पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/१३०

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मुलुकं-मुश्किल १२७ सम्प्रदायका गक मन्दिर है । घोड़ की पीठकी जिन स्येत्वं । १ तालमूली। संस्कृत पर्याय--पल्ली, सुवहा, तैयार होने के कारण यह स्थान प्रसिद्ध है। तालपत्रिका, गोधापदी, हेमपुष्पी, भूताली, दीर्घकन्दिका, मुलुक (अ० पु०) मुल्क देखो। । मूत्रली, तालिका, तालमूलिका, अर्थोघ्नी । गुण-मधुर, मुलेठी (हिं० स्त्री० ) घुघवी या गुजा नामको लताकी, शीतल, वृष्य, पुष्टि और वलप्रद, पिच्छिन्द, कफद, पित्त, जल जो औषधके काममें आनो है, जेठी मधु । विशेष दाह और श्रमनाशक । (राजनि० ) भावप्रकाशके मतसे विवरण यष्टिमधु शब्दमें देखो। इसका गुण-मधुर, वृष्य, उष्णवीर्य, वृहण, गुरु, तिक्त, मुल्क ( अ० पु०) १ देश । २ सूवा, प्रान्त । ३ संसार, रसायन और गुदरोगनाशक । २ गृहस्थित सरीसृप- जगत्। विशेष, छिपकली! मुल्कगीरो (अ० खो०) देश पर अधिकार प्राप्त करना, मुशली . सं० पु०) मूसल धारण करनेवाले बलदेव । मुल्क जीतना। मुशलीकन्द (सं० पु०) तालमूलिका। मुल्को (अ० वि०) १ देशसंबंधो, देशी। २ शासन या मुश्क ( फा० पु०) १ मृगनाभि, कस्तूरी । २ गंध, वू। व्यवस्था संबंधी। I (स्त्री०) ३ कंधे और कोहनीके वीचका भाग, भुजा। मुल्तवी , अ० वि० ) जो रोक दिया गश हो, जिसका मुश्कदाना ( फा० पु० ) एक प्रकारको लताका बीज । यह समय आगे बढ़ा दिया गया हो, स्थगित । मुत्मतवी देखो। इलायचीके दाने के समान होता है। जब यह टूटता है, मुल्वागल-१ महिसुरके कोलार जिलेका एक तालुक । यह तव कस्तूरी को सो सुग'ध निकलती है। संस्कृतमें इसे अक्षा० १३ १ से १३ २२ उ० तथा देशा० ७८ १४ से लता-कस्तूरी कहते है। इसका गुण स्वादिष्ट, वीर्यजनक, ७८ ३६ पू०के मध्य विस्तृत है । भूपरिपाण ३२७, शीतल, कटु, नेत्रोंके लिये हितकर, कफ, तृषा, मुखरोग वर्गमील और जनसंख्या ७० हजारके लगभग है। इसमें और दुर्गन्ध आदिका नाश करनेवाला माना गया है। मुल्वागल नामक एक शहर और ३५१ प्राम लगते हैं। मुश्कनाफ़ा (फा० पु०) कस्तूरोका नाफा जिसके अन्दर पालर नामकी नदी तालुकके पश्चिम हो कर वह गई। कस्तूरी रहती है। है। यहां बहुतले जलाशय और कूप हैं। मुश्कनाभ (फ: पु० ) वह मृग जिसकी नाभिमें कस्तूरी २ उक्त तालुकका एक शहर। यह अक्षा० १३.१०। होती है। कस्तूरीमृग देखो। उ० तथा देशा० ७८२४ पू० कोलर शहरसे १८ मोल मुश्क्रविलाई (फा० स्त्री०) एक प्रकारका विलाव । इसके पूरवमें अवस्थित है। जनसंख्या ६ हजारसे ऊपर है। अंडकोशीका पसीना बहुत सुगंधित होती है, गंध- मुल्ला (अ० पु०) मुसलमानोंका आचार्य वा पुरोहित, विलाव। इसके कान गोल और छोटे होते हैं और रंग मौलवी। मौलवी देखो। भूरा होता है। दुम कालो होती है, पर उस पर सफेद मुवक्किल ( म० पु.) वह जो अपने किसी कामके लिये छल्ले पड़े रहते हैं । इसकी लम्बाई प्रायः ४० इंच होती कोई वकील नियुक करे, वक्रोल करनेवाला। है। यह राजपूताने और पंजावको छोड़ कर सारे भारत मुशजर ( म० पु. ) एक प्रकारका छपा हुआ कपड़ा। वर्षमें पाया जाता है। यह विलों में रहता है और शिकारी मुशटो (सस्त्री०) मुम-अटन् पृपोदरादित्वात् साधुः। होता है। यह पाला भी जा सकता है और चहे. सितकङ्ग, सफेद कंगनो धान । गिलहरी आदि खा कर जीवनधारण करता है। इसे मुशफिफ (म० वि०) १ कृपालु, दयालु । २ मित्र, दोस्त । संस्कृतमें गन्धमार्जार कहते हैं। गन्धमार्जार देखो। ३ दयावान, रहम दिल। मुश्क्रमेंहदी (फा० स्त्री०) एक प्रकारका छोटा पौधा। यह मुशल (सं० पु०) धान आदि कूटनेका डंडा, मूसल। । वागोंमें शोभाके लिये लगाया जाता है। गुशलिका (सं० स्त्री०) मुष (वृषादिभ्यश्चित् । उण १।१०८) मुश्किल (अ० वि०) १ दुस्साध्य, कठिन। (खो०१२ इति कलश्वित् स्यात्, टाप, ततः संज्ञायां कन्, अकार कठिनता, दिक्कत । २ विपत्ति, मुसीवत ।