पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/८३४

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कोलम् बहुत पाये जाते हैं। इसके अतिरित कई प्रकारके खनिज | १७६५ ई में गुजरसिंहने गकर-राजाको परास्त कर वर्णद्रव्य, कोयला, गन्धक, मोका तेल तथा मोना, ताँबा. लवण और माड़ी पर्वतवासी पहाड़ी जातिको वशीभूत मोसा, लोहा प्रादिधात पर्वतसे निकलती हैं। किसी| किया। जब उनका पुत्र इस प्रदेश के राजा हुए, तब किमो जगह,लोहेका भाग इतना अधिक है कि दिग्दशेन- १८१०ई० में अजेय रणजिस्सिहने उस प्रदेशको जीत कर यन्त्रका काँटा टेढ़ा हो जाता है। समस्त पनाब प्रदेशमें | सिख राज्यमें मिला लिया । लाहोर-दरबार ऐसो कठोरता- जितना नमक खर्च होता है, उसका अधिकांश मी से राजस्व अदा करने लगा, कि शीनही इसके पूर्वतन जिलेसे निकाला जाता है। यथार्थमें लवण छोड़ कर जञ्जपा, गकर और भावानके जमींदार अपनी भूम- अन्यान्य खनिज पदार्थोसे जिले का बहुत थोड़ा ही लाभ म्पत्ति छोड़नेको बाध्य हुए और उनके अधीनस्थ जाठगण होता है। मम्प्रति रेलपथके हो जानेसे इसके खनिजको नवोन जमींदार हो गये। अभी यहाँ एक भी बढ़ जमी. पाय और भी अधिक हो गई है। खिउरा, सर्दो, मकराचा दार नहीं हैं। इसके पहले जमींदारों के किसी वज- काठा और जतानामें लवणको खान तथा मकराचपिङ, ने एकसे अधिक ग्राम दखल नहीं किया था। दङ्गोत और कुन्दालमें कोयलेकी खान है । यहाँका कोयला १८४८ ई में ममस्त सिख राज्यके साथ साथ झोलम - उतना उरलष्ट नहीं है। भी अंगरेजोंक हाय लगा। रणजित्मिहके प्रबल परा- . इतिहास-दस जिलेका प्राचीन इतिहास अस्पष्ट है। कमसे पहाड़ी जाति ऐसी दमित और शान्त हो गई घो, हिन्दुओं में प्रवाद है. इसके लवणपर्वत पर पाण्डवोंने कि अंगरेजोको वहाँ राजख भोर शासनके विषयमै सुश. 'कुछ काल तक अन्नातवाम किया था। वर्तमान पुरातत्व हन्ता स्थापन करनेमें कुछ भी कष्ट उठाना न पड़ा। विदुने स्थिर किया है, कि माकिदनवीर अलेकासन्दर पाज भी इस प्रदेशमें कही कहीं प्राचीन कीतिका सो जिले के किसी स्थान में वितस्ता ( चापडसपेस)-2 | भग्नावशेष देखा जाता है। बोडके मतानुसार कतासका किनारे पुरुराजके साथ लड़े थे। जनरल कनि हम .भग्नमन्दिर लगभग ८वों या ८वो गसाग्दोका बना अनुमान करते है, कि वर्तमान जलालाबादके समीप | हुया है। मालोत और गियगङ्गामें भी कई एक देव- । बलेकसन्दरने वितता नदी पार कर जिस ओर गुजरात मन्दिरका भग्नावशेष विद्यमान है। इसके मिया लवण- • नगर अवस्थित है उसो और चिलियनवाला युद्धक्षेत्रके पर्वतके दुरारोह शृङ्गों पर पयस्थित रोहतक, गिरमक और 'निकट मङ्ग नामका स्थानमें पुरुके साथ लड़ाई को थी। कृयाक दुर्ग सामरिक इतिहासलेखकोंका कोतहल पोर इसके बाद मुसलमान अधिकारके समय तक इसका ] विस्मय प्रकाय करता है। .विवरण मालूम नहीं है। योकमे मुगलोंके समय तक कई बार विदेपियौने ___जना . और जाठजाति पुस जिलेके अधिकांथ | इसी रास्ते से जा कर भारतवर्य पर पाक्रमण किया पोर . स्थानौम वास करती है। मालूम पड़ता है, ये बहुत झेलम जिलेको बहुतसे दुर्गादिसे सुरक्षित तथा अधिया-

पहलेसे यहाँ रहते पाये हैं। इसके बाद गक्करगण पूर्व से मियोंको युद्धविशारद कर डाला था।

, और भावानगपा पथिमसे इस जिलेमें पाये। मुसलमान यहाँको लोकसंख्या प्रायः ५०१४२४ है, जिसमें प्राक्रमणके समय तथा उसके बाद भी बहुत समय तक | | ४४३३६० पर्थात् में कड़े ८८ समलमान, ४२६८३ हिन्दू . गकर जाति रावलपिण्डी और मलम में बहुत प्रवल परा- भोर १३८५० सिख तथा कुछ टीन है। हिन्दुमि बाधा, .... फ्रम तथा स्वाधीन भावमे राज्य करती थी। रावलपिण्डी, क्षत्रिय और परोरा पर्यात् रूपकजाति प्रधान तथा मुसल- . देखो। मुगल साम्राज्यकी उमतिके.समय गकर नृपतिगणमानोंमें जाठ, भावान, लक्षपा, महि, 'गुजर पोर मम्राट्के सबसे विश्वस्त और सम्धान्त सामन्तीम गिने 1. गर प्रधान है। .. . . .. ..... जाते थे। मुगलराज्य के अधःपतन बाद अन्यान्य समो. ___ झेलम, पिण्डदादनखा, लपवा, तन्नग १०.पवर्ती स्थानकी नाई भन्तम भी सिख.राज्यभुप्ता हुआ। और भाउन इन छह प्रधान नगरोंमें ..