पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/९३

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. नय्य-जरत्कारु । अध्यमं० पि.) जि जे गया। जयकरणयोग्य, जो जरठ ( स० वि० ) जोर्य चनेनेति जर। ग . जीतने योग्य हो, फतह करने काशिन्त । | कठोर। २ पाण्ड. पोनापन लिये मफेद रंगशा! . मर (म० पु०) नभाव पप ११ जरा, हवावस्था। जरा देखे ।। ३ कठिन, कड़ा, साह । 8. बुहा । ५ जोग, पुराना २ नाग वा जीर्ण होनेको क्रिया। ३ एक तरहका (पु.)६ जरा, यढ़ापा।' समुद्रो सेवार, कचरा। ४ जैन मतानुमार वह कम | जरड़ी (म० नो०) अ-माहुलकात पड़ नतो गोरादिः . लिममे पाप पुण्य. राग हेप प्रादि शुभाशुभ कर्मी का क्षय त्वात् डोप । गाविशेष, जरड़ी नामको घास। म . मस्वत पर्याय-गर्मोटिका, सुनामा पऔर जयाया। घर (फा० पु.) १ स्वर्ण, मोना 1२ धन, दौलत, रुपया। इसके गुगा-मधुर, गोतल, सारक, दाहनामक स मरई (हिं. वो.) १ अयविगेप, जई नामका अनाज । दोषनाशक और रुचिकर । इमक खानेमे गाय भैम पधिक २धान प्रादिक व बोज जिनमें अडर निकले हो।। दूध देती है। ____धानको दो दिन तक दिनमें दो बार पानी में भिगो कर जरण (सं• लो. ) जरयतीति ज-णिःस्यु । . तोपर दिन उमे पयालसे टक देते है और अपरमे पत्थर हींग। २ कुण्ठोषध। खतजोरक, सफेद मोरा। . दवा देते हैं। उमको मारना कहते हैं। दो एक दिन ४ जोरक, जीरा । ५ कृष्ण जीरफ, काला ओरा। टको रहने के बाद पयान्न उठा देना चाहिए। फिर उसमें ६ मोवल लवण, काला नमक । ७कासमद, मफेद सफेद पार निकल पाते हैं। कभी कभी इन कमोजा १८जरा, बढ़ाया। दश प्रकारके पक्षणों मे .. योजीको फेला कर सुखाते हैं। ऐसे बोजोको जरई | एक । इसमें पथिम पोरसे मोक्ष होना प्रारंभ होता। . कहते हैं। यह जरई खेतमें धोने के काम पातो है और (वि.) १० जीर्ण, पुगना। जल्दी जमतो है। कभी कभी धानको मुजारीको भो मा। जरणाष्टम (म. पु०) जरणो जीणों: ट्रमः। पालका बन्द प नोमें डाल देते हैं और तोन चार दिन बाद उमे हत, साग्लू का पेड़। २ सागौनका पेड़। जोतते हैं। उस ममय तक वे योज जरई हो जाते हैं। जरणा ( स० मी. ) जापटार, १ जीरक, काला . .' जरक (मलो०) शि, हींग। मोरा। २ जीर्ण । हत्व.युदापी । ४ जरा, रावस्था। मरकटो (M• पु०) एक गिकारो पनो। । ५ मोक्ष, मुक्ति। ६ स्तुति, प्रगसा, तारोफ। जरकम ( फा० पु.)जिम पर मोनेके तार लगे हो। जाणि ( वि.) मतिकारक, प्रससा करनेवासा ।। अरसेन ( फा०वि०) उर्वरा, उपजाऊ। . जाणिपिया (स० वि०)स्थतिकारक, तारोफ करनेवाला। सरग (फागो.) राजपूताने में होनेवालो एक प्रकारको | जरगड ( म०वि०) नोण, पुराना। घाम। चौपाये रमे बड़े चाय में पाते। यह खेतों में जरण्या (सं. नी.) जरा, दहावस्या, बुढ़ापा। कियारियां पना फर मोई जातो है छठे या मानवे ! जरप्य, ( म नि०) पाममा वर स्तुति पनि दिन इसमें जनकी पावग्यकता पड़ती । यह पन्द्रव क्या ठन् । जो अपना प्रसा चाहता हो। दिनमें काटो जामकती है। इसी तरह एक बार होने पर यह कई मधोमो तक घनतोमो पानिने न अरत् (२।२०) जपान। १९, डहा। २ पुरातमा । पुराना। (पु.) जरतोति गट हा बहुम जल्द बनयान हो जाते हैं। मनुशा गरज (हि.पु.) एक प्रकारका कन्द। यह तरकारी । मरतो (म स्तो.) जर डोप , मुटो पोरत। काममें पासाम के दो मैदा एकको जगाना जरत्कर्ण (म0पु0) एक पेदिक पिका माम. . या ममोसो सरह पीर परेको नई गनगमको तर जरत्कारु (म.पु.) १ एक मविका माम, यायावर "atsपमा दार कामशितम्। . . . बरजर (हि.वि. र दे।। शरीts स्वातिर सीमानले भने ।