पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/१३५

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मुँसलमान मतसे अरवी 'साराका' शब्दके लूट या अपहरण शब्दसे | खुष्टानोंका अभ्युदय हुआ था। विविध मतावलम्बियों- 'साराकिन', Forster-के मतसे सहारा मरुभूमिसे और के मत-पार्थव्यसे देशमें एक अमावनीय अनिष्ठपात तथा Stephanus Byzantinusके मतसे अरवके सरक जन- धर्म विप्लवकी आशङ्का कर उन्होंने दुर्दशाग्रस्त अरवों- पंदवासी होनेसें इनका साराकानी या सारासेनी नाम के लिये मुक्तिका पथ प्रशस्त किया था। वे अपनी ४० हुआ। किन्तु अनुमान होता है, कि सार्किन् (पूर्वाञ्चल- वर्षको अवस्थामें अपने मतको सर्वसाधारणमें .फैलाने वासी ) शब्दका अपभ्रंश शब्द सारासेनी हुआ होगा। लगे। यह अपनेको ईश्वर-प्रेरित पैगम्बर कहते थे। क्योंकि प्लोनोके प्रत्यमें ईसाके जन्मसे पहली शताब्दीमें मकाके रहनेवाले जो मूर्तिपूजक थे, खास कर कोरा- ताइनीस और (युटिसके मध्यवत्तों जनपदवासी वेदो इस जातिवाले इस नये धर्मको पुरानी प्रथाका घोर इन अस्वगण, जो एशियान एडके रोमस्थित और पादीय विरोधी समझ कर महम्मदके प्राण-नाशको चिन्ता करने राज्यके मध्यस्थल में स्वत नतापूर्वक राज्यशासन किया। लगे। इन विपक्षियों को अपने सम्प्रदायके विरुद्ध.खड़े था, वे हो सारालेनो नामले उक्त हुए हैं। पीछे जिन | होते देख तथा अपने पक्षवालोंको कमजोर देख मक्का छोड़ सब अरबोंने महम्मदोधर्मको ग्रहण कर एशिया और देश पर्यटन करनेके लिये चले गये। ये १६ दिन तक अफ्रिकाखएडमें इस्लाम साम्राज्यको स्थापना की थी, भ्रमण करते करते यायेय नगरमें पहुचे। .. वेझो "सारासैनी" नामसं इतिहासमें प्रसिद्ध है।। ६२२ ई०को १६वीं जुलाईको महम्मद मक्का छोड़ इसलाम अभ्युदयके डेढ़ शताब्दीके भीतर सारासेनो गदीनात् थल-नव्धीमें चले आये। इसी भागनेको तिथि- ने दक्षिग-यूरोप और उत्तर अफ्रिकामें प्रभाव जमाया था, ! से इस लाम धर्मको भित्ति दृढ़ हुई। खलीफा उमरने यहाँ आज भी कायरो नगरके हकोम और अमरौ मसजिद | इस दिनको मुसलमान अभ्युदयका प्रथम हिजरा कहा आलम्बाके राजप्रासादका शिल्पातुर्य दिखाई देता है, है। उसी समयसे आज तक मुसलमानोंका हिजरी सन् वह यूरोपीय चित्रके इतिहासमै सारासेनी स्थापत्य चला थांता है। (Suraeenic sile या architecture ) नामसे विख्यात | | मदानेमें आ कर महम्मद अपने चेलोंके गुरु, है। सुप्रसिद्ध, यूरोपीय कारीगर रावर्टस् लिउइस खलीफा या राजा बने थे। यहां रह कर उन्होंने जिस तरह मर्फि, जोन्स, आदिने इस्ती शिलपकी नकल कर सिडेन. अपने सहकारियों और चेलोंको सहायतासे. इस लाम हामके "कृपाल पैलेस' नामक अट्टालिकासे शिल्पचातुर्य धर्मको पुष्टि तथा विस्तृति को थो उसका हाल .दूसरी दिखलाया है। कुस्तुनतुनिया नगरमें भी सारासेनी | जगह लिपिवद्ध हुआ है। ६३२ ई०में अरव-वासियोंकी स्थापत्यका अभाव दिखाई नहीं देता। मुक्तिका पथ दिखलानेवाले महात्मा महम्मद ६४. वर्षको किस तरह महम्मदके प्रभावसे अरव देशमें इस लाम | उम्र में जगत्में शान्ति स्थापित कर इस लोकसे चलं वसे । धर्मका दौरदौरा हुआ और किस तरह इस महम्मदो-सम्प्र मृत्युके समय उन्होंने अपनी प्रियतमा पत्नी: आयेसाको दायने अपनी तलवारके बल से दक्षिण यूरोप, उत्तर-अफ्रिका, भुजा पर शिर रख कर शान्तिपूर्ण हृदयसे ओंकाराकी मध्य और दक्षिण एशियाखण्डमें एक नई जाति और ओर देखते हुए खगके सर्वश्रेष्ठ साथीके उद्देश्यसे अपने साम्राज्य स्थापित किया था, या शिस प्रणाली द्वारा वह : प्राण विसर्जन किये। इससे यह स्पष्ट जाना जाता है, नये इस्लाम मतके अनुष्टानको कार्यान्वित करने पर वाध्य कि महम्मद अन्तिम स्वर्गको चिरानन्दप्राप्तिकी प्रत्याशा- .: हुआ: था, इसका संक्षिप्त विवरण नीचे दिया जाता है। में आनन्दित हुए थे। महम्मद देखो। उत्पत्ति । मकसे मदीना भागनेके दिनसे अर्थात् महम्मदो ५७१ ई०में अरबके मक्का नगरमें महम्मदका जन्म हिजरोको प्रतिष्ठासे महम्मदकी मृत्युके दिन तक १० हुआ। उम्रको वृद्धिके साथ साथ उनका उचित रूपसे | वो मुसलमानधर्म और मुसलमान जातिने एशिया- शिक्षा प्राप्त हुई। इसी समय मूर्तिपूजक, ,मगी और. खण्डमें ऐसी जवरदस्त जड़ पकड़ ली थो; कि गतः १९वीं