पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/१८२

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मुहर्रम इस पर इमामने भी उसे कह दिया कि, यदि वह औरत । अत्यन्त पीड़ित हो गिर पड़ा। तुरत आयजिदके पास आयजिदसे विवाह करना न चाहती हो तो उसे कह देना, यह खबर भेजी गई । आयजिदने गृहस्थको लिख भेजा कि मैं उससे विवाह करनेको तैयार हूं। . कि, 'जिस किसी तरहले हो, इसका काम तमाम करो। मूसाने भा कर जुबरकी स्त्रीसे पहले सिरियाराजके | वजीरका पद तुम्हें ही मिलेगा। संयोगवश वह पत्र धनऐश्वर्यका हाल कहा, पीछे गजाका आदेश भी कह | हसनके हाथ लगा। अब वह विलकुल चुप रहा, किसी सुनाया। दूतके मुखसे सारी वाने सुन कर जुवेरको से कुछ नहीं कहा। उसने स्थिर किया, कि फौरन यहां- स्त्रीने कहा, 'तुम्हें क्या और कुछ कहना है ?' दूत बोला, से निकल जाना हो अच्छा है। इस शहरके खलीफा अलोका लड़का और मुहम्मदका एक दिन एक दुष्ट बछे की नोकमें विष लगा कर नाती इमाम हसन भी तुमसे विवाह करना चाहता है। हसनके पास आया और हाथ जोड़ कर बोला, 'मेरे स्त्रीने बड़े धीर-भावमें उत्तर दिया, 'धन जन ऐश्वर्य यह । आँख नहीं हैं, मुझे पूरी उम्मीद है, कि यदि मैं श्रीमान्के सभी क्षणिक है, ज्वारके जलके जैसा है, अतएव मैं धन चरण कमलमें दोनों आंखोंको घिसू तो फिरसे आंख पा ऐश्वर्य कुछ भी नहीं चाहती। पर हां, जिस धनको जाऊ। इतना कह कर वह हसनके चरणों में लेट गया पानेसे मैं खुदाके समीप जवाव दे सकू, उसी हसनके और वझेले इमामके शरीरको बुरी तरह घायल कर दिया। धनसे मैं धनी होना चाहती हूं। रक्तस्रोत वहने लगा। वहां जितने आदमी खड़े थे दूतके मुखसे यह बात सुन कर हसन उसके घर | सवोंने उस दुष्टको पकड़ना चाहा। हसनने उन्हें रोक गया और उससे विवाह कर लिया। दूत लौट कर कर कहा, रक्तके बदलेमें रक्त लेनेका नियम है सही, पर आयजिदके पास आया और सारी घटना कह सुनाई ।। अभी तक मैं जीवित हूं; अतएव इस अभागेका प्राण उसी दिनसे आवजिद हसनका जानो दुश्मन हो गया। क्यों नष्ट किया जायगा ? यह निश्चय जानो, खुदा इस उसने विष खिला कर हसनका प्राण लेना चाहा । किन्तु | पाखण्डीको सचमुच अंधा बना कर उपयुक्त दण्ड हसन पहले होसे ताड़ गया था, इस कारण आयजिदकी देंगे।' इस प्रकार हसनने उस दुवृत्तको छोड़ तो दिया, एक भी चाल न चली। इसके बाद आयजिदने कुफो- पर विषकी ज्वालाले बहुत दिन तक कष्ट भोग की प्रजाओंसे कहा, 'तुममें से जो कोई हसनको अपने किया था। राज्यमें बुला कर उसका काम तमाम करेगा, उसे मैं अव शनुपुरीमें रहना अच्छा न समझ कर हसन अपना वजोर' बना दूंगा। मदोना लौटा। यहां आयजिदका मन्ती मारवान पहले कुफोकी प्रजा इस प्रलोभनमें भुला गई। उन्होंने | हीसे ठहरा हुआ था। उसने जोयादा नामक एक औरत- हसनके पास भूठा संवाद भेजा कि, हम लोग आयजिद को मोटो रकम दे कर काबू कर लिया और उसके हाथ के उत्पीड़नसे तंग तंग आ गये। इस समय यदि आप तीव्र विष दे कर हसनका प्राणनाश करनेको कहा। वह दया कुर कुफी-राज्यमें पधारें, तो सभी प्रजा आपकी | दुष्ट औरत धनके लोभसे गहरी रातको विष ले कर ओरसे तलवार उठायेगी।' हसन मीठो मीठो वातोंमें | हसनके सोनेके कमरेमें गई। वहां उसने देखा कि पड कर कुफीदेशको चल दिया। इधर आयजिदने भी । सिरहानेमें मसलिनसे ढका हुआ एक जलपात्र रखा अपने मन्त्री मारवानको मदीना भेजा। हुआ है, सो वह फौरन उसो जलमें विष मिला कर हसन मुसलनगर में आ कर यहाँके प्राकृतिक सौन्दर्य वहांले चल वनी। हसन उस समय भी पीड़ित ही था, से विमुग्ध हो एक गृहस्थका अतिथि हुआ। गृहस्थने उसने प्याससे प्याकुल हो कर अपनी बहन कुलसुमसे अच्छा मौका देख कर उसो दिन खाद्यमें विष मिला | जल मांगा। कुलसुमने दिना जाने उसी विपाक्त जल- दिया। किन्तु इससे हसनका कुछ भी अनिष्ट न हुआ, | पात्रको भाईके हाथ दे दिया। जल पीते ही हसनको देख उसने फिरसे विषका प्रयोग किया। इस बार हसन | तमाम अन्धकार ही अंधकार दिखाई देने लगा, विषकी