पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/१२९

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१२६ मुझेमचौ-मुली मुलमचो (हिं० पु०) किसी चीज पर सोने या चांदी आदि- मुलाजिमत ( अ० स्त्रो० ) सेवा; नौकरी । का मुलम्मा करनेवाला, गिलट करनेवाला। मुंलम्मा (अवि०) १ चेमकता हुआ। २ जिस पर मुलायम (अ० वि० ) १ सस्तका उलटा, जो कड़ा न हो। मुलाम ( अ० पु०) मुलायम देखो। सोना या चांदी चढ़ाई गई हो, सोना या चांदी चढ़ा २ नरम, हल्का। ३ सुकुमार; नाजुक । 8 जिसमें किसी हुआ। (पु०)३ वह सोना या चांदी जो पत्तरके रूपमें | प्रकारकी कठोरता या खिचाव आदि न हो। पारे या विजलो आदिको सहायतासे अथवा और किसी मुलायमत (अ० स्त्रो०) १ मुलायम होनेका भाव । २ सुई- विशेष प्रक्रियासे किसी धातु पर चढ़ाया जाता है। इसे मारता, कोमलता, नाजुकंर्ता । गिलट वा कलई भी कहते हैं। साधारणतः मुलम्मा दो मुलायमरोआँ ( हिं० पु. ) सफेद और लाल रोओं जो प्रकारका होता है, गरम और ठंढा। जो मुलम्मा कुछ, मलायम होता है। विशिष्ट क्रियाओं द्वारा आगकी सहायतासे चढ़ाया जाता । है वह गरम और जो विजलीकी बैटरीसे अथवा और मुलायमियत (अ० स्त्री०) १ मुलायम होनेका भाव, नीं। किसी प्रकार बिना आगको सहायताके चढ़ाया जाता है। | २ कोमलता, नजाकत। वह ठंढा मुलम्मा कहलाता है । उँटेकी अपेक्षा गरम मुलम्मा मुलायमी ( अ० स्त्री० ) मुलायमत देखो। अधिक स्थायी होता है। मुलाहज़ा (अ० पु०) १ निरीक्षण, देखभाल । २ सङ्कोच । ___४ ऊपरी तड़क-भड़क, वह बाहरी भड़कीला रूप' ३ रिआयत । जिसके अन्दर कुछ भी न हो। । मुलिलाडेरी-वम्बई प्रदेशके काठियावाड़ प्रदेशके हालर मुलम्मासाज (फा० पु०) किसो धातु पर सोना या चांदी विभागान्तर्गत एक सीमान्त राज्य । आदि चढ़ानेवाला, मुलम्मा करनेवाला । मुली-१ गुजरातके झालावार प्रान्तस्थित एक देशीय मुलहठी (हिं० स्त्री० ) मुलेठी देखो। सामन्त राज्य । यह अक्षा० २२३८ से २२४६ उ० तथा मुलहा (हिं० वि० ) १ जिसका जन्म मूल नक्षत्र में हुआ। देशा ७१२५ से ७७ ३८ पू०के मध्य अवस्थित है। हो । २ उपद्रवो, शरारती। भूगरिमाण १३३ वर्गमोल और जनसंख्या:४० हजारके. मुला ( अ० पु०) मौलवो, मुल्ला। लगभग है। यह स्थान स्वभावता ही समतल है। कहीं मुलाकात ( अ० स्त्री०) १ आपसमें मिलना, एक दूसरेका' कहीं गएडशैलमाला देखी जाती है। यहां रुई काफी पैदा मिलाप । २ मेल मिलाप, हेलमेल । ३ प्रसङ्ग, रति-कोडा। होती है। निकटवत्तीं धोलूरा बन्दरमें हो यहांके उत्पन्न मुलाकातो ( अ० पु० ) परिचित, वह जिससे मुलाकात अनाज विकने जाते हैं। यहांको आवहवा उतनी खराव या जान पहचान हो। नहीं है । यहाँके सामन्त परमारवंशीय राजपूत हैं, सभी मुलागुल-आसाम प्रदेशके श्रोहट्ट जिलान्तर्गत एक बड़ा ठाकुर कहलाते हैं। अभी उक्त उकुरात-सम्पत्ति विभिन्न -गांव। यह खासी पर्वतके नीचे लषा नदीके किनारे पट्टोदारों में बंट गई है। सरदार सर्तनसिंहजी (१८८२-८५) अवस्थित है । जयन्तो पर्वतवासी वणिक सम्प्रदाय परमारवंशके उज्ज्वल रत थे। विद्यादि नाना सदगुणों यहांकी हाटमें आ कर पण्यद्रष्य खरीदते हैं। इसके से विभूषित थे। यहांके ठाकुरको वृटिश सरकार और सिवाय यहां हाथी आदिका शिकार करनेका एक प्रधान जूनागढ़के नवावको वार्षिक १३५ रु० कर देना पड़ता मडा है, इस कारण यहां थाना आदि प्रतिष्ठित हुए हैं। रण यहां थाना आदि प्रतिप्रित है। है। सैन्यसंख्या २२५ है। इसमें इसी नामका एक शहर जिस जंगल में हाथोका शिकार किया जाता है, वह भी। और २० ग्राम हैं। मुलागुल कहाता है। २ उक्त राज्यका एक शहर । यह अक्षा० २२३८ मुलाजिम (अ० पु० ) १ प्रस्तुत रहनेवाला, पास रहने- उ तथा देशा० ७१ ३० पू०के मध्य विस्तृत हैं । जन- पाला। २ सेवक, नौकर। .. संख्या ६ हजारके लगभग है । : यहां नारायणस्वामि-