पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/१८९

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१८६ मुहर्रमी-मुहुक आते हैं। जो ताजियेको घर लौटा लाते, वे तीन दिन- मुहसिन (अ० वि० ) अनुग्रह करनेवाला, एहसान करने के वान फतिहा दे कर ताजियेसे आलमदार कागजादि । वाला । खोलते हैं और दूसरे वर्ष के लिये रख देते हैं। आलमसे- मुहसिल (अ० वि०) १ तहसिल वसूल करनेवाला, उगा. धोती और अलङ्कारादि खोल कर जलमें धो डालते और हनेवाला ।२ प्यादा, फेरीदार। तव पेटीमें वन्द रखते हैं। इसके बाद पूर्वोक्त खाद्यादि- मुहाफिज ( अ० वि० ) संरक्षक, हिफाजत करनेवाला । के ऊपर फतिहा पढ़ कर कुछ अंश बांट देते और कुछ मुहाफिजखाना (अ० पु०) कचहरीमें वह स्थान जहां सब घर ले आते हैं। प्रकारकी मिसलें आदि रहती हैं। वुराक और नलसाहयको भी जलमें डुवा कर घर | मुहाफिज दफ्तर (अ० पु०) कचहरीका वह कर्मचारी लाया जाता है। धुराक पर फिरसे नया रङ्ग चढ़ा देते जिसको देखरेखमें मुहाफिजखाना रहता है। और नलसाहवको चन्दन-चचित कर रखते है। मुहाल ( अ० वि० ) १ असंभव, ना-मुमकीन। २दुष्कर, फकीर तथा सभी मुसलमान स्नान करके कपड़ा। कठिन । (पु०) ३ महाल देखो। ४ महल्ला देखो। बदलते और मरसिया गान करते घर लौटते हैं। मुहाला (मि० पु०) पीतलका वह बंद या चूड़ी जो हाथो- इस दिन प्रायः सभी मुसलमान अपने अपने घर पुलाव, के दाँतमें शोभाके लिये चढ़ाई जाती है। खिचड़ी आदि तरह तरहकी रसोई पकाते तथा मौलाअली मुहावरा (अ० पु०) १ लक्षणा या व्यञ्जना द्वारा सिद्ध और हुसेनके नाम उत्सर्ग कर वन्धुवांधव मिल कर खाते वाक्य या प्रयोग जो किसी एक ही बोली या लिखी और दुखियोंको भी खिलाते हैं। जानेवाली भाषामें प्रचलित है और जिसका अर्थ __ द्वादशी रातको भी मर्सियागान तथा कुरान और प्रत्यक्षले विलक्षण हो । जैसे, लाठी खाना, चमड़ा खोचना, हुसेनका स्तोत्र पढ़ा जाता है । दूसरे दिन भी सवेरे गुल खिलाना आदि । ३ अभ्यास, भादत। पुलाव वा खिचड़ी पकायी जाती है। सभी पहले होकी मुहासिव (म० पु०) १ गणितज्ञ, हिसाव जाननेवाला। तरह उत्सर्ग करके खाते और खिलाते हैं। इस लयो- २ हिसाव लेनेवाला, आंकनेवाला। दशीको रातको आलमोंके सामने पान, सुपारी, फल फूल मुहासिवा ( म० पु०) १ हिसाव, लेखा । २ पूछ-पाछ। और इतर आदि चढ़ाया जाता है। दूसरे दिन अशुर- मुहासिरा (अ० पु०) युद्ध आदिके समय किले वा शत्नु- खानेके सामनेवाले अस्थायी मण्डगोको तोड़ फोड़ डालते | सेनाको चारों ओरसे घेरनेका काम, घेरा। और आलमोंको वकसमें रख देते हैं। इसी प्रकार मुहर्रम मुहासिल (अ० पु.) १ भाय, आमदनी । २लाम, नफा । उत्सव सम्पन्न होता है। ३ विक्री आदिसे होनेवालो आय। उत्सवके दिन तक मांस, मैथुन, कदाचार और मुहिव्व (अ० पु०) प्रेम रखनेवाला, मित्र । असत्सङ्ग आदि करना बिलकुल मना है । इस समय मुहिम ( म० स्त्रो०) १ कोई कठिन या बड़ा काम, मारके सभी अत्यन्त पवित्रभावमै रह कर अशौच नियमका का या जान जोखका काम । २ युद्ध, लड़ाई।३ फौजको पालन करते हैं। चढ़ाई, आक्रमण। मुहर मो (अ० वि०) १ मुहर मसम्वन्धी, मुहर्रमका ।२ मुहिर (स पु०) मुह्यति ज्ञानरहितो भवत्यनेन लोकः शोक-ध्याक । ३ मनहूस। मुह्यति समायामिति वा मुह (इषिमदीति । उण ११५२) मुहरि (१० यु०) लेखक, मुशो। इति किरन् । १ कामदेव । (त्रि०) २ मूर्ख, जड,बुद्धि मुहरिरी ( अ० स्त्री०) मुहर्रिरका काम, लिखनेका काम। ३ असभ्य, जंगलो। मुहीम (अ० स्त्री० ) मुहिम देखो। मुहलत (अ० स्त्री०) मोहलत देखो। मुहुः (सं० अव्य० ) वार बार, फिर फिर । मुहलैठी (हिं० स्त्री० ) मुलेठी देखो। मुहुक (सं० क्लो०) मोहक, मेहनेवाला । मुहल्ल (अ० पु०) महल्ला देखो।