पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/८३२

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मलन-मूसदम

  1. सन (हि. पु०) १ वर्षा ऋतुमें थायण शुका एकादशी- भाग लटकता पौर झलता रहता है। कोई कोई इसे

से पूर्णिमा तक होनेवाला एक उत्सव । इममें थोकृष्ण लछमन मला नाममे भी पुकारते हैं। पूर्व कालमें पहाड़ी

या योरामचन्द्र प्रादिको मूर्तियां झूले पर बैठा कर | नदियों पर इमो तरह के पुल नदी पार होने के लिये

सुनाई जाती हैं। हिन्दोल देखो । २ एक प्रकारका रंगोन दिये रहते थे। आजकल भी उत्तर भारत और दक्षिण • गौत।". ... . अमेरिका पहाड़ी नदियों पर इमी तरह पुन देविने में झलना (हि'० कि० ) १ किमो अाधार के महारेमे लटक पाते है । पुरानी तरहका पुल दो तरह के होता है. कर कई बार इधर उधर हिलना । २ अनिर्णीत अवस्था पहला मुला एक बहुत मोटे और मजबूत रमे का होता में रहमा, किसोको 'भामरे में रहना। (वि०) ३ | है जो नटो या खाईके किनारे परके किसो मजब न खंभे झूलनेवाला । (पु.) ४ २६ मात्राओं का एक छन्द । या तोंमें जकड कर बंधा रहता और उमरे नोने एक इसके प्रत्येक चरणमें ७, ७, ७ और ५ विराम होते हैं | बहा दोग या चोखटा यादि लटका दिया जाता है। मग और अंतमें गुरु लघु,होते हैं। ५ इमो छन्दका एक दूसरा झला मोटो मोटी मजबू त रस्मियोंसे बुना हुमा जालमा • मेट। ६ हिन्दोल, झला। होता है घोर इसे रमोमें लटका कर दोनों पोर रम्सि- मलनी बगली (हि.स्त्री.) बगगेकी तरह मुगदरको योसे इस प्रकार बांध देते हैं कि नदीके ऊपर उन्हीं रसो .. एक कसरत । इम कमरनमें कलाई पर अधिक जोर और रस्सियोंको लटकती हुई एक गनीमो बन जातो पड़ता है।. . है। इभोमसे हो कर पादमी नटी पार होते हैं। इसके झलनो बैठक (हि. मो.) एक प्रकारको बैठक. इसमें दोनों सिरे भो पहलेके नाई नदोके किनारे पर चधानोंसे बैठक करके एक परको हाथोकी सडको सरह मनाता बधे होते हैं। आजकल भो अमेरिका पादिकी बडो और तब उमे समेट कर बैठता है । इसके बाद फिर उठ | बड़ो नदियों पर भो म तरहके बहुतमे पुल बनाए कर दूसरे पैरको उमो प्रकार मुनाना पड़ता है । जाते है। ३ वह झूल जो जाड़े के मौसममें पायो- ‘फ लरि (Eि स्त्रो०) वह छोटा गुच्छा या समझा जो | को पीठ पर डाला जाता है। ४ एक प्रकारका टोला इमेगाह झलता रहता हो । कुरता जिसे प्रायः देहातो स्त्रियां पहनती हैं। ५ झोंका, मला । हि.पु.) १ हिंडोला। इसके कई भेद है। झटका । .कई लगह वर्षा ऋतुम लोग पडौंको मजबूत डालोंमें | झला-पन्नाव प्रदेश रायती पोर अन्यान्य पार्वतीय मोटे रस्ते बांध धार उसके निचले भागमें ताला या पटरी नदीके कपरका म नता हुआ पुन । इन मेमोकी निर्माण रखते हैं। इसी पटरी पर बैठ कर वे झलते हैं। दक्षिण | प्रथालो बहुत ही सहज है-दोनों भोरके पहामि एक भारतमें झलेका व्यवहार अधिक है। वहां प्रायः सभी | या दो रस स्खु च मजबूतीमे बांध कर उसमें एक बड़ी घरोंके छत्तोमें चार रम्सियां लटका कर उसकी चौकोके | डाली लटका देते हैं, जिसमें एक रस्सी वधो रहती है। चारों कोनसे जकड़ कर बाँध देते हैं । मलेका निचला | उस डालियामें पारोहीके बैठने पर दूसरी पारी एक भाग जमीनमे कुछ ऊपर हो रहता है. ताकि वह जमोनमें | आदमी उसकी रस्सी पकड़ कर खींच लेता है। अटक न जाय । म लेके आगे और पीछे जाने और पाने- | अलि (पु.) क्रमुकभेद, एक प्रकारकी सुपारी। को पेंग कहते हैं। गला दूगरसे मुलाया जाता अथवा | झलि ( हि पु०) श्री देवो । परको तौरका की जमीन पर आघात करने , पापमे | झली (हि. मो.) यह चद्द। जिसमे वा करके मूमा पाप मला जाता है। २ एक प्रकारका . पुन जो बडे | उड़ाते है। .. . बड़े रस्मों जजोरों या तारोंका बना होता है। इमहे | म सदुम-बम्बई प्रदेश के अन्तर्गत गुजरातका एक शहर । दोनों मिरे उस नदों के समीपवाले किसी बड़े खंभे वृक्षों | यह पता २२५. पौर देगा.'१५०के -या-वधानों में मजबूतीसे बंधे होते हैं। इसमे नौचेका ]. मध्य राजकोटसे ३० मोल र पूर्व दसिपम प्रयस्थित है। ___Vol. VIII 191