पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/१३६

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१३३ मुसलमान शताव्दीमें राजधर्म और जातिगत विप्लव और कितने , परिवृद्धि। ही परिवर्तन होने पर भी कोई उस जड़को हिला न सका। इस समय मुसलमान जातिके अधिनायक और आज भी इस लामधर्म के १५ करोड़ अनुयायो विद्य- मुसलान साम्राज्यके अधीश्वर केवलमात्र इस्लाम धर्मः मान हैं। प्रवर्तक महम्मद ही हुए। . उनके उत्तराधिकारीके अपमें महम्मदके चेलों के मदीने आने पर महम्पदीय सम्प- ' । पीछेके खलीफोंने मुसलमान समाजका नेतृत्व लाभ दायमें जुवीवेके पुन अवदुल्ला प्रथम मुसलमान पुनके किया था। उनकी राजशक्तिके धर्मप्रणोदित होनेसे और जातीय एकताके कारण उनके शासनदण्डने देश- रूपमें अरब देशमें अवतीर्ण हुए थे। क्रमशः मुसलमान देशान्तरमें अपना विस्तार किया था। जातिने महम्मदीय शक्तिके प्रभावसे तलवार और कुरान ___ इस खलीफावंशके प्रथम शताब्दीका इतिहास हाथमें ले कर "दीन दोन्"के शब्दसे एशिया और यूरोप पढ्नेसे मालूम होता है, कि मुसलमान सम्प्रदाय शृङला- के दक्षिणी भूभागोंको गूजा दिया था। वद्ध विजयके अभियानोंसे मुसलमान साम्राज्यको समृद्धि . इतिहासके पढ़नेवाले प्रायः सभी जानते हैं, कि इस्: भूषासे अलंकृत किया था। आबूबकरके शासनकाल- लामधर्म प्रवत्तक महम्मदके जन्मसे पहले भरवमें एक- , में वोरवर खालेदने समन तिरिया, मेसोपोटामिया और मात्र सूर्योपासक मगी और मूत्तिपूजक और सृष्टान उसके सेनापति अमरुविन-आसने समूचे मिस्र राज्यको सम्प्रदायका प्रादुर्भाव हुआ था। विभिन्न मताव- भरव राज्यमें मिला लिया। वहां उन्होंने १४ महीने घेरा लम्वियोंके एकत्र समावेश होने पर मत-पार्थक्यके कारण रखनेके वाद अलेकजेण्डिया और मेम्फिसको जीत कायरो आपसमें विवादको सम्भावना रहती ही है, अतएव मग नगरकी स्थापना की थी। प्रधान फारसके साथ 'वाइजाएटाइन' का घोर विरोध मिस्र जीत कर मुसलमान सैनिकोंने भूमध्यसागर- होने के कारण राष्ट्रविप्लव हुआ था। इन दोनों साम्राज्यों : तीरवती साइरेनिका आदि छोटे छोटे राज्यों पर अधि. मे आत्मश्लाघाकी प्रवलता थी। लगानके भारसे , कार कर लिया। इसी समय अफ्रिकाले वर्वर दलके साथ प्रजा पीड़न और विरोधी धर्म सम्प्रदायके मनोमालिन्य- । अरवी मरुपुत्रों का सद्भाव स्थापित हुआ । इससे के कारण राजशक्तिका क्रमशः अवसान हुआ। इसी मुसलमान शक्ति और भी गुढ़ हो गई थी। तरह विख्यात फारस साम्राज्य धोरे धीरे कमजोर हो ____सैयद बिन-आवी-दक्सने सन् ६३५ ई०के काड़े. सैयद बिन-आनी-दक गया। फारस देखो। सिया युद्धमें, ६३७ ई०में जलूला रणक्षेत्र में और ६४२ ई०- • सुप्राचीन जरथुस्तर ( Zoroaster ) मतानुयायी के होवलन और नेहवन्द रणाङ्गणमें फारसकी सेनाओं- फारसवाले फिर एकतासूत्र न वध सकनेके कारण, को पराजित कर फारसके राजसिंहासन पर अधिकार नई महम्मदीय शक्तिके सामने अपने धर्मकी रक्षा करने-2 कर लिया। उसमानके राजत्वकालमें सन् ६४८ ई०में में समर्थ न हुए । फल यह हुआ, कि ये दोनों राज्य ! सायप्रेस द्वोप लूट लिया गया था। इसके बाद - अरवोंके हाथ आ. गया । उस समय जो अरबवासी अवदुल्ला विन-उमरने खुरासान पर अधिकार कर वाह- हम्मदीय सम्प्रदायकी तलवारके भयसे खच्छन्दतापूर्वक लिक राज्य तक आगे बढ़ मुसलमान साम्राज्यका विस्तार इस लामधर्मको.ग्रहण किया, समय पा कर वे हो मुसल किया था। • मान खधी समझ मुसलमान समाजमें मिला लिये आलीयेन आवितालके राज्यकालमें गृहविवाद गये । यहूदो और खुष्टानोंको सम्मान विसर्जन करना पड़ा आरम्भ हुआ। फलतः राष्ट्रविप्लव मच गया। उन्होंने था और कर देनेसे उनका छुटकारा हुआ था। विधमों। इस वलवेको शान्त करनेकी भरपूर चेपा को, किन्तु अन्त- काफिर मुसलमानोंको तलवारसं टुकड़े टुकड़े कर दिये में बलवाइयों में प्रधान अब्दुल रहमान विन् मोलजमके | हाथसे. मारे गये। उनके राजत्वसे हां महम्मदपकीय Vol. xVII 34 गये। .