पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/१६८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

मुसलमानधर्म सम्प्रदाय उक्त सारहीन मतका खण्डन कर. मीमांसा !:. ::: अस्ताना रखा जाता है। इस महीनेके १६वें और युक्तिसे इस्लामधर्म में जो विशाल एकेश्वरवादका ...दिनमें अधिवास और १७३ दिनमें पर्ण और. -प्रवर्शन किया है, वह पारस्यवासी विज्ञतम मुसलमानके उत्सव आरम्भ होता है। निकट: दार्शनिक - युक्ति-प्रतिष्ठित 'सुफी'. मतले प्रसिद्ध जुम्मादि-उल-आखिरः ११ दिनमें कादर अली साहब- है। सुफ़ी देखो. ... . . . . . ..का उरस । नागपत्तनके समीर नागोर नगरमें ... .. .... . धर्मकर्मपद्धति। . . इस 'फकीरका . समाधितीर्था. विद्यमान है। ... ऊपरमें मुसलमान जातिकी सामाजिक कुलपद्धतिका दाक्षिणात्यके मोपला, लेव्यम, मङ्गल आदि विषय कहा गया। उन सामाजिक और अनुष्ठ य देशा- | साफी मतावलम्बी निकृष्ट श्रेणीके देशी मुसल- चारके साथ धर्मार्थ कर्त्तव्य कुछ कार्यकलाप भी विधिः । मान इसके सम्मानार्थी एक महोत्सव करते हैं। बद्ध हैं। जातीयधर्मके अन्तर्भुत होनेके कारण मुसल ७ रजव-इस महीने के किसी एक वृहस्पति की 'शुक्राचार- मानमात्रको ही उसका पालन करना उचित है। महम्म- को रजव सलार (सलार मसाउद गाजी ) के दीयगण इसी कारण महम्मद द्वारा प्रवर्तित वारह कन्दरी तथा सैयद जलाल उद्दोनके कुदो नामक महीनों में कर्त्तव्य धर्माचारोंको प्राणपणसे पालन करते पर्णका अनुष्टान होता है। उक्त दोनों साधुकी हैं। आज भी मुसलमानोंके मध्य निम्नलिखित पर्व। प्रेतात्माको तृप्त करने के लिये पुलाव चढ़ाया और उत्सव मनाये जाते हैं। . जाता और फतिहाका पाठ होता है। शिया -मास.. . अनुष्ठेय कर्म। साम्प्रदायिक मौला अलोके उद्देशसे कुंदो उत्सव १. मुहर्रम-मुहर्रम पर्वका उत्सवादि और भोज । . मनाते हैं । भारतवर्षको छोड़ कर दूसरे देश-

यह महीनके प्रथम १० दिनमें अर्थात् असुरामें .

वोसी मुसलमानों के मध्य यह उत्सव नहीं

शुरू होता है। दूसरेके मतसे इस समय स्वर्ग:, . होता । इस महीनेके १५वें या १६३ (किसीके

.. और नरक, तकदीर, हयात्. आदिकी प्रथम मतसे २७३) दिनमें महम्मदको मिराज वा .:::.. सृष्टि हुई थी। मुहर्रम देखो। . . स्वर्गारोहण-पर्व मनाया जाता हैं। २ शफर-प्रथम १३ दिन तयरा-तयजी महीनेके अन्तिम ८ शावन-१४ दिनमें शव-इ-वरात भोजपर्छ, इसके . .. बुधवारको आखरी चहार सुम्वाका ईद उत्सव । पहले दिन उसका आर्का।.. ३:रविउल अव्वल-१२वें दिनमें महम्मद मुस्तफाके तिरो. . धानके उपलक्षमें पर्वानुष्ठान । | रमजान-रोजा । इस महीनेमें मुसलमान मात्रको रात्रि- ४ रवि-उस-सानि-पीर-इ दस्तगिरका (पीरान-इ पीर) के अन्तिम प्रहरसे ले कर सन्ध्याके वाद नमाज .. : . पूजा-पर्व। महीनेके ११वें दिनमें पीरसाहवके ___ तक उपवास करना पड़ता है। इस समय . .. . सम्मानार्थ भोगदान और फतीहादिका पाठ | - तरावीह और आयतफ-साफ वैठना नामक -:: :: . होता है। भजनपाठ तथा लैलत-उल कदरका शव-वय-दावी ५ जुम्मादि-उल-अब्बल-जिन्द शाहमदार (सिरियावासी अर्थात् रमजान महीनको अन्तिम रात्रि जागरण :

:- वदि उहीन नामक एक साधु) फकीरके उद्देश- पर्वानुष्ठान । - .:

. से पर्वानुष्ठान । भारतवर्ष में यह पर्ण 'दमःमदार' | १० सवाल-इस मासके पहले दिनको ईद-उल-फितर कहलाता है। मदार साहब सिरीयासे कानपुरके | ..या रमजानको ईद होती है। ... समीप माखनपुरमें आ कर बस गये थे। अंभी |११.जिकोयेदा या.जेलकद-चन्दा नमाज. या घेसुद-राज- ... प्रायः सभी मुसलमानोंके बड़े बड़े गांवमें ...... पोरके इस महीनेकी १६वीं तारीखको चिराग ___ अल्लम वा स्मृति चिह्र स्थापन करके मदारका |:: .. दिखलाया जाता है। Vol, xvill 42