पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/१००

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मुवारकबाद-मुबारकशाह यह बात कही गई.। इस पर मुवारक खाँ रोने लगा।। इकट्ठा करने लगा। इसके बाद उसने लाहोरको घेर अरव खांने मुवारक पर रहम खा कर या मुवारक खांके | कर वहांके शासनकर्ता मुगल जिराक खांको कैद कर वखशीश देनेके लालचमें आ कर कैदसे मुक्त कर दिया। लिया। पीछे उसने सरहिन्द पर भी आक्रमण किया था। यह दोनों नङ्गो तलवार ले कर दरवारमें पहुंच गये। इसके उपरान्त सम्राट् मुवारकशाह सेनाके साथ वहाँके पहरेदार इधर-उधर चले गये थे। कोई न मिला | दिल्लीसे सरहिन्द में आया। यह खबर सुन कर गक्करोंके कि मुवारकं खांको रोकता। सरदारों तथा दरवारियोंसे दो नेता यशराज या यशरथ नगर छोड़ कर लुधियानाको एक हाश चली, फिर सब भाग खड़े हुए। फल यह भाग गया। इस अवसर पर जिराक खां भी कैदसे हुआ, कि मुवारक खाने तख्न पर कब्जा किया और छुट गया और मुवारकशाहके साथ आ मिला । सन् अपने भतीजेको नजरबन्द कर लिया। १४२१ ई०की ८ अक्त वरको वादशाहको फौजोंसे गक्करों- .. · इसके बाद मुवारक खाने एक फरमान निकाल कर | लड़ाई हुई । इस लड़ाई में गकरोंके सरदार बुरी तरहसे सरदारोंको सचित किया. कि मैं अपने भतीजेकी नावा- हार चन्द्रभागा नदोको पार कर पहाड़ीमें जा कर छिप लगो राज्यका शासन करूगा । जो मेरी वश्यता स्वीकार गया। मुहर्रम निकट था इससे मुवारकशाह अपनी राजधानी दिल्ली लौट गया। करेंगे वही सरदार पद पर रह सकेंगे। यह सुन कर ____ इधर वादशाह मुवारक अभी दिल्ली भो न पहुंचा सरदार लोग डर गये, देखा अवस्या शोचनीय है। । था, तब तक उधर यशरथने फिर लाहार पर आक्रमण लाचार हो कर उन लोगोंको आना पडा, सोने अधीनता | किया और वहां घेरा डाल दिया। उसका यह घेरा खोकार को और एक एक कर आ कर सलाम बजा कर छः महीने तक रहा। किन्तु उसको चहारदीवारी वड़ो अपनी हाजिरी कराई। धीरे धीरे मुवारक खांकी चल मजबूत थो, इससे उस नगरका यशरथ कुछ भी विगाड़ गई। रुपया भी इन्हींके नाम पर ढलने लगा। इसके | न सका। फिर वहांसे आ कर उसने जम्बू पर आक्र- वाद तो मुवारक खां नहीं, बल्कि मुवारकशाहके नामसे मण किया। किन्तु सफलीभूत न हो कर फिर फौज रियासतको सलतनत करने लगे। - एकही करने लगा। जिस समय यशरथ विपाशा नदी मुवारकबाद (फा० पु०) वधाई, किसी संवधी, इष्टमित्र । - को पार कर अपने कार्यमें तत्पर था उस समय लाहोर आदिक यहां पुत्र होने पर आनन्द प्रकट करनेवाला । और जम्बूके वीरोंने आ कर शाहीको पलटनका साथ वचन या सन्दे सा। दिया। सवोंने यशरथका पीछा किया, किन्तु उसको 'मुबारकवादी (फा. स्त्रो०) १ वधाई । २ वे गीत आदि जो शुभ अवसरों पर बधाई देने के लिये गाए जाय। । कौन पा सकता था। वह फिर पहाड़की गुफाओंमें जा मुवारकशाह-सैयदवंशके दिल्ली के सम्राट । खिलजी खां- । कर छिप रहा। इसके बादशाही सैन्यने कलानूर आ कर निरीह गक्करोंको वड़ा तंग किया। इस अत्याचार- को मृत्युके बाद उसका पुत्र मुवारक मैजूदोन, अवदुल से कितनों होने अपने प्राण विसर्जन किये। इसके बाद फतेह मुवारकशाहका खिताव ले कर सन् १४२१ ई०में शाही फौज लौट गई । किन्तु इससे यशरथ अपने तख्त नसीन हुआ। उसने तख्त पर बैठते ही लाहोर तथा दियालपुरका शासन-भार मालिक रजवके हाथ, काय्यैसे विरत नहीं हुआ।. वादशाहको फौज दिल्ली सौंप दिया। इस समय पञ्जाबको गकर जाति बड़ी पहुंचते न पहुंचते यशस्थ फिर समरक्षेत्रमें कूद पड़ा। प्रभावान्वित हो उठी। इसका नेता यशराज ठट्ट आदि उसने धारह हजार फौजोंको साथ ले कर जम्बूके राजा स्थानोंको लूट पाट कर जम्बू आ गया । यहांके मीर- भोमरायको मार कर लाहोर तथा दियालपुर पर कब्जा राज अलीशाहको हरा कर उसने कैद कर लिया। उसका कर लिया। यशरथको मालूम हो गया कि मालिक सिकन्दर उसकी ओर फौज़ोंको ले कर चढ़ा चला आ 'मनसूबा बढ़ा । सारे हिन्दुस्थानको दखल कर लेनेके | रहा है, तब वह अपनो लूटी हुई सम्पत्तिको ले कर फिर ख्यालसे वह दिल्ली पर चढ़ाई करनेके लिये फौजोंको! पहाड़ी गुफामें जा छिप गया। . Vil, XVIII. .