पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/१५०

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१४७ मुसलमान सिवा इसके जुलाहे, धूनिया, कुजड़े, तुर्कनाऊ और । हजाम धोवीको मना करना, बेटी-बेटाका विवाह, वन्द दरजी आदि अजलाफ श्रेणो . गिने जाते हैं। मूल वात करना आदि पक्षायत द्वारा किया जाता है ! समाजमें यह है, कि हिन्दू-समाजमें ब्राह्मण और शूद्रका जैसा प्रभेद पञ्चायतका प्रभुत्व या प्रभाव रहनेसे साधारण अपने है, मुसलमान-समाजमें भी असराफ और अजलाफोंका इच्छानुसार कार्य करने में असमर्थ है। विवाह, वाणिज्य वैसा ही अलगाव है । सैयद पुरोहित और मुगल पठान | और सामाजिक विषयों में वैलक्षण्य निर्धारण मुसलमानमें क्षत्रिय माने जाते हैं। कर अपनी आज्ञा देना ही पञ्चायतका कार्य है। कोई उक्त दोनों समाजोंके सिवा अर्जाल नामक और एक धुनियां यदि अपनो जातिको खीसे विवाह न कर किसी श्रेणी विभाग दिखाई देता है। हालालखोर, लालवंगी, दूसरी (नीच या ऊची ) रमणीके साथ प्रेम-परिणय आब्दाल और वेदिया, आदि निकृष्ट जातियां इस समाज- करे, तो सब तरहसे समाजमें लांछित और दण्डनीय के अन्तर्गत हैं। ये किसी भी मुसलमान सम्प्रदायमें | होता है; किन्तु यदि वह उस स्त्रोके पैतृक व्यवसाय- नहीं मिल जुल सकती। ये हिंदुओं के मेहतरों, दुसाधों | का आश्रय कर लेता है, तो समाजको कोई आपत्ति और कोली आदि जातियों के अनुरूप हैं। नहीं रह जाती। नीच जातिके हिन्दुओं की तरह मुसलमानों में भी | _____ असराफ और कृषिजीवी शेखों में इस तरहको पञ्चा- सामाजिक कानूनको भङ्ग करने पर दण्डविधानके लिये | यतका कुछ भी प्रभाव नहीं । कुसंस्कारसे हो या साधा- एक पञ्चायत रहती है। जुलाहे, कुजड़े, कोली, दरजी, रणकी समझसे ही हो, अपराधी समाजके द्वारा दण्डं- धुनिया आदि आजलाफों के भीतर भिन्न नामोंसे यह | नीय होता है। इनमें सभी अपनेको वड़े हैं। पञ्चायत विद्यमान है। विहारमें पञ्चायत ही नाम है | विदेशसे आनेवाले मुसलमानोंका कुल-गौरव अधिक भार वङ्गालके ढाकेमें मातब्बर आदि। प्रत्येक स्थलमें है। ये अपने अपने खान्दानके विवाहादि घटनाओं को दोसे पांच सदस्योंसे यह पञ्चायत संगठित होती है। लिख लिया करते हैं। इस तरह इनके घर घर खान्दानी स्थानविशेषमें इसके सिवा और भी एक साधारण सभा तवारीख रहती है। नीच श्रेणीमें कन्याका विवाह कर 'या' पञ्चायत है । उच्चश्रेणीके सभी मुसलमान इस पञ्चा- देनेसे इज्जतकी मदीपलोद होगी, इससे यह अपने खान्दान । यतकी आज्ञा शिरोधार्य करते हैं। ढाका नगरके प्रत्येक में ही विवाह कर लेते हैं। पठान पठानके यहां, सैयद । 'मुहल्लों में निर्वाचित सरदारों द्वारा परिचालित एक पंचा सैयदके यहां अपनी अपनी लड़की देते लेते हैं। अस- यत है । सामाजिक किसी बड़े बड़े झगड़े का निवटारा | राफ-समाज अपने लड़केका विवाह अन्य श्रेणीके लोगों- करते समय सभी पञ्चायतों के सरदार एकन हो कर के यहां भी कर लेता है। सैयद खान्दानमें असली . साधारण पञ्चायतको बुलाते हैं । असराफ श्रेणीके शेखोंका विवाह होता है। सैयद शेखोंके यहां अपनी . ' सिवा सभी इस सभाकी बातें मानते हैं। लड़कीकी सादी नहीं करते। किन्तु उनकी लड़की ___उक्त पञ्चायतके सदस्य प्रधानतः अपने-अपने समाज लेते है। के धनवान व्यक्तियों द्वारा ही चुने जाते हैं। इस निर्वाः असराफ और अजलाफोंमें विशेष अलगाव रहने पर चनमें नये सभ्य के लिये भोज दे कर वोट संग्रह किया भी कहीं कहीं दोनों दलमें पुत्रोका लेन देन विद्यमान है। जाता है । विभिन्न श्रेणीका कन्या-विवाह, | असराफ नीच घर में अपनी लड़की नहीं देते ; किन्तु ध्यभिचार, अखाद्य भक्षण, अकारण ही स्त्रीको परित्याग | अजलाफकी कन्या ले सकते हैं। इससे केवल उनके करना, दूसारेको पत्नो कन्याका अपहरण, अपनी जातिक खान्दान पर धव्या आता है। यदि ये मनुष्य अपने घर 'विरुद्ध झूठा अभियोग; या झूठमूठ शिकायत करना भादि दूसरे नोचकी कन्या ला कर विवाह कर लेता है, तो. कार्योंके दण्डविधानके लिये 'पञ्चायत सभांकी) उससे खान्दानमें किसी तरहका धब्बा नहीं लगतां । इस. बैठक होती हैं। हुक्का, पानी, वन्द करना या उसको । विवाहकी स्त्रीसे जो.लड़का उत्पन्न होता है, वह अपना