पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/१४३

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१४० मुसलमान भुसलमान-साम्राज्य में फैल गया था। कोई जातिके डरलें, भारतमें मुसलमानोंके आनेके बाद किस तरह हिन्दू कोई प्राणके भयसे और कोई मान-रक्षाके लिये मुसल- मुसलमान बने थे, मुसलमान पीरोंको पूजा और हिन्दू मान बनने पर वाध्य हुआ था। इस तरह इस्लाम-धम्म धर्म-सम्प्रदाय विशेषके प्रवत्तकोंका इतिहास पढ़नेसे अटलाण्टिक महासागर किनारेसे प्रशान्त महासागर तक | फैल गया था। उसका विशेष विवरण जान सकते हैं। मुं लमानी भारतमें इस्लाम-धर्मके प्रचार होनेके बाद जव हिंदू धार्मिक तीर्थोंमें मकाका हंज ही सबसे प्रधान है। सिवा और मुसलमान जाति आपसमें मिल कर रहने लगी थी, इसके जियारात या छोटे पोरों और पैगम्बरों के मकवरों के तब इन दोनों जातियों में कभी किसी तरहका झगड़ा रहनेसे यह स्थान और पवित्र तीर्थ रूपमें गिना जाता फसाद नहीं होता था। ये जातियां उस समय अपने गपने | है। इन्हीं सव साधुचेता पोरोंके अमानुपिक क्षमताको देख कर हिन्दुओंका चित्त भी आकर्षित हुआ था। दुःख- धर्म के अनुसार कार्य सम्पन्न कर सुखसे दिन विताती | का विषय है, कि मुसलमानोंके पवित्र तीर्थ मक्क में थीं, और तो क्या-१४वीं शताब्दीमें मुगल-विजयके हिन्दुओंके जानेका कोई उपाय नहीं । मक्के में प्रवेश वाद जव समूचा भारतवर्ष तैमूरके हाथ आया, तव भी। करनेके समय विना मुसलमान हुए कोई भी नहीं जा मुसालमानोंने हिन्दू-धर्म पर आघात न किया था। उस सकता । हिन्दुओंका विश्वास है, कि वहां मक्केश्वरनाथ सामय दोनों धर्मावलम्बियों में ऐसा साझाव था, कि 14 नामक शिवलिङ्ग विद्यमान है। मक्का शब्द देखो। विजेता मुसलमानोंने उसी विजित ब्रह्मण्य श्रमकी क्रिया- । क्यूबाके निकटके नजफके मसोद-इ-अली कवीलाके आश्रय लिया था। दूसरे ओर हिन्दू भी महम्मद और इमाम हसनको मसजिद, खुरासानके इमाम राजाकी पैगम्बरों की प्रशंसा करते थे। इस सम्बन्धके फलसे मसजिद और अन्य न्य इनामजादा और महापुरुषों के हिन्दुसमाजमें सत्यतारायणको पूजा, ओलाई वीवीकी पूजा, पोरको शिरनी चढ़ानेको प्रथा प्रचलित हुई। इस- that we find Brahmanical practices and mavy से अधिक आश्चर्यका विषय यह है कि भारतवासो सुन्नो। of the prejudices of caste adopted by the con- और शिया ( Schiites ) नामक दो मत-विरोधो मुसल. querors at a rery early period, while on the मान-सम्प्रदायके भारतमें आनेके वाद आपसमें विरुद्ध other hand. the Hindus learned to speak ivith भाव त्याग कर प्रेससूखने वधे थे, विजित देशमें respect of Alohamed and the prophets of Islam. reenect of Mohamel and the nror धनागमका सुअवसर खोजनेक अभिप्रायसे ही हो या, And what is perhaps still more remarkable, शान्तिप्रिय हिन्दुओंको एकताके कारण ही दो मुसल- the Moharu medan sectaries, the Sonnites and . the Schiites, laid aside ronted animosities मानोंने देवाधिष्ठित भारतभूमिमें स्वाभाविक शान्तिभाव | when they entered the Peninsula. The change 'धारण किया था। मुगल-सम्राट अकवर शाह विविध which thus gradually took place in the religi- धर्मावलम्बियोंको मिला कर एक नये मतको सृष्टि करना ous feelings of all parties, encouraged .the empe- चाहते थे। इस मतका नाम 'इलाही (खगाय ) रखा Akbar, to make an attempt at the esta. गया था। उनके धर्मका मूल मन्त्र यह था-"एक ईश्वर- } •blishment of a new religion, * * * *. The के सिवा और कोई देवता नहीं। अकबर उसके प्रतिनिधि object of this religious reformer tvas to unite खलीफा हैं।" इस संस्कृत धर्ममत स्थापनका मुख्य उदेश्य into one body Mohammedans. Hindus, Coroa. हिन्दू, फारसी, यहूदी और ईसाई धर्मावलम्बियोंको strians, Jews and Christians. The creed of Akbar, indeed, bears considerable resemblance एक करना था। सम्राट अकवरका यह मत.फारसवालों- to that of the Persian Sufis or to that of the के सूर्फा और हिन्दुओंके वेदान्त मतके अनुरूप ही है | Hindus of the Vedanti School." The Faiths of the World, Vol, VII, p. 469,

  • UNav.such was the harmony which prevai-

led between the adherants of the tvo creeds,