पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/९९

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८ जरमांन-जरातुर जरमान ( स० पु० ) एक पटपिका नाम। जो मद्यमांस, दुग्ध और घृत भोजन करते, भूखडे । जरमुधा (Eि थि०) १ बहुत ईर्या करनेवाला. जल | समय आहार, प्यासके समय पानी गैर नित्य साम्ब न मरनेवाला । (पु.)२ एक गली जिसे 'जादातर स्त्रियां | भक्षण करते, हेयङ्गवोन (हालका बना हुआ घो) और कहती है। नवनीत नियमित भोजन करते हैं तथा जो शुष्कमांस, . जरमुई (हि.वि.) जरंमुभाका स्त्रीलिङ्ग 1 - श्रद्धा स्त्रो, नवोदित रौद्र, तरुण दधि और रात्रिमें दही, . ___ जरमुभा देखे। रज:स्वला, यलो, ऋतुहीना वा अरजस्का नारीका जरयिट (सं० वि०. जरणकारी, निगलने या लानेवाला। सेवन नहीं करते, ऐसे लोगों पर जरा अपने भाईयो । जरयु (सं० त्रि.) जो शुद्ध होता जा रहा हो। सहित आक्रमण नहीं कर सकती। जो लोग उक्त नियमित जरह (अ० पु०) १६ नि, नुकसान । प्राघात, चोट ।। विरुद्ध आचरण करते हैं, उनके शरीरमें जरा सर्वदा । ३ विपत्ति, आफत, मुमोधत। वास करती है। (ब्रह्मवैवर्तपुराग १६।३३ ५५) . जरत ( हिं० स्त्रो०) मध्यप्रदेश और धु'देलखंडमें होने ३ एक कामरूपा राक्षमी, जो मगध देशके. एक वाली एक प्रकारको घास, यह बारहों महीने होती श्मशान में रहती थी। इस राक्षसोने जरासन्धका पा आधे शरीरको जोड़ कर उन्हें जिलाया था। अरासन्ध जरस ( लो०) १ जरा, वृद्धावस्था 1 (पु.)२ देखे।। यह राक्षसी प्रत्येकके घर जातो थी, इसलिए . : थोकणके एक पुत्र का नाम। ब्रह्माने इसका नाम ग्रहदेवो रखा था। जो व्यक्ति नरमान ( स० पु०) जोयति जरांग्रस्तो भवतीति ज़ क्यो. इसको नवयौवनमम्पन्न मपुत्र मूर्ति को अपने घरमें । हानी असानच् । पुरुष, मनुष्य । लिख रखेगा, उसका घर सदा धनधान्य और पुत्रपौवादि. जरांकुश (हि. पु० ) एक प्रकारको सुगन्धित घास। यह - से परिपूर्ण रहेगा। इसी राक्षसोका नाम पप्ठोदेवी है। मुंजी की तरह होती है। इसमें नीबूकोसो संगन्ध पाती है। (भारत भादि०) इससे एक प्रकारका तेल निकलता है। साबुन या किमो (पु.) ४ एक व्याधका नाम। थोकणु जब यदु. दूसरी चोभमें इसका तेल देनमे नोवूसी महक पाती है। वंश ध्व'शके उपरान्त वृक्ष को नीचे मौन भावसे सिष्ठते जरा (स' स्त्रो. ) जोय त्यनयाज-गड । पिभिदादिभ्यो । थे, उस समय इमाणाधने मृगक भ्रमसे उन्हें तीर मारा । पा ३1४. | ऋशोऽविः गुणः । पा.६ | था, जिससे उनका वध हो गया। कहा जाता है कि इति गुग्यः । १ अमावस्था, वाई क्य, बुढ़ापा । २ कालकी | यह व्याध हापर, अगदके अवतार थे । (भाग०) ओन कन्याका नाम । पर्याय विमुसा ( भागवत ) | हरिवंशपुराणमें उक्त व्याधका जार मार नाम लिखा है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के मतंमें-कालकी कग्या नगदेवों | क्षोरिका वृक्ष खिरनीका पेड़। (शन्दर) (स्तो.) चतुःपठी रोग इत्यादि भातापोंके सायं पृथिवो पर सति, प्रशंसा (क् 11८1१३७) ७ अप्रियवादिनी स्त्रो, . . सदा परिभ्रमण करतो रहती है। यह मौका पाते हो दुर्घचन कहनेवालो औरत . ( चाणक्य ) . लोगों पर पाक्रमण करतो रहती हैं। जो व्यक्ति प्रतिदिन | नरा (प्र. वि.) १ कम, थोड़ा। (मि० वि०) २ थोड़ा, । प्रांखीम पानी देते, व्यायाम करते. पैरके अधोभाग, कान, कम । घऔर मस्तक पर तेल लगाते, वमन्त ऋतुम सुबह-गाम | जराकुमार (स' पु०) नरामध। .. भ्रमग फरसे,न्ययासमय वाला स्त्रीले सम्भोग करते, ठण्डे | जराग्रस्त (मं० वि०) जरया ग्रस्तः । जराभिमूत, हा हा. पानीसे नहात, चन्दनका तेल लगाते, गन्दै पानीका | जरातो ((हिं. पु. ) चार बार उड़ाया हुआ गोरा! . व्यवहार नहीं करते समय पर भोजन करते, भरतसत. जरातुर (10 त्रि०) नरया पातुम् । १ जीर्ण, पुराना, भो में घाममे येयते गरमियोम - वायुसेवन करते, परसातमें : बहुत दिनोंका हो। २ अरारोगग्रस्त, जिमे बरामस्थाका गरम पानी से नहाते और हरिके जनमे बचते हैं। तया | रोग हुआ हो।