पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/१३९

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मुसलपान केवल जेमेन प्रदेशने महम्मदके जन्मसे १५वीं शताब्दी | वाणिज्य निर्वाह करते थे। लुसिटोनियाके अधिवासी तक विशेष प्रतिष्ठा प्राप्त की थी। प्रति वर्ष यहांके | वाणिज्यप्रिय वणिक जलकी राहसे चीजोंको ले कर पवित्र नगरमें तीर्थयात्रियों के समागम वेदोइनके सर- ११वीं शताव्दीमें सुदूर अमेरिकामें भी पहुंचे थे। वहांक . . दारोंमें परस्पर विग्रह और नेजद प्रदेशमें वहावीवंशके लोगोंका विश्वास है, कि अरव सम्प्रदायने ही अमे- अभ्युत्थान और अवसानके सिवा अरवी मुसलमान रिकाका आविष्कार किया था। राज्योंकी और किसी ऐतिहासिक घटनाका उल्लेख नहीं वसुन्धराकी भोगविलासभूमि हिन्दू-सेवित भारत पाया जाता है। पर अधिकार करना ही मुसलमानोंकी साम्राज्य विस्तार- . सिरिया, फारस, मौरिटानिया और स्पेन राज्यको का हद है। किन्तु वास्तवने ७वीं शताब्दीके अन्त जीत लेनेके बाद अरव जातिको व्यवसायिक उन्नत्ति और ८वीं शताब्दीके आरम्भसे भारतमें मुसलमान सम्प्रदायका माविर्भाव हुआ था । खलीफोंकी भोग- आरम्भ हुई। केवल इसलामधर्म एवं एक अरवी भापा-1 लालसाकी परितृप्तिके लिये मुसलमान वणिकोंने का प्रचार रहनेके कारण वणिकोंके आने जानेको भारतके साथ सम्बन्ध स्थापित किया। मीरकासिमके सुविधा होनेसे इस सुविस्तृत मुसलमान साम्राज्यमें | ! सिन्धु आक्रमणसे हो भारतमें मुसलमान के आगमन एक वाणिज्य साम्राज्यको स्थापनामें भी विशेष सुअव- और इसलामधर्म का प्रचार होना आरम्भ हुआ। इस- सर प्राप्त हुआ था। बुगदाद राजवंशको विलासिता के वाद ११वीं शताब्दीमें गजनीके सुलतान महमूदको अब्बासवंशीय खलीफोंकी सुख समृद्धि और विलास-1 कृपासे भारतमें मुसलिम शक्तिकी स्थापना हुई। यह वासना पूर्ण करनेके लिये भारतीय शौकोनी चीजोंको : मुसलमान-चीर सत्रहवार आक्रमण कर भारतसे वहुत- ले जानेको वहांक वणिक पैदल चल कर भारतमें आते सा धन लूट ले गया। इसके द्वारा विख्यात सोमनाथ- थे। वीं शताब्दीक प्रारम्भमें अरवी भारतके विविध का मन्दिर और वहांकी देवमूर्तियां धूलमें मिला प्रदेशों में आ कर वस गये। उसी समयसे वहुतरे भार- दो गई थी। महमूदने फारससे भारतके उत्तर-पश्चिम तीय राजे हिन्दू-धर्मको तिलाञ्जलि दे कर मुसलमान वन पक्षाव प्रदेश तक अपने राज्यका विस्तार किया था। गये। इसके बाद अरबोंने भारतीय द्वीपपुञ्ज, सिंहापुर, इसके प्रायः दो शताब्द वाद सन् १९९३ ई० में महम्मद सुमात्रा, जावा ( यव ), सिलेविश आदि द्वोपोंमें और गोरीने भारतको सबसे पुरानी राजधानी दिल्ली पर तो क्या--सुदूर चीनमें भी वाणिज्यके लिये मुसलमानो अधिकार कर मुसलमानी राज्य शासनका विस्तार प्रभाव फैलाया। किया। सन् १८५७ के वलवे तक दिल्ली नगरी मुसल- .....पैदल चलनेवाले. अरबी वणिक सम्प्रदाय खुश्की. मानोंकी राजधानी कही जाती थी। यहां पठानोंके को राहसे तातार राज्य और साइविरियाके उत्तरांश तक अन्तमें १४वीं शताब्दी तक मुगलबंशका अभ्युदय जा जा कर निर्विघ्न वाणिज्य व्यवसाय किया करता था। दिखाई दिया। मुगल सम्राट् वावर शाह भारत पर अफ्रिकाखण्ड में वह नाइगर तक चला जाता था। यहां | आक्रमण कर दिल्लीके .राजसिंहासन पर अधिकार १०वीं शताब्दीसे मुसलमानोंके प्रभावसे घाना, बङ्गरा | किया। उसके पौत्र सम्राट अकवर शाहके और प्रपौत्र- तोक्र, कुकु, सेनायार, दफुर, बुर्नू, टिम्बकटु और मल्लो | के पौत्र औरङ्गजेवके समय भारतमें मुसलमानोंका प्रभाव . . . आदि कई सामन्तराज्योंकी प्रतिष्ठा हुई थी। अफ्रिका-! चरम सीमा तक पहुचा था। के पूर्वीय फिनारे. वावेलमान्देव प्रणालीसे जजीवार भारतवासी इस्लाम धर्मावलम्वी मुसलमान विविध नक समुद्र किनारे उनके यत्नसे मकशुआदा, मेलिन्दे, जातियोंसे उत्पन्न हुए हैं। इनमें बहुतेरे अन्यान्य शाखाओं सोफला, केलू और मुजाम्बिक बन्दर स्थापित हुए। की अरव जातिक सन्तान हैं। कितने ही फारसवासी यहांसे वे माडागास्कर-वासियोंके साथ वैदेशिक इरानो जातिसे उत्पन्न हुए हैं और कितने ही शक, तातार,