पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/१८३

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१० मुहर्रम यन्त्रणासै वह तड़पने लगा। उसे मालूम हो गया, पिटवा दिया। सुराने डरके मारे उन्हें काफला कि इस वार वचनेकी कोई उम्मीद नहीं। छोटे भाई पर्याटक दलके साथ भेज दिया। शामको वे दोनों अपने हुसेनको बुला अनेक प्रकारके हितोपदेश दे वह इस साथी और पथको भूल गये। अब वे एक खजूर पेड़के लोकसे चल वसा। जन्नात उल-धकिया नामक कत्रमें | नीचे बैठ कर रोने लगे। इसी समय हारिसकी एक उसकी लाश गाड़ी गई। क्रोतदासी जल ले कर उसी राहसे जा रही थी। उसने हुसेनने माईके लिये वहुत विलाप किया। उसके | दोनों वालकोंका चाँदसा मुखड़ा देख कर कहा, 'क्या तुम आत्मीय खजनोंने उसे बहुत समझाया वुझाया। अव हो दोनों मुसलिमके लड़के हो ? पिताका नाम सुन वही खलीफा हुआ। कुफोके अधिवासियोंने उससे दोनों वालक और भी फूट फूट कर रोने लगे। क्रोत- क्षमा मांगते हुए कहा, 'खुदाके नाम पर सौगंध खा कर दासो उन्हें अपने मालकिनके पास ले आई। हारिसकी हम लोग कहते हैं, कि यदि आप इन दरिद्रोंके देशमें | पत्नी दोनों वालकका मुंह देख कर मातृस्नेहसे अभिभूत पदापण करें, तो इस वार हम लोग निश्चय ही धर्मके हो गई। गोदमें ले कर वह रोने लगी और पुत्रके लिये आपको ओरसे प्राणपणसे युद्ध करेंगे। समान उनका लालन पालन करने लगी। हारिस पर सरल हृदयवाले हुमेनने कुफियोंकी वात पर विश्वास भी उन दोनों वालकोंको पकड़नेका भार था। किन्तु कर अपने प्रिय भतीजे मुसलिमको वहां भेजा ! मुस- उसको स्त्रोने स्वामीसे यह बात न कही और दोनों लिमके कुफो पहुंचने पर तीस हजार लोगोंने आ कर वालकोंको पासवाली कोठरीमें छिपा रखा। रातको उसकी पूजा की और वे सभो रात दिन उसका आदेश वालकने स्वप्नमें देखा, कि उसका पिता मुसलिम उन्हें पालन करने में मुस्तैद रहे। उन लोगोंके भानुगत्यका! खोज रहा है। वे दोनों बड़े जोरसे चिल्ला उठे। वह संवाद मुसलिमने हुसेनको लिख भेजा। इस संवादसे चिल्लाइट हारिसके कानमें पहुंची। धूर्त हारिस वड़ो हुसेन नितान्त प्रोत और उत्साहित हो अपने तथा भाईके तेजोसे वहां आया और दोनों लड़कोंको पहचान लिया। परिवारको साथ ले कुफी राज्यमें चल दिया। बस फिर क्या था, उसने दोनोंको पकड़ कर एक दूसरे- . इधर आयजिदने कुफियोंको कहला भेजा, 'खबरदार! के वालों में बांध दिया। उसको स्त्री दासदासी आत्मीय जो हुसेनका पक्ष लेगा, उसका निस्तार नहीं, वह सवंश स्वजनों ने उसे इस कामसे रोका, परन्तु . हारिसने मारा जायेगा।' मुसलिमको सभी कुफोवासी चाहते | किसीकी वात न सुनी। राहमें एक नदीके किनारे दोनों थे, उन्होंने आयजिदके कठोर संवादको उसके सामने वालकोंकी हत्या की गई। हारिस दोनों मुण्ड ले कर खोल दिया। सोंने उसे सलाह दो, कि अब क्षण भर सुवेदारके पास हाजिर हुआ और इस कामके लिये इनाम भो इस राज्यमें उसे रहना उचित नहीं। मांगा। किन्तु कोई भी हारिसके व्यवहार पर प्रसन्न मुसलिम हानी नामक एक व्यक्तिके घर छिप रहा। नहीं हुआ, सभी इस हृदयविदारक घटनाको देख कर आयजिदके अनुगत सूबेदार अबदुल्लाको यह खबर विचलित हो गये। सूबेदार अबदुल्लाने बड़े असंतुष्ट हो मालम हो गई। उसने मुसलिमको हाजिर करनेके लिये कर कहा, 'मैंने तुम्हें मार डालनेका हुकुम नहीं दिया था, हानीसे कहा। भक्त हानोने उसकी वात पर कान नहीं केवल पकड लानेको कहा था, तब फिर ऐसा घृणित दिया। सूबेदारके हुकुासे हानी मारा गया। मुसलिम कार्य क्यों किया? जिस नदोके किनारे दोनों अनाथ भी पकडा और निष्ठुर भावसे मारा गया। उसके ६७ वर्ष बालकोंका सिर काटा गया है, वहीं पर तुम्हारा भी सिर दो अनाथ लडके कैदमें ठूस दिये गये। दोनों लड़को काटा जायेगा। सुवेदारका हुकम फौरन तामिल के मलिन मुखको देख कर जेलरको तरस आया। उसने किया गया, हारिसको अपने किये हुए कार्मोका उचित दोनों लड़कोंको बचानेको ओशासे छोड़ दिया। वे दोनों इनाम मिला। इसके बाद इमाम हुसेन कुफिराज्यमें आये । यही सुरा नामक एक काजोके घर छिप रहे। सूबेदारने दोनों वालकको पकड़ने के लिये ढिंढोरा।