पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/१०८

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१०५ मुरादावाद 'बाद ही यह स्थान स्थानीय शासन केन्द्ररूपमे ले लिया राजकर्मचारियोंको परास्त और सम्बल दुर्गमे कैद किया। गया। १२६६ ई०पे गयासुद्दीन बलवनने इस जिले पर : इस संवादसे उत्तेजित हो वादशाहने हुसेन खाँ नामक चढ़ाई कर दी। अमरोहा जीत कर उसने हिन्दू अधि- एक सेनापतिको उन लोगोंके विरुद्ध भेजा। मुगल-सेना- चामियोंको कत्ल करनेका हुकुम दे दिया । कठा रोहिल के पहुंचने पर वे सम्बलपुरको छोड़ कर अमरोहाकी खण्ड ) के राजाराय ककराने जब स्थानीय शासनकर्त्ता ओर भाग गये। मुगल-सेनापतिके पीछा करने पर उन्हों- का काम तमाम किया, तव १३६५ ई में फिरोज तुगलक ने गङ्गा नदी पार कर जान बचाई। ने उस पर हमला कर दिया सम्राटके आनेको खबर सुन, सम्राट शाहजहांने रुसतम खाँ नामक एक मुसलमान- कर राय ककरा डर गया और कुमायुनको ओर भागा।। को कठार प्रदेशका शासनकर्ता बनाया। उसने १६२५ अनन्तर सम्राट्ने उसको राजधानीको लूट कर मालिक | ई०में पहले अपने नाम पर, कुछ वर्ष पीछे उसे वदल कर खिताव नामक एक मुसलमानके हाथ वहांका शामनभार मुराद शाहके नाम पर मुराद नगर वसाया था। शाह- सौंपा और आप दिल्लीको चल दिये । १४०३ ई०मे जौन- ' जादा मुराद पोछे औरङ्गजेबके हाथ मारा गया। पुरका विकात सुलतान इब्राहिम सम्वल नगरको जीत औरङ्गजेवकी मृत्युके वाद जव मुगल-शक्तिका हास कर वहां अपना प्रतिनिधि छोड़ आया । इसके चार वर्ष । हुआ, तव कठारिया लोग विद्रोही हो कर कुछ समयके पीछे दिल्लीश्वर फिरोज तुगलकने जौनपुरके राजाको हरा । लिये स्वाधीनता रक्षामें समर्थ हुए थे। इस समय कर यह स्थान दिल्लीमें मिला लिया । १४७३ ई०में जौन- मुसलमान शासनकर्ता कन्नौज नगरमे राजपाट उठा ले पुर-राजवंशधर सुलतान हुसेनने सन्बल नगरमे अपनी गये । १७३५ ई०में सम्राट महम्मदशाहने इस प्रदेशको विजय पताका फहराई थी। इसके वाद १४६८ ई०में पुनः जोन कर मुरादावादमें मुगल-सहकारी नियुक्त किया सम्राट सिकन्दर लोदीने इस जिलेको फिरसे जीत कर था। इसके बाद प्रायः ११ वर्ष तक रोहिलोंके दिल्ली दिल्ली साम्राज्यमे मिला लिया। सम्राट सिकन्दर चार वर्ष सम्राटोंकी अधीनता स्वीकार करने पर भी सच पूछिये तक सम्बलनगरमें रहे थे। पोछे इस स्थानका शासन । तो वे यहां स्वाधीनभावमें शासनविधिको रक्षा कर कार्य दिल्ली-सरकारके अधीन सामन्त सरदारों द्वारा गये हैं। परिचालित होने लगा। १७४४ ईमे मुरादावाद अयोध्याके वजीरके हाथ १६वों शताव्दोके मध्य भागमे सम्बलके शासनकर्ता आया । १८०१ ई०में अगरेजोंने इस पर अपना अधि- अहिया मरणने सुलतान महम्मद आदिलके विरुद्ध अस्त्र कार जमाया। पोछे १८५७ ई०के गदर तक यहां कोई धारण किया। उसका दमन करनेके लिये दिल्लीश्वरने सेना उल्लेखनीय घटना नहीं हुई। भेजी थी। किन्तु युद्ध में शाही सेना हार कर भागी। इसी सालको १२वीं मईको मीरटका विद्रोह संवाद दूसरे वर्ष कारिया सरदार राजा मित्रसेनके सम्वल- यहां तक फैल गया। १८वीं मईको मुजफफा नगरका नगर पर चढ़ाई करनेसे अहिया मरणने उनके विरुद्ध विद्रोहि-दल पकड़ा गया । दूसरे दिन २६ नं के देशी युद्धयात्रा की। कुण्डारखो नामक स्थानमें दोनों दलमें- पदातिक दलने विद्रोही हो कर कारागारको तोड़ फोड़ धनबोर युद्ध हुआ। आखिर मित्रसेन हार कर भागे। डाला । २१वीं मईको उन्होंने अश्वारोही सेनादलके साथ ___ सम्राट हुमायुन्के शासनकालमें अली कुली खाँ | मिल लर रामपुरके विद्रोहियोंको मार भगाया । ३१ सम्बलका शासनकर्ता था। इस समय स्वाधीन कठा- मईक्वो रामपुरका घुड़सवार दल वुलन्दशहरसे लौटा । रियोंने वागी हो कर सम्वल नगर पर चढ़ाई कर दी। दूसरे दिन वरेली और शाहजहान् पुर जा विद्रोहसंवाद मुगल शासनकतोके हाथ हिन्दूसेनादल अच्छी तरह जव मुरादावादके चारों ओर फैल गया, तव री जूनको पराजित हुआ था। १५६६ ई०मे तैमुरके वंशधर कुछ देशी पदाति दलने अङ्ग्रेज कर्मचारियोंके ऊपर गोला मिर्जाने सम्राट अकबर शाहके विरोधी हो कर सम्वलके वरसाना शुरू कर दिया। अङ्ग्रेज-दल कोई उपाय न Vol, XVIII. 27