पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/११३

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११० मुराअंत-मुम मुरौशन ( अ० स्त्रो० ) मुरौवत देखो। स्थान तक जाना। ३ मृतकको अन्त्येष्टिक्रियाके लिये मुसैवत (अ० स्त्री० ) १ शील, लिहाज । २ भलमानसी, जानेवालोंका समूह । आदमीयत। मुर्दा ( फा० पु० ) मुरदा देखो। मुन (फा० पु० ) मुरगा देखो। मुफरास-बङ्गालको डोम जातिकी शाखाविशेष। ये मुकेश ( फा० पु०) मरसेकी जातिका एक पौधा। लोग श्मशानमें शवदाहका कार्य करते हैं। इनका कार्य इसमें मुरगेको चोटीके-से गहरे लाल रंगके चौड़े चौड़े। गङ्गापुत्रोंके जैसा है। किन्तु गगापुत्रों का आदर मुर्दा फूल लगते हैं। इसका दूसरा नाम जटाधारी भी है। फराससे कुछ अधिक है। मुर्गखाना ( फा० पु०) मुरगोंके रहने के लिये बनाया हुआ मुर्दावली (फा० स्त्रो०) १ मुनी देखे । (वि०) २ मृतकके स्थान। | सम्बन्धका, मुरदेका। मुर्गावो (फो० पु०) मुरगाची देखो। मुसिंगी (फा० पु० ) मुरदासंख देखो। मुगोंदवम्बई प्रदेशके वेलगाम जिलान्तर्गत एक नगर। मुर्मि-असभ्य जातिविशेष । इन्हें तमभूटिया कहते हैं। यह अक्षा० १५५३ उ० तथा देशा० ७४.५६ पू० बेल- ये लोग मोङ्गालोय जातिसे उत्पन्न हुए हैं। अति प्राचीन गाम शहरसें २७ मोल पूर्वमें अवस्थित है। जनसंख्या , कालमें ये नेपालमें आ कर वस गये हैं। आकार प्रकार पांच हजारसे ऊपर है। यहांके सूती कपड़े का वाणिज्य देखनेसे पे तिब्बतोय जातिसे उत्पन्न मालम देते हैं। ही प्रधान है। प्रति वर्ष मल्लिकार्जुन-मन्दिर में चिदम्ब- ' हिमालय प्रदेशीय सकल जातिकी तरह इनके मध्य भनेक रेश्वरके उपलक्षमें छः दिन तक मेला लगता है। १५६५ : थर वा गोत्र हैं। सगोत्र में विवाह नहीं होता। ममेरा ई०में तालीकोटाकी लड़ाई के बाद सिरसङ्गोके वर्तमान चचेरा अर्थात् पितृपक्षमें सात पीढ़ी वाद दे कर विवाह सर देसाई के पूर्वपुरुष वित्त गौड ने शहर पर अधिकार । होता है। मातृगोत्रके सम्बन्धमें कोई नियम नहीं है। जमाण । उसको मृत्युके बाद यह शिवाजीके हाथ लगा। ये लोग मातृगोत्रके आत्मीयके साथ बेरोकटोक विवाह शहरमें एक बालक और एक बालिकाका स्कूल है। । कर सकते हैं। इन लोगोंके मध्य पोष्यपुत्रको तरह मुर्चा (फा० पु० ) मोरचा देखो। पौष्यभ्रातु ग्रहण करनेका नियम है। जिस किसी व्यक्ति- मुतकिवं ( अ० वि० ) अपराध करनेवाला, कसूरदार। को ये भाई बना सकते हैं। पहले जिसको भ्रातृरूपमें मुर्ताजपुर-१ वरार राज्यके अमरावती जिलान्तर्गत एक प्रहण करना होगा उसे सूचना दी जाती है। पीठे तालुक। यह अक्षा० २०२६ से २० ५३° उ० तथा मंजूर करने पर एक दूसरेको उपहार देता है । अनन्तर देशा० ७७ १८ से ७७"४७ पू०के मध्य अवस्थित है। पुरोहित आ कर पोध्यभ्राताको गोलान्तरित करते हैं। जनसंख्या लाखसे ऊपर है। इसमें मुर्त्ताजपुर और जो जिसका भ्राता होगा उसे उसके सामने खड़ा हो कर करञ्जवीवो नामक दो शहर और २६० ग्राम लगते हैं। एक एक रुपया अइल बदल करना होता है और विवाह: २ उक्त तालुकका एक शहर । यह अक्षा० २०४४ प्रथाकी रह एक दूसरेको कपालमें दहोका तिलक उ० तथा देशा० ७७ २५ पू०के मध्य अवस्थित है। लगाता है। इस कार्य में पुरोहितको एक रुपया दक्षिणामें आवादी ६ हजारसे ऊपर है। अमदनगरके मुतज देना होता है। सबसे अन्तमै आत्मीयगणको भोज निजाम शाहके नाम पर इसका नामकरण हुआ है। यहां दिया जाता है। इस प्रकार संस्कार पूर्वक जो भ्रातुं. • सूतो कपड़े का अच्छा कारोवार होता है। भावमें ग्रहण किया जाता है वह तव सगोत्रको मध्य परि- मुदनी (फा० स्त्री) १ आकृतिका वह विकार जो मरने- णत हो जाता है। कोई उसका नाम ले कर पुकार के समय अथवा मृत्युके कारण होता है, मुख पर प्रकट नहीं सकता। पोष्यभ्राता अपनी भ्रातृपत्नी के साथ वात- होनेवाले मृत्युके चिह्न । २ शवके साथ उसकी अन्त्येष्टि । चीत नहीं कर सकता तथा सात पोढ़ी जब तक नहीं क्रियाके लिये जाना, मुर्देके साथ उसे गाड़ने वा जलानेके वितती तव तक आदान प्रदान नहीं होता। यदि कोई