पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/१०५

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२०२ मुरछल-मुरली मुरछल (हि० पु०.) मोरछल देखो।" | मुरदासंख (फा० पु०) औषधविशेष ,। यह फूके हुए मुरछा ( हि० स्त्रो०) मूर्ची देखी। सीसे और सिन्दूरसे बनता है। मुरज सं० पु० , मुरात् संवेष्टनात् जायतेऽसौ मुर-जन- मुरदासिंघी (हिं० स्त्री० ) मुरदासंख देखो। ड। मृदङ्ग, पखावज । मुरद्विषु (सं० पु०) मुरं द्वष्टो द्विष् क्विप् । कृष्ण, मुरजफल (सं० पु०) मुरजवत् फममस्य । पनमवृक्ष, | मुरारि । कटहलका पेड़। मुरधर (हिं० पु०) मारवाड़ देशका प्राचीन नाम । भुरजित् (सं० पु० ) मुरं जयति जि-क्विप्, तुक् च । मुर | मुरन्दला (सं० स्त्री०) मुरं वेष्टनं सेतु दलति भिनत्ति, नामक राक्षसको जीतनेवाला, श्रीकृष्ण । दल-अच् स्त्रियां टाप् । नर्मदा नदी। मुरझाना (हिं० क्रि०) १ फूल या पत्ती आदिका कुम्ह मुरना ( हिं० क्रि० ) मुड़ना देखो। लाना, सूखने पर होना। २ सुस्त हो जाना, उदास | | मुरब्बा (अ० पु०) चीनी या मिसरो आदिकी चाशनीमें होना। रक्षित किया हुआ फलों या मेवों आदिका पाक। यह मुरड़ ( हि० पु० ) अभिमान, अहंकार । उत्तम पदार्थोंमे माना जाता है। विशेष विवरण मिष्टपाक मुरड़की ( हिं० स्त्री०) मरोड़ देखो। शब्दमें देखो । २ ऐसा चतुष्कोण जिसके चारों भुज मुरण्ड (सं० पु० ) मुरेण वेष्टनेन अन्त इव गोलाकृतिरिव, | वरावर हो। ३ किसी अंकको उसी अंकसे गुणन शकन्ध्वादित्वादकारलोपः। १ लम्पक देश । ३ वहाँकी | करनेसे प्राप्त फल, वर्ग। (वि०) ४ उसी अंफसे गुणन भूमि । द्वारा प्राप्त, वर्गीकृत। मुरतंगा (हिं० पु.) आसाम, बंगाल और चनोममें | मुरब्बी (३० पु०) १ पालन करनेवाला । २ आश्रयदाता, मिलनेवाला एक प्रकारका ऊंचा पेड़। इसके हीरको | रक्षक। २ सहायक, मददगार । लकडी लाल और कडी होती है। इससे सजावटके | मुरमर्दन ( सं० पु०) मुरं तन्नामानमसुरं मृद्नाति चूणी- सामान बनाए जाते हैं। फरोतीति, मृद्-ल्यु । विष्णु, मुरारि। . मुररिपु (सं० पु०) मुरस्य रिपुः। मुरारि।। मुरतहिन (अ० पु० ) वह जिसके पास कोई वस्तु रेहन | मुरल (सं० पु०) १ मत्स्यविशेष, एक प्रकारको मछली। या गिरों रखी जाय, रेहनदार।। गुण-वृहण, वृष्य, स्तन्य, और श्लेष्मवर्द्धक । २ मुरता (हिं० पु०) पूर्वी वङ्गाल और आसाममै मिलनेवाला प्राचीनकालका एक प्रकारका वाजा। इस पर चमड़ा एक प्रकारका जंगली भाड़। इससे प्रायः चटाई वा मढ़ा हुआ होता था। सीतलपाटी बनाई जाती है। मुरला (सं० स्त्री० ) मुरं वेष्टनं लाति ला क। नर्मदा- मुरदर (सं० पु०) मुरारि, श्रीकृष्ण । नदी। मुरदा ( फा० पु०) १ मृतक, वह जो मर गया हो। (वि०) "मुरला मासतोद्धृतमगमत् कैतकं रजः ।" २ मृत, मरा हुआ। ३ जो बहुत ही दुवैल हो। ४ मुर- (रघु० ४।५५) झाया हुआ, कुम्हलाया हुआ। २ केरल देशशी काली नामकी नदो । मुरदार (फा० वि०) १ मृत, अपनी मौतसे मरा हुआ। मुरलिका (सं० स्त्री०) मुरली, वाँसुरो। २ अपवित्र । ३ वेदम, बेजान । फा० पु०) ४ वह मुरली (सं० स्त्री० ) मुरं अंगुलि वेष्टनं लाति प्राप्नोतीति जानवर जो अपनी मौतसे मरा हो और जिसका मांस ला क स्त्रियां डोष । बाँसुरी नामका प्रसिद्ध वाजा जो खाया न जा सकता हो। मुहसे बजाया जाता है। संस्कृत पर्याय-वंशो, वंशिका, वंशमालिका, सानेयिका, सानेयो, सानिका, मुरलासिका। मुरदारी (फा० पु०) अपनो मौतसे मरे हुए जानवरका | | श्रीकृष्णजी इस मुरलिको वजाते थे। चमड़ा।