पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/११५

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मुर्मुर-मुर्शिद कुली खाँ दार्जिलिङ्गके चायके बगीचों में बहुत से मुर्मि काम करते , पौधा। इससे प्राचीनकालमें प्रत्यञ्चाको रस्सी बनाई हैं । खानपानमें ये लोग उतना विचार नहीं करते । गाय, जाती थी। गोरचकरा देखो। सूअर, मुरगे, वेंग आदि सभी जन्तुओंका मांस खाते हैं। मुरा-१ मध्यप्रदेशके अन्तर्गत दक्षिण जबलपुरको एक ये भराव पोना बहुत पसन्द करते हैं । हिमालय प्रदेश में तहसील। यह अक्षा० २३ ३६ से २४८ उ० तथा निम्न श्रेणीसे इनकी सामाजिक मर्यादा वहुत ऊंची है। देशा० ७०५८ से ८०५८ पू०के मध्ध अवस्थित है। नेपाली ब्राह्मण और सत्रिगण इनके हाथका जल और ' भूपरिमाण ११९६ वर्गमोल और जनसंख्या डेढ़ लाखसे मिष्ठान्न खा सकते हैं। ये लोग दोतिया, टेपचा, लिम्बू, ऊपर है। इसमें मुर्वारा नामक एक शहर और ५१६ आदि सभी जातियोंके साथ खान पान करते हैं। ग्राम लगते है। मुमुर (सं० पु० , १ तुषाग्नि, भूसीकी आग । २ मन्मथ, २ उक तहसोलका एक शहर। यह अक्षा० २३' कामदेव । ३ सूर्याश्व, सूर्यके रथके घोड़े.। स्त्रियां टाप। ५० उ० तथा देशा० ८०२४ पू० जव्वलपुर शहरसे ५६ ४ मुमरा नामकी नदी। | मोलकी दूरी पर अवस्थित है। जनसंख्या १५ हजार "भारती सुप्रयागो च कावेरी मुर्मुरा तथा।" । है। शहर दिनों दिन उ नति कर रहा है। १८७४ ई०में (भारत ३२२२१२१५) । म्युनिस्पैलिटी स्थापित हुई है। यहां लाख, चमड़े, मुर्रा (हि.पु.) १ मरोहफलो नामको ओपधि। इसकी घी, लोहे, चूने, नमक, चोनी, तमाकू, और गरम मसाले. लता जंगलोंम होती है। २ पेट ऐंठन हो कर पतला का व्यवसाय होता है। यहां सरकारी मि. ई. स्कूल, मल निकलना और वार वार दस्त होना । ३ पेटका दर्द।। जनाना मिशन, वालिका स्कूल और अस्पताल है। (स्त्री०) ४ हिसार और दिल्ली आदिमें होनेवाली एक | कठना नदी पार होनेके दो बड़े बड़े पुल है। प्रकारको मैं स । इसके सींग छोटे, जड़ के पास पतले | मुर्शिद कुली खाँ-बङ्गालके एक सूवेदार। यह दाक्षि- और ऊपरको ओर मुडे, हुए होते हैं। णात्यवासी एक दरिद्र ब्राह्मणके लडके थे। हाजी मुर्रातिसार ( हिं० पु० ) मरोड़ देखो। मुफिया नामक एक फारस देशका मुसलमान सौदागर मुरों (हि० स्त्री०) १दो डोरोंके सिरेको आपसमें जोड़ने, इन्हें खरीद कर इस्पाहन नगर ले गया। उसने इनकी की एक क्रिया। इसमें गांठ नहीं दी जाती, केवल दोनों| सुन्नत कराई और मुसलमानधर्ममें दीक्षित कर इनका सिरोंको मिला कर मरोड़ देते हैं। २ कपडे, आदिमें महम्मद हादी नाम रखा। ब्राह्मण वालकको प्रतिभा लपेट कर डाली हुई ऐंठन या वल। ३ कपड़े, आदिको देख कर वह सौदागर इन्हें दासकार्यमे नियुक्त न करके मरोड़ कर वटो हुई वत्तो । ४ चिकन या फशोदेको अपने पुत्रों के साथ विद्याशिक्षा देने लगा। किन्तु कुछ कढ़ाईका एक प्रकार । इसमें वटे हुए सूतका व्यवहार | दिन वाद सौदागरको मृत्यु हो गई। पीछे उसके होता है। ५ एक प्रकारको जगलो लकड़ी। लड़कोंने हादीको कोतदासत्वसे छुटकारा दे कर स्वदेश मुरींका नैचा (हिं० पु०) एक प्रकारका नैवा । इसमें लौट जानेको अनुमति दी। हादी निराश्रय हो कर कपड़े, की मुरी या वत्ती बना कर जोरसे लपेटते जाते हैं। जन्मभूमिको लौटे, किन्तु मुसलमानधर्म ग्रहण करनेके देखनेमें यह उल्टी चीज हो-की तरह जान पड़ती है। कारण अपने समाजमें न लिये गये। अनन्तर वे बेरार- परन्तु वस्तुतः वत्ती होती है। इस प्रकार वना हुआ प्रदेशके दीवान और राजखसंग्राहक अबदुल्लाके अधीन नैचा उतना मजबूत नहीं होता। जहां कपड़ा सड़ता है, राजस्व विभागमें नौकरी करने लगे। कार्यक्षेत्र में उतर वहीं से वत्ती टूटने लगती है और वरावर खुलती ही कर इन्होंने थोड़े हो दिनोंके अन्दर ऐसो कार्यदक्षता और बुद्धिमत्ता दिखलाई, कि सम्राट औरङ्गजेब दाक्षि- चली जाती है। मुरीदार ( फा० वि० ) जिसमें मुरों पड़ी हो, ऐंठनदार।। णात्यमे रहते समय इनका तैयार किया हुआ राजख मुर्वा (सं० पु०) मरूल या गोरचकरा नामका जंगली ! हिसाव देख कर बहुत आश्चर्यान्वित हो गया था।