पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/१०१

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मुबारकशाह खिलजी-मुवारिज उल मुल्क मुवारकशाहकी अमलदारोमें यशरथ चार वार नामसे दिल्लीके सिंहासन पर बैठा । मुबारकक उत्पात मचाया करता था। सन् १४२७ ई०में यशरथने ) शासनकालसे ही भारतवर्ष में खिलजी-राजवंशका अब- कलानूर आ कर सिकन्दरको हराया और सिकन्दरको सान हुआ। लाचार हो कर लाहोर भाग जाना पड़ा । बादशाह मुवा- मुवारकशाह शकी - जौनपुरका एक शकी घंशीय शासन- रकशाहने सिकन्दरको सहायताके लिये फौजें भेजो, कर्त्ता। इसका असल नाम मालिक घासिल ( कर्ण उससे पहले हो यशरथने उसे पराजित कर उनको धन फल ) था। खाजा जहान शकोंने इसे गोद लिया था। सम्पत्ति लूट ली थी। १४०१ ई०में यह सिंहासन पर बैठा। सन् १४२६ ई०में कावूलके अमीर शेख अलीने पञ्जाव | इस समय दिल्ली राजसरकारमें अराजकता और पर माक्रमण किया । ऐसा सुयोग पा कर गकरोंने | विश्ङ्खलताको प्रवल देख मुवारकने स्वाधीनता अव- शेखमलीके साथ मिल कर लाहोरमें कई तरहके उपद्रव लम्बन कर अपने मन्त्रियोंकी सलाहले सरताज पहना किये थे। फिरिस्ताके पढ़नेसे मालूम होता है, कि इस और अपने नामसे सिक्का चलाया। १८ मास राज्य काण्डमें कोई चालीस हजार हिन्दू मारे गये थे। शेख करने के बाद इसका देहान्त हुआ। पीछे १४०१ ई० अली मुगल सैन्य ले कर इरावती नदीके किनारे सुल। इसका छोटा भाई इब्राहिम शाह राजसिंहासन पर अधि- तान पर आक्रमण करनेके लिये अग्रसर हुआ। पञ्जाव रूढ़ हुआ। वासियोंने बड़ो करतासे युद्ध किया था। बड़ो घनघोर मुबारक शेख-मुनवा-उल-आयून नामक कुरानका टोका- लड़ाई हुई। अन्तमें मुगलोकी गहरो हार हुई। आधेसे कार । यह सम्राट अकवर शाहके विख्यात मन्त्री अधिक मुगल मारे गये । भागनेसे जो वचे, वह भी | आईन-इ अवरोके प्रणेता अबुल फजल और लेख फैजी- झेलम नदीमें कूद पड़े और डूब गये । मोर शेखभली का पिता था। नागोरमें इसका घर था। इसके कुछ नोकरोंके साथ अपना सा मुंह ले कर घर भागे। पिता सेख मूसा तुकै जातिके थे। १५०५ ई०में इसका सन् १४३२ ई० मालिक यशरथ और शेख अमीर जन्म और १५९३ ई०में लाहोर नगरमें देहान्त हुआ। अलोने फिर मिल पार पक्षाव पर आक्रमण किया। इस लाश आगरा नगरमे दफनाई गई थी। चार भी वादशाहके रणचातुर्यसे अमीरको मुहकी खानो मुवारिज उल-मुल्क-इदरका एक शासनकर्ता । इसका पड़ी। षड़यन्त्रकारियों द्वारा मुवारकशाह मसजिदमें | असल नाम मालिक होसेन वामनी था। लोग इसे नमाज पढ़ते समय मारे गये। इन्होंने कुल तेरह वर्ष । निजाम-उल-मुल्क कहा करते थे। श्य सुलतान मुज-" तीन महीना राज्य किया था। फ्फरने इसे इदरका शासनकर्ता बनाया। यह अत्यंत मुवारकशाह खिलजी--दिल्लीका एक मुसलमान सुलतान | साहसी था। सुलतान मुजफ्फरने जो इसे इद्रका इसका असल नाम कुतुव उद्दीन था। पिता अलाउद्दान | शासनकर्ता बनाया था, इससे उसके वजीर लोग बड़े खिलजोके मरने पर यह १३१७ ई०में दिल्लीके सिंहासन अप्रसन्न थे। उसे पदच्युत करनेकी ताकमें वे सबके पर बैठा। इस समय छोटे भाई साहबुद्दोन उमर खाके सव लग गये। साथ इसका विवाद खड़ा हुआ। फलतः उमर खांके एक दिन निजाम-उल मुल्कके सामने एक व्यक्ति राणा- पृष्ठपोषक अलाउद्दीनका काफूर नामक एक क्रीतदास के वलविक्रमको प्रशंसा कर रहा था, इस पर निजामने एक कुत्तेको ओर इशारा करते हुए कहा, 'राणाको धिक्कार मारा गया। सुप्रसिद्ध पारसी कवि अमीर खुशरूने मुवारकशाह है, कि वह इदर भा कर मेरा मुकाबला करे, नहीं तो मैं का गुणग्राम वर्णन कर यथेष्ट पुरस्कार पाया। उसे यही कुत्ता समझगा। जब यह खवर राणाके कानों में . १३११ ईमें मालिक खुशरू नामक इसके एक पहुची, तब वे आगदवुले हो गये और उसो समय दल. विश्वस्त क्रीतदासने इसे मार डाला और खुशरू शाह । वलके साथ इदरकी चड़ाई कर दी।