पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/८३५

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-९६१ - मेलम् । मनुपाते। एनम मनम् और पिटादन प्रधान ! • नहीं, वधुतमे पसे रहित है। एक विषय पर चार वाणिज्यस्थान है। . . . . . 1. ट जानेमेही पन दरिद्र हो गये हैं। बहुममे मभान्स' कोटेछोटे गांवो घरमो प्रयवा कमी रेटकि बने । व्यक्तियोंने मम्ममि अपने पपने विषयको प्रमाने पाकमो कभी बड़े वह पयर दोयारम महों के माथ दे लिये एक उपाय सोच मिहाना है। परस्पर सहाय .. दिये जाते हैं। पभी धनयान मनुण कटे हुए चोरम प्रत्यर- पन्त तम जो उत्तराधिकारी जीतेगा, वशे मध सम्पत्ति . में घर और मस्जिद बनाते हैं। मम्मानों के द्वार तरह का अधिकारो होगा। . . .:. तर चित्रमिचितित ईसया घरका भीतरी भाग सुमन 'झलम्का एक एक ग्राम पन्यान्य स्थानों पामये । जित भी है। यहाँ मभी अपने घरको अत्यना परिकार बहत बड़ा है । यहामे पड़ा १००।१५. वर्ग मील ' . तक विम्त है। इनं ग्रामों के अधिपतिगष दूर दूमी गह और वानरा यहां अधिवामियोका पाद्य स्थानों के पधिरतियों में अधिक समतापय है। अधिकांग शुन्हरी, तगडम पीर जो भी कभी कभी काममें लाया स्यानमें हो उत्पन्न फमनमे मालगुजारो दो बातो। जाता है । यहाँके प्रायः ममो लोग मांस खाते हैं। मालगुजागेको भरम स्थानीदमे उत्पय तस्य । मे म जिलेकी २८१३ वर्ग मील जमोनर्गम प्राय: १९७४ । अंश तक है। ग्राम, मजदूर, माई, धोयो, प, कुम्हार वर्गमोन्नमें सेतो होतो पौर १७ वर्ग मोल रोतीके उप पादिको तनावाद अनाजमे हो चुका जातोहै। प्रति यु पधिकांग खेतमें गेह या पाजरा उपजाया वर्ष अनाज काटने समय काश्मोरमे बहुत मजदूर यहाँ जाता है। गेप जमोन उपयोगिसानुसार धान इत्यादि पा कर काम करते है और काम समाम होम पर पुनः . रोपा जाता है। घे खदेगको लौट आते हैं। . अमेरिकम युबके ममय यहा कपास बहुत उपजायो पाणिज्य झलम्चौर पिण्डदादन मगर समो जाती थी; किन्तु इसके बाद उसका मूल्य कम हो जाने जिलेके यापिण्यके दो प्रधान केन्द्र है। दक्षिण प्रदेश ६ कारणा रूपोंने पूर्य-कपि पयलम्पन की है। तोभो | का नमक मुनतान, मिन्धु पोर रायसपिण्डीमें गेह यहमि कपासको उपज बिलकुल नहीं गई है। भारत मादि अनाज, उत्तर ओर पथिमके पायंत्य प्रदेश रेगम सके सर तरह फल और साक-सलो पधिक उत्पय | और मूतोका कपड़ा नया मक प्रामपाम के चारों तरफ घोती है। में पोतल और ताके बरतन भेजे जाते हैं। मदीक गस्यक्षेत्रमै जस्त सीधने का कोई विस्टत उपाय नहीं | मुहानमे मुगतान तक पत्थर लाया जाता है। पंचाय. । रूपकगण नदी के किनारे भधया उपत्यकामें कुभां नर-टटरमये कमनोने तरकायालाको पत्थरकी चोद कर उससे अपनी अपनी जमीन सोचते हैं। एक / पान खरीट की हैं। इन्हीं पत्यगि लाहोरका प्रधान कुए या जलमे यदुत कम अमोन मींपो जाती है। किना। गिरना बनाया गया है। पहाडके यड़े बड़े बोममरगे नाय, रोतमें छपक्ष रतनो वाद देते और इतने यनसे जोसते हैं, रेन और वैनगाड़ी दाग दूमो म्यामि भने शांत है। कि यमरमें कोई न कोई फसल अवश्य हो हो जाती कार जिले के भीतर घूम घूम कर चमडा मंग्रह करते है। उत्तर भागको मालभूमिमें बहुत छोटे छोटे तड़ाग- । यदिया चमड़ा विदेयके निये कनकने में पीर को बंधा कर उनमें जन जमा किया माता पोर वमोमे घटिया पमृतमरमें भेजा जाता है। पामदनीम विला. रोत मीचा मामा.। किन्तु ऐमा करने में बहुत वर्ष यतो यापड़ा, अमृतमर और मुलतानमे धातु, कारमीरमे पड़ता है। मुसरा मामान्य रहस्य के लिये बहुत कठिन पगमी कपड़ा पोर पेगावरंगे मध्य एगियाका ध्यानात हो जाता है। बहुत परेशो राज्यमें अपनी सम्पत्ति | प्रधान है। काश्मीर के माय भोर भी पनेक सरहको । निरापद नाम फर यांध स्यार करत राम कारण यहां चोमोदी पौर यो नामोह. . , . पतीकी सविधा है । यह आपको. प्रधम्या मन्द | जिलेको मध्यस्य पर्यत पोकी नमको सान ... .. .