पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/१२१

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मुर्शिदावाद निम्न भूमि है। वर्षाकालमें यह स्थान जलसे डूब जाता) नोलहोंके साथ घमवखेड़े के बाद यहाँसे नीलकी खेती 3 है। उस समय माउस और वोरो धान लगते हैं । इस | हो गई है। मुर्शिदाबाद और वरहमपुरमै हाथी दांतको जिले में बड़े बड़े जानवर नहीं दीख पड़ते। राढ़में कई पनी कितनी ही चीजें तथा सोने और चांदीको जड़ीके तरहके हिरण पाये जाते हैं। इसमें ५ शहर और ३६६८ काम होते है । इस जिलेके खगड़ाके कांसका बरतन ग्राम लगते हैं। जनसंख्या १३ लाखसे ऊपर है ! केवल | प्रसिद्ध है। .सद्गोप, वाले, ब्राह्मण आदि अनेक वर्णके लोग रहते नदी और रेलवेके द्वारा व्यापारको सुविधा होने के कारण है। वैष्णवोंकी यहां एक बड़ी संख्या है। । यहां वहुतसे जैन वणिक रहते हैं। पहले यहां नदीके मुर्शिदाबाद मुसलमानोंकी राजधानी होने पर भी | द्वारा ही अधिक व्यापार होता था लेकिन बीच बीच में शहरमें तथा शहरके आसपास हिन्दुओंको ही संख्या | भागीरथीके हट जानेके कारण बड़ी असुविधा हुई है। अधिक है। जिलेके उत्तर पूरब तथा दक्षिण पूरवमें कृषि नलहाटीसे आजिमगंज तक रेलचे है। इसके अलावा प्रधान स्थानों होमें मुसलमान अधिक पाये जाते हैं। इस जिले में १५ पक्की सड़कें भी हैं। यहां सैकड़े पीछे ५२ हिन्दू तथा ४८ मुसलमान हैं। ___ पहले डकैतीके लिये यह जिला बदनाम था । अवं शान्तिका अच्छा प्रवन्ध है। मुर्शिदावाद, वहरमपुर, कान्दि या जेमोकान्दि, जगो- इस जिलेमें ४ सव डिविजन, २३ थाने और ६८ परगने पुर और वेलडंगा, ये सव जिलाके प्रधान शहर है। हैं। ग्रीष्म ऋतुमें यहां गरमी अधिक पड़ती है। पानीका जियप्रधान स्थानोंमें भागीरथोके दोनों किनारी निकासन रहनेके कारण मलेरिया लोगोंको खूब पर बसे हुए जियागा, आजिमगंज, भगवान्गोला, धुलि. सताती है। प्लीहाकी बड़ी शिकायत है। यहां ५ अस्प. यान, मुरार और नलहाटी उल्लेखनीय है। ऐतिहासिक ताल है। स्थानों में रांगामाटो, बद्रीहाट या गयासाधाद, सैदा- पुरातत्त्व। वाद, कालकापुर, कासिमवाजार और गड़ियारका रण ____ आज कल मुर्शिदाबाद भागीरथीके पूर्वी किनारे पर क्षेत्र देखने योग्य हैं। वसा हुआ है। लेकिन १८वीं शताब्दीमें भागीरथीके दोनों यहांको मुख्य उपज धान है। पश्चिम आमन) किनारों पर एक विशाल नगर सुशोभित था । मुर्शिद और पूरवमें आउस धान होता है। पूरवमें जाड़े के दिनों. कुली खांने अपनी राजधानी पूर्वी तट पर ही वसाई थी। में गेहूं, जौ, कलाय ( उड़द ) आदि अनाज उपजते हैं। पीछे क्रमशः वह दोनों किनारों पर फैल गई। मुर्शिद कुलो यहां पटुआ अधिक नहीं होता । तालाव और धारके खाने बंगालको १० चाकलामें बांटा था, मुर्शिदावाद उन्हीं. जलसे खेती को जाती है। में से एक चाकला है और आज कल बड़ा हो गया है। इस जिलेकी वाणिज्य समृद्धि पहलेको अपेक्षा बहुत भागीरथीको धारा वदलनेसे पूर्वी भागकी प्राचीन कीर्ति • कम हो गई है। नवावी अमल में व्यापार के लिये मुर्शिदा- नष्ट हो गई है, लेकिन पश्चिम भागमें अभी तक पुरानी वाद जिला ही प्रधान था। यहाँका प्रधान व्यवसाय | कोत्तिके बहुतसे चिह्न हैं। रेशम है। अभी इस व्यवमायकी भी बड़ी अवनति हो गई ____गयासावादमें सम्राट अशोकका एक लाट निकाला गया है। इसके निकट महीपाल नामका एक विशाल है। तौभी सरकारको चेप्यासे जिलेके दक्षिण-पूरवमें रेशम- नगर था । पालवंशी राजे लोग यहां राज्य करते थे। को पैदा करनेको कोशिश हो रही है। इसके लिये वह- इस नामके आस पासका सभो स्थान एक समय मही- रमपुरमें कृषितत्त्ववेत्ता नियुक्त हैं । उनके कार्यालयों पाल नगर कहाता था। १३वीं शताब्दीमें गौड़के सुलतान भिन्न भिन्न प्रकारके रेशमके नमूने मिलते हैं। गयासुद्धीनने इस नगरको नष्ट कर इसीके माल मसाले- मुर्शिदाबाद टसर और गरदके लिये सर्वत्र प्रसिद्ध है। से गयासावाद बसाया। गयासाबादकी बड़ी उन्नति अभी तक कितने गावोम विनाई होती है लेकिन आज हुई थी। इसमें पहले सात हाटे लगती थीं, अव हाटीके कल यहाँके जुलाहोंकी हालत अच्छी नहीं । १८६० ई०में