पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/८३०

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भुरकुटिया-मनाराम ७५९ झुरकुटिया (हिं पु०) १ एक प्रकारका पका लोहा । इस गाँड आदि होनेवालो एक प्रकारको कपाम। यह का दूसरा नाम खेड़ी है। (वि०)२ रुप, दुबला,। जेठमें प्रस्तुत होती है, इसलिये कोई कोई इसे जेठवा भा पतला। कहता है। भुरमुरो (हिं स्तो०) १ जुड़ीके पहले पानेवालो कॅप. अलवाना ( क्रि.) किमो दूसरेको अन्तानके काममें कपो। २ क पक्पो। लगाना। अरना (Eि क्रि०) १ शुष्क होना, सूखना, खुश्क | मुन्नसना (हि. क्रि०) १ किलो पदार्थ के अपरो भागका होना। २ बहुत अधिक पथात्ताप करना। ३ निक प्राधा जल जाना । २ अधिक गरमो पड़ने के कारण प्रकारको चिन्ताओं के कारण दुर्बल होना। | किसी पदार्थ के सपरका अंश शुष्क हो कर कुछ काला झुरमुट (हि.पु०) १ एकहोमें मिले हुए बहुतमे सुप, पड जाना। 'धनी झाड़ी। २ बहुतसे मनुष्योंका समूह, लोगोंको मलमवाना (Eि क्रि.) मलसनका काम किमी दमामे भोड़। ३ चादर वा पीढ़ने से शरीरको चारों ओरसे ढक | कराना। लेनको क्रिया। | मुलाना (हि. कि.) १ किसीको हिंडोलेमें बैठा कर झरवन (हि स्त्रो.) किसो सुखे पदार्थ से निकला हुधा | हिलाना । २ प्रनिशित प्रयस्थामें रखना, कुछ निपटेरान अश। करना । ३ लगातार झोकाटे कर हिलाना। झुरवाना (हि. क्रि० ) किसी दूसरेको सुखाने के काममें झमा (हि.पु. ) एक प्रकारको घास । लगाना।। । झ कटी (Eि स्त्रो०) छोटो माड़ी। झरसना (६० कि० ) झुलसना देखो। झझना ( दि. कि. ) जूझना देखो। अरमांना (हिं० कि० ) झुलसाना देखो। मट (हि.पु.) झूठ देखो। भुरहुरो (हि स्तो०) झुरझुरी देखो। | मठ (हिं पु०) असत्य बात, व घात लो यथायं न हो। झुराना (Eि क्रि०) १ शुष्क करना, सुखाना, खुश्क झठन (हि स्त्रो०) जठन देखो। करना। २ चिन्तामे स्तब्ध हो जाना, दुःखसे व्याकुल झूठमूठ (Eि क्रि-वि० ) शर्थ, निष्प्रयोजन, जो झूठ हो जाना। ३ क्षीण होना, दुबला होना। भगवन ( हि स्त्रो. ) किसी चीजको सुखाने के कारण मठा (हिं० वि०) १ मिथ्या, असत्य, जो झूठ हो।२ 'उसममे निकला हुआ अंश। असत्य बोलनेवाला, झठ बोलनेवाला । ३ सविम, बना. झरों (Eि स्त्री. ) वह चिश जो किसो चीजके सुखाने | बटो, नकलो। ४ जो अपने किमी मंगसे बिगड़ खाने के मुड़ने या पुरानी हो जाने के कारण पड़ जाता हो, सिकु- | कारण ठीक ठोक काम न दे सकें। ड़न, सिलवट, शिकन। झठों (हिं. कि-वि०) १ व्यर्थ, योही। २ नाम मात्र अलका (हिं पु०) झुनझुना देखो। लिये। झुनना (जि. पु.) १ एक प्रकारका ढीला दीला कुरता | झणि (स• पु०) १ क्रमुक, एक प्रकारको सुपारी २ , जो प्रायः स्त्रियां पहनती हैं। (वि.) २ झलनेवाला, | एक प्रकारका अशकुन । जो झखता हो। भनाराम-जयपुर राज्य के एक मन्त्री। महाराज जय. मुन्तनी (हि. स्त्री०) छोटे छोटे मोतियोंका गुच्छा जो सिंहको प्रशाल मृत्यु के बाद मटियानो रानी राज्य सोने पादिके तारमें गुथा रहता है। इसे स्त्रिया भोभाके शासन करतो यो। रानोने गवर्म एटमे नियुक्त सुयोग्य लिये नाकको नथमें लटका लेतो हैं। प्रधान मन्त्री व रिसालको निकान पन्हींको पपमा प्रधान अननोबोर (Eि S०) धानको वाम । मन्त्री बनाया। रानोका चरित्र शक नहीं होने के कारण मुन्नवा (हि.पु.) बहराइच, बलिया, गाजीपुर और अनारामने उन पर पपना पूरा अधिकार जमा लिया था।