भोंद पोर मफिदन और किया, तब वाधमि'हमे उन्हें बहुत सहायता मिली थी। छोटे भूपसि'इके पधिकारमें बदरूग्या रहा। धम उपकार प्रत्यु पकार स्वरूप लार्ड लेकने राजाको राजा भागमिह घटिश गयौ पटक बड़े खररमाए । मम्पत्ति दिलोक सम्राट, और मिन्धियामे प्राप्त भूमिया। थे। जसवन्तराव होलकरको खदेर में एन्होंने माई छधिकार दृढ़ कर दिया । फुलकिया राजापों के पतियाला- लेककी अच्छी महायता पहुंचाई थी। उस समजता गजाके बादहो झोंदके राजाका संभ्रम है। फुलकिया | इन्हें टिश गवर्मेण्टको पोरमे बवान परगना मिना वंशक अधिष्ठामा चौधरोकु नर्क बड़े लड़के तिलकने । था। रणजिमि हसे भो राजा भागमिइको कुछ प्रदेश भीद राज्य स्थापन किया। मिलकके पौव गजपतिमिहने मिले थे जो अभी लुधियाना जिले के अन्तर्गत है। छत्तीस . १७६३ ई० में मरहिन्दक अफगान-शामनकर्ता जेना. वर्ष राज्य करने के बाद १८१८ ई में इनका शरो. को परास्त कर मार डाला। बाद उन्होंने पानीपथसे / रान्त हुआ। बाद इनके लड़के फतहसिह उत्तराधि. कर्नाल तक विम्त त झीद और सफिदान प्रदेश पर कारो हुए। १८२२ ई० में इनके स्वर्गयाम होने पर अपना अधिकार जमा लिया। दिलोक सम्राट को | इनक लड़के मङ्गतमिहने भो दका सिंहासन मुशोभित गजस्त्र प्रदान तथा उनको अधीनता स्वीकार कर वे वहां किया। इस ममय ये चार्गे और पापदौमे घिरे घे, तनिक गग्य करने लगे। एक ममय राजख अदा नहीं होनेके भो चैन न यो। १८३४ ई में नि:सन्तान प्रवाम फारण मम्राट के वजीर नाजिरखा गजपतिमिहको श्रापन मानवलोला ममाप्त की। अव उत्तराधिकारीको के दो बना कर दिनी ले गये। सम्राट्ने वहां उन्हें तीन लिये प्रश्न उठा। बाद सभीको मलाहमे सङ्गमसिंहक वर्ष तक कैद कर रकता। बादमें गजपति अपने पुत्र चचेरे भाई स्वरूपसिह जो बाजोदपुरमें रहते थे. राजा . मेहरमिको जामिन रख कर, अपनी राजधानीको बनाये गये। लौट पाये। पोछे उन्होंने मम्राट को ३१ लाख | : १८४५.४६ ई०के सिखयुहके समय अंगरेज कर्म- रुपये दे कर १७७२ ई में अपने पुत्रको मुक्ता और चारीने गजपतिसिंहके निम्न छठे पुरुष झोंदके राजोपाधि प्राश को। इन्होंने स्वाधोनभावसे राज्यः | तात्कालिक राजा स्वरूपसिहमे सरहिन्द विभाग शासन तथा अपने नामका मिका चलाया था। लिए १५० ऊँट मांगे थे। इस पर राजा महमत न १७७४ ई० में नामाके राजाकै माय लड़ाई हो जानेके | हुए। · वाद मेजर प्रफुटने राजा पर १० हजार रुपये कारण इन्होंने भमनोह, भादसन पोर मद्ररूर पर चढ़ाई जुरमाना किया। राजा इस अपवादको दूर करने के कर दी। ये मम जनपद नामाके हो अन्तभुत घे ! अन्तमें | लिये दम तरह प्राग्रह और अविचलित भावमे गाजी पतियालाको राजा तन किये जाने पर उन्होंने और सब देश के उपकार साधनमें प्रकृत हुए कि शीघ्र ही उनका पूर्व तो लौटा दिये, मगर सगरूरको अपने ही दखनमें रखा।। अपराध माफ कर दिया गया पोर ये अंगरेजोंम पाहत