पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/८३९

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etc भोमट-आन्त भारोमे मागे सोनौलो अपर उठानेशा ! जाना।२ कुम्मनाना, मुरझामा । मियोहा एकदाप, भग्न । झोमना (पिकि.) सना देगी। मोर(E. T• Tir लो। {झोर (हि.पु.) , झंझट, नेहा । और मेर (EJ. सदर, पेट । | फटकार अमानीगा। और ( पु.), ममूहमंज, झादियों का | भोग्ना (हि.हि. ) नपा कर पदना, होप मा । मम । गेमियों या चांदो. मोनेके टानक गुच्छे झोग (Eि.पु.) पच. झंझट, बड़ा, पर। मटक ए. एक प्रकारका गहना। झोरे (Eि हि० ) १ ममीप, निकट, पाम। ३ मात झोमा (कि.) गुना, गुजारना। मंग. माय । झोंग (हि.पु.) मार देयो। मोक्षामा (Eि कि०) १ गुर्गना। ३ जोर पिड मोराना (Eि क्रि०) १ काना पड़ जाना, बदरंग हो । विहाना, कुढ़ना। अ-मंशा और हिन्दो प्यवनयर्ण का दाम पसर एवं माला मनापा सन्म दमा अपेत् । द्वितीय सर्गका पदम अक्षर। इसका उशारण स्यान तालु गोदारतात्र) प्रोर पनुनामिक है। एमका उत्पत्तिस्थान नामिकासुगत यधपका इस प्रकारमे ध्यान करके उगका मम्स ताला यह पार प्रमावा कानहारा उमाप्ति होता दग वार जपना चाहिये। इसके चारण, पाभ्यन्तरीण प्रयन जिज्ञा पन. कामधेनुतन्या अनुसार षकारका पक्ष्य-मा भाग पारा तात्तु मध्यभागका म्पर्ग तथा वाघमवय । शिपरम युमा, रसविद्य पताकार, परमगडनी, पञ्चदेय. घोप, मयार पोर नाद । परपमाण धमि परि मय, पञ्चप्राणामक, वितिसमन्पिस पोर घिमिन्दः गनित। ___मारकान्याममें यामहस्तकी पना.लिक अग्रभागमे कार्य के प्रारम्भमें रम पारका विन्याम करनमे भय न्याम किया जाता है। यमानामें इसकी नियन. पीर मृत्य. होतो है। प्रमालोम प्रकार है-""। म पारमें सूर्य, इन्दु "मयपरी प्रयो" (पृतर० टी०) पोर यात मर्षदा नियाम करते हैं। तम्यक मतमे इस- 1(म० पु.) १ गायन, गायक, गागेयाना। २. प. पर्याय या पाच गद-अकार, योधनी. विपा, ध्वनि, घर घरका गाद । ३ वनोपद, धेमा ४ धर्मपत. कुतो. मघट, वियत. योमारी, नायगानी, मया पधर्मा 1 ५ एफ 1 "मारो बोधनी पिंसा:" (बीमिपान) हमान, यक, मयंग, पमिता, बुद्धि, स्वर्गामा, अधर-पकार (म.पु.) अम्बापे कारः । न स्वरूपवर्ण । धनि. ध कपाट, समुप, यिरला, चन्दमेमरो, गायन, लि(म पु०) १ प्रत्यय पिरोप। यह प्रत्यय प्रेरणा में पुषधया, रागागा पोर यगधिषो। इसका ध्यान लगता और इसका इकार रहता है। २ धाराका पनुः फरमेने माधश गोधडी पभोट माम कर सकता है। अन्धवियप, यह पनुबंध वर्तमान प्रत्यययोधक्ष। धानका समाजमा प्रशिक्षिाम् । घ्यना (म. पु.) प्रि प्रतापगेयो पना यम्य, परमी। नानालारमा जटामुस्टारितान्। त्रि प्रत्ययाना, या प्रत्यय धारा और गम में पासपी निसा परदा म नाम् । मगता है। . . . . . . . रथम माग पम्पूर्ण