पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/१३२

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१२६ । मुष्टिक-मुसकराहट "भटमुष्टिर्भवेत् कुश्चिः कुञ्चयोऽष्टौ च पुष्कलः ।" मुष्टिदेश (सं० पु० ) धनुपका वह भाग जो मुट्टीमें पकड़ा (प्रायश्चित्तत०) | जाता है। मुप-क्तिन् । ४ मोपण, चोरी। ५ प्रहारविशेष, मुष्टिय त ( सं० क्लो०) मुष्ट्या द्यूतं क्रीडितं । ५ तक्रीड़ा- मुक्का, चूसा। विशेष। पर्याय-क्षुल्लक । "चिच्छेदापततस्तस्य मुद्गरं निशितैः शरैः। | मुटिन्धय (सं० पु० ) मुष्टिं धयति पिवति धेट ( नाड़ी- तथापि सोऽभ्यधावत्ता मुष्टिमुद्यम्य वेगवान् ॥" मुट्योश्च । पा १२।३०) इति खश, ( अजिहजन्तस्य (मार्क०पु० ६०।१५) । मुम् । पा६६७) इति मुम् । १ वालक । २ मुष्टिबंधन- . यदि कोई आदमी राहमें चलते चलते थक गया हो, क्रिया, मुक्का। भूखसे ठाकुल हो रहा हो और उसके पास खानेको | मुष्टिमेय (सं० वि० ) मुष्ट्या मेयः। मुष्टि द्वारा परिमेय, कोई चीज न रहे, तो मुट्ठी भर मूग, जौ और तिल विना| मुट्ठी भर, बहुत थोड़ा। मांगे अर्थात् स्वामीको अनुपस्थितिमें उठा लेनेसे उसे मुष्टियुद्ध (सं० क्ली०) मुष्टि द्वारा युद्ध, धूसेवाजी । चोरी का पाप नहीं लगता.! यदि उसे अत्यन्त भूख न मुष्टियोग (सं० पु०) १. हठयोगको कुछ कियाए जो लगो हो, तो पाप अवश्य लगेगा। | शरीरको रक्षा करने, वल बढ़ाने और रोग दूर करने "तिलमुद्यवादीनां मुष्टिाह्या पथिस्थितैः। | वाली मानी जाती है। जो रोग गायुर्वेदकी अच्छी क्षुधा न्यथा विप्र विधिवद्भिरिति स्थितिः अच्छी ओषधियोंसे आरोग्य न होते हों, सामान्य मुष्टि- (कूर्मपु० उपवि० १५ अ०) योग अवलम्बन करनेले वे अति शीघ्र आरोग्य हो सकते मुप स्तेये अधिकरणे तिन् । ६ शस्थगोपनकाल, हैं। जैसे-खानेके पहले दाहिनी करवट सो कर वाएं दुर्भिक्ष । दुर्भिक्ष उपस्थित होने पर अनाजको छिपा नाको नाकसे श्वास ले कर उठ बैठना तथा प्राणायामकी तरह रखना होता है। वाप नाकको रुई अथवा हायसे मूदना । इसी प्रकार जब . "कच्चिलवञ्च मुष्टिञ्च परराष्ट्र परन्तप । दाहिने नाकसे श्वास चलने लगे, तब खानेको वैठना । अविहाय महाराज! निहंसि समरे रिपून " ऐसा करनेसे ऊर्ध्वंग श्लेमा और अनुरोग दूर होता है। . . . . (भारत २५२६५) । ___ वातज स्वरभङ्गमें तेल और नमक, पैत्तिकमें धो और ७.ऋद्धि नामक औपध । ८ घण्टापाटलिवृक्ष, मधु तथा कफजमें क्षार, कटुन्थ्य और मधु इन्हें एकल मोखा नामका पेड़। ६ कसके दरवारका एक मल्ल। चवा कर खानेसे तालु, जिह्वा और दन्तमूलाश्रित श्लेष्मा १० छुरे, तलवार आदिकी मूड, बेंट। दूर होती है तथा मुंह परिष्कार रहता है। मुष्टिक (सं० पु०) मुषयति परवीर्यमिति मुष क्तिच्, ___ ३किसी वातका कोई छोटा और सहज उपाय । संज्ञायां कन्। १ राजा कसके पहलवानोंसे एक जिसे मुष्टिहत्या (सं० स्त्री० ) १ मुष्टि प्रहार द्वारा हत्या । २ बलदेवजीने मारा था। मुष्टि प्रहार, चूंसेवाजी। मुष्टिः प्रयोजनमस्य मुष्टि-कन् । २ स्वर्णकार, सुनार। मुटिहन (सं० त्रि०) हाथापाई युद्ध करनेवाला । मुष्टक (सं० पु०) मुप-वाहुलझात् कथन, ततः संज्ञायां ३ चार. अंगुलकी नाप। ४ मुट्ठी। ५ तान्त्रिकोंके । कन् । राजसपंप, सरसों। अनुसार एक उपकरण जो वलिदानके योग्य होता है। मुसक (फा० यु०) मुश्क देखो। मुष्टिकस्वस्तिक (सं० पु०) नृत्यकालमें मुष्टिका अवस्थान- मुसकराना (हिं० को०) ऐसी आकृति वनाना जिससे भेद, नाचनेके समय मुट्ठीका संचालन । जान पड़े कि हंसना चाहते हैं, बहुत हो मन्द रूपसे . मुष्टिका (सं० स्त्री० ) १ मुक्का, धूसा। २ मुट्ठी। हंसना। मुष्टिकान्तक. (सं० पु०) मुष्टिकस्य अन्तकः । मुष्टिक मुसकराहट (हिं० स्त्री०) मुसकरानेको किया या भाव, नामक मल्लको मारनेवाले, वलदेव । | मधुर या वहुत थोड़ी हंसी। Val, XVIII 33