पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/१८१

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१७८ मुहरम २ आदम और हवाका मर्त्यलोकमें अवतरण तथा प्रजा | हसनकी बात पर आयजिद जरा भी विचलित नह सृष्टिका आरम्भ, ३ दश हजार पैगम्बरोंकी पवित्र आत्मा । को भगवद्यौत्यलाभ, ४ आर्या वा नवम स्वर्ग, ५ कुसों ____ अवदुल्ला जुवर नामक एक मदीनावासी आयजिदके वा ईश्वरका स्फटिकका बना हुआ विचारासन, ६ अधीन काम करता था। उसे एक अत्यन्त रूपवती स्त्री विहिश्त या सप्तम स्वर्ग, ७ दोजख वा नरक, लोभह वा थी। उस स्त्री पर आयजिद आसक्त हो गया। एक विचारफलनिर्देशक फलक, ६ फलम अर्थात् विचार दिन आयजिदने जुवरको अपने महलमें बुला कर कहा, लिखनेकी लेखनी, १० तकदीर अर्थात् अदृष्ट वा भाग्य, | 'जुवर! मेरे एक सुन्दर और चतुर वहन है, क्या तुम ११ हयात् या प्राण और १२ मामत् या मृत्युकी} उससे विवाह करना चाहते हो? मैं समझता हूँ, कि उत्पत्ति । तुम ठीक उसके उपयुक्त पात्र हो।' यह सुन कर अव. ___श्य हसन-हुसेनका आत्मोत्सर्ग। दुल्ला मानो एक तरहसे राजी हो गया, आशासे उत्सा- रौजात्-उस-सोहादा, कानजुल गराहव आदि प्रन्थों. हित हो उसने कहा, 'जहांपनाह! तन मन धनसे यह दास में हसन और हुसेनके आत्मविसर्जनकी अनेक प्रकारकी आपकी आज्ञा पालन करनेको तैयार है। आयजिद उसे कथायें लिखी हैं। इनमेंसे इतिहासकारोंने जिन्हें प्रामा- अन्दर महल में बैठा कर कहीं चला गया। एक घंटेके णिक समझ कर प्रकाशित किया है, वही नीचे लिखा वाद फिर आ कर कहा, 'अबदुल्ला! कन्याकी विलकुल जाता है। इच्छा है, तुम्हारे सिवा दुसरेके साथ वह विवाह करना ____ोसमानने अपने शासनकालमें आत्मीय मयाविया- नहीं चाहती । किन्तु तुम्हारा विवाह हो चुका है, को सिरियाराज्य प्रदान किया । ममावियाके मरनेके बाद इसलिये जब तक तुम वर्तमान पत्नीको छोड़ न दो, तव उसका लड़का आयजिद सिरियाके सिंहासन पर बैठा। तक वह तुमसे विवाह नहीं कर सकती।' मूर्ख अवदुल्ला- उस समय मुहम्मदके वंशधर इमाम हसन उत्तराधि- ने उसी समय अपनी स्त्रीको तलाक-मुतालक नियमके कारीको हैसियतसे * मदीनाके सिंहासन पर अरवके अनुसार छोड़ दिया। आयजिद फिर एक बार लौट खलीफारूपमें अधिष्ठित थे। कर बोला, 'राजकन्या अभो राजी हो गई है, वह चाहती दुए प्रजाओंकी उत्तेजनासे आयजिदके साथ हसन- है, कि विवाहका दहेज पहले ही मिल जाय।' जुवरने की शत्रुता चली। आयजिद भी अहङ्कारसे उन्मत्त हो कहा, 'मैं दरिद्र हूं, राजकन्याको देने लायक मेरे पास गया। उसने इसनको सामान्य फकीरका लड़का और दहेज कहाँ ?' आयजिदने उसे आश्वासन दे कर कहा, 'इसके लिये चिन्ता मत करो, मैं तुम्हें सूवादार बना कर दुर्बल समझ कर अपनी अधीनता स्वीकार करनेको कहला भेजा। भेजता हूं।' यह कह कर उसने जुबेरको बहुत दूर देशमें हसनने यह सुन कर सिरियापतिको सूचित किया, भेज दिया, साथ साथ वहांके सूवेदारको लिख भेजा 'क्या हो आश्चर्य है, कौन किसको पूजा करेगा! कहांसे कि जुवेरको पहले सूबेदारी पद दे कर जिस किसी तरह- से हो उसका प्राण ले लेना।' आखिर सूबेदारने वैसा धर्मराज्य स्थापित हुआ? अच्छी तरह सोच विचार लो। ही किया। धनलाभ और रिपुके वशवत्ती हो कर ऐसा अन्याय कार्य करनेका दुस्साहस न करो; क्या तुम्हें मालूम नहीं, कल. इधर आयजिदने अपने राजदूत मूसा असरीके हाथ जुबेर. ही तुम्हें खुदाके समीप इसकी कैफियत देनी होगी। | की स्त्रीको कहला भेजा, विना अपराधके तुम्हारे खामो ने तुम्हें छोड़ दिया इसके लिये खुदाने भी उसे उपयुक्त

  • महम्मदके बाद भाबूवकर पीछे ओमर, ओमरके बाद | सजा दी है। अभी यदि तुम चाहो, तो मेरो महिषी वन

भोसमान, भोसमानके वाद मुहम्मदका दामाद ,अली खलीफा | सकती हो । दूतके मदीना पहुंचने पर इमाम हसनने उसे हुआ था। इसीसे अलीके लड़के हसन और हुसेन थे। आनेका कारण पूछा। इसने सारी बातें कह सुनाई।