पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/१७६

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मुसहिल-मुस्कि . १७३ इन लोगोंमें भी संगोत्र विवाह नहीं होता। यहां | सदाके लिये वुझ गया। वह छः दीवानं और दो कवि- तक, कि माता वा मातामह अथवा पितामहके विवाह- जीवनी लिख गया है। सम्वन्धीय गोत्र सम्पर्कमें भी विवाह निषिद्ध है। गङ्गाके मुसाफिर (अ० पु०) यात्री, राहगीर। उत्तर तीरवासी मुसहरों में विशेषतः वाल्यविवाह ही मुसाफिर--१ मुसलमान-साधु वा फकीर । धर्मप्राण बलता है। किन्तु शाहावाद जिलेमें युवती कन्याका मुसलमानोंने इन फकीरों के रहनेके लिये नगर नगरमें विवाह होते देखा जाता है। विवाहकालमें इनका कोई | जो मकान बनवा दिये हैं उन्हें मुसाफिरखाना कहते हैं। ' मन्त्र नहीं है। किसी भी श्रेणोके ब्राह्मण इनकी पुरो- मुसाफिरखाना ( अ० पु०) १ यात्रियों के खास कर रेलवे · हिताई नहीं करते। यात्रियों के ठहरनेके लिये वना हुआ स्थान । २ धर्म- विवाहमें वरके शिर पर चावल और जल छिड़का | शाला, सराय। जाता है । इसके बाद कन्याकी माता आकर कन्याको अपनी मुसाफिरत (अ० स्त्रो०) मुसाफिर होनेकी दशा, मुसा गोद में विठाती और वर पांच वार मांगमें सिन्दूर लगाता| फिरी। है। विवाहके समय ये लोग हिन्दूके अनुकरण पर कुछ मुसाफिरी (अ० स्त्री० ) १ मुसाफिर . होनेकी दशा । २ देशाचारोंका भी अनुष्ठान करते हैं। याला प्रवास। वहुविवाह निषिद्ध होने पर भी सगाई प्रथासे विधवा | मुसा-विन-मैमुन-एक प्रसिद्ध मुसलमान दार्शनिक । विवाह होता है । ये लोग कालो, ठाकुराणी माई, तुलसी- पाश्चात्य यूरोपखण्डमें ये Mainon des नामसे प्रसिद्ध वीर, रामवीर, भरवारवीर, आसनवार, बड़कवीर और हैं। चिकित्सायिद्यामें भी इनकी अद्भुत पारदर्शिता रिखमुनिकी पूजा करते हैं। वोरों की पूजा में शूकरवलि थी, इसीसे यहूदियों ने इन्हें वैद्यश्रेष्ठ ( Eagle of doc. तथा अन्यान्य उपहार चढ़ाए जाते हैं । ब्राह्मणकी सलाह | tors) कहा है। आवेरहो (Averrhoes) नामक ले कर भकत लोग वीरोंकी पूजा करते हैं। विवाह, | विख्यात पण्डितवरके समीप रह कर इन्होंने दर्शन और जातकर्म, नामकरण आदि विषयों में ये लोग ब्राह्मणसे | आयुर्वेद शास्त्र सीखा था। इसी समय वे अरवी, हिब्रू शुभदिन निर्णय करा लेते हैं। हिन्दूको तरह ये लोग | कालदीय और तुर्कभाषा भी सीखने लगे। आखिर भी अन्त्येष्टिक्रिया तथा श्राद्ध करते हैं। सिर्फ १५ दिन | इन्होंने कायरो नगरमें आ कर दर्शनशिक्षाके प्रचारके लिये अशौच रहता है। वार्षिक श्राद्ध भी होता है। श्राद्ध- एक मठ खोला। प्रीस और अलेकसन्द्रिया आदि दूर फर्ममें भांजा पुरोहिताई करते देखा जाता है। वैशाखी | दूर देशोंसे अनेक छात्र इनके निकट पढ़ने आते थे । पर्व, माधकी श्रीपञ्चमी पर्व, शुक्ल श्रावणपञ्चमी पर्व तथा | इनका बनाया हुआ धर्मतत्त्व नामक एक बड़ा प्रन्थ जन- वर्षारम्भमें कजरी पर्व और होलो वा फगुआ पर्वोत्सव | साधारणको मादरकी वस्तु है। में ये लोग बहुत आमोद प्रमोद करते हैं। इनमेंसे वैशाखी मुसाहव ( अ० पु० ) वह जो किसी धनवान या राजा और माघी पर्व बडे, ठाटवाटसे किया जाता है। | आदिके समीप उसका मन बहलाने अथवा इसी प्रकार के. मुसहिल (अ० वि० ) वह दवा जिससे दस्त आवे, | और कामोंके लिये रहता है, पार्श्ववत्तीं। दस्तावर । मुसाहवत (अ० पु०) मुसाहवका पद या काम। मुसाफि-एक मुसलमान-कवि। इसका असल नाम मुसाहवी ( म० स्त्री० ) मुसाहवका पद या काम । .. शेख गुलाम हमदनी था। रोहिलखएडके मुरादावाद | मुसीका (हि० पु०) मुसका देखो।। जिलान्तर्गत अमरोहा नगरमें इसका जन्म हुआ था। मुसीवत (अ० स्त्री०) १ तकलीफ, कष्ट। २ विपत्ति । पीछे वहांसे आगरा नगरमें आ कर कुछ दिन उहरा।। संकट । लखनऊ नगरमें रहते समय इसकी कवित्व | मुरिक--वेलुचिस्तानका एक पाश्चात्य भूभाग। यहां प्रतिभा चमक उठो। १८३० ई में इसका जीवन-प्रदीप | दुर्गादिसे परिशोभित अनेक नगर देखे जाते हैं। मेमा Vol. XVIII. 44