पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/१९२

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१८६ मड़ (हिं० पु०) कपाल, सिर । ___ जो जन्मवधिर है, वही मूक या गूगा होता है। मूडकटा (हिं० पु०) धोग्वा दे कर दूसरेको नुकसान पहुं-/ गूंगा होनेसे ही वहरा होगा। किन्तु यदि वह रोगवशतः चानेवाला, दूसरेकी हानि करनेवाला। गूगा हो गया हो, तो वहरा नहीं हो सकता । बधिर मूडन (हिं० पु०) चूड़ाकरण संस्कार, मुण्डन । शब्दमें विस्तृत विवरण देखो । २ हीन, विवश, लाचार । मडना ( हिं० क्रि०) १ सिरके वाल वनाना, हजामत (पु०) मध्यते वध्यते जालिकेरिति कक् । २ फरना। २ धोखा दे कर माल उड़ाना, उगना। ३ / मत्स्य, मछली । ३ दैत्य, दानव । ४ तक्षकके एक पुत्रका दीक्षित करना, चेला बनाना। ४ भेंडोंके गरीर परसे ऊन | नाम । कतरना। मूकता (सं० स्त्री०) मूकस्य भावः तल, टाप । मूकत्व, मूडी (हिं० स्त्री०) १ मस्तक, सिर । २ किसी धातुका गूंगापन। शिरोभाग। मूकलराय (सं० पु० ) मेवाड़के राणा मोकलदेव । मडोवंध (हि० पु. ) कुश्तीका एक पेच। इसमें एक | मूकाम्बिका (सं० स्त्रो०) १ दुर्गाका एक नाम । २ एक पहलवान दूसरेकी पीठ पर चढ़ कर उसकी वगलों प्राचीन नगरोका नाम । के नीचे से अपने हाथ ले जा कर उसकी गरदन मूकिमन् ( सं० पु०) मूकस्य भावः मूक (वर्णदृढादिभ्यः दवाता है। मूंदना (हि० कि० ) १ ऊपरसे कोई वस्तु डाल या फैला ध्यम् । पा२।१।१२३) इति भावे इम-निच् । मूकत्व, गूगापन । कर किसी वस्तुको छिपाना, आच्छादित करना।२ छिद्र, द्वार, मुख आदि पर कोई वस्तु फैला या रख कर उसे मूका ( हि० पु०) १ किसी दीवारके आर पार वना हुआ बंद करना, खुला न रहने देना। छेद। २ छोटा गोल झरोखा, मोखा । ३ धनी हुई मुट्ठो. मूक (सं० वि०) मध्यते वध्यतेऽसौ मव-(बाहुलकात् कक् ।। का प्रहार, धूसा। उण २४१ ) इति उपधाया वकारस्य चौट । १ वाक्य- | मूकिमा ( स० पु० ) मुकिमन् देखो। रहित, गूगा। पर्याय-अवाक । जो स्पष्टरूपसे वाक्य मूचीप ( सं० पु०) प्राचीन जातिविशेष। उच्चारण नहीं कर सकता, उसे मूक कहते हैं। सुश्रुतमे मूजवत् ( सं० पु० ) १ पर्वतभेद । २ उस देशके रहने- लिखा है, कि गर्भावस्थामे स्त्रियोंके जो सव अभिलाष | वाले। ( अथर्ववेद ५।२२।५ ) होते हैं, उन्हें अवश्य पूरे करने चाहिये, नहीं तो वायु मूजालदेव (सं० पु० ) राजभेद। बिगड़ जाती है और गर्भस्थ शिशु गूंगा, बहरा, काना, | मूजी (अ० पु. ) खल, दुष्ट। लंगड़ा, कुवड़ा आदि होता है। मूठ (हिं० स्त्री०) १ मुष्टि, मुट्ठो। २ उतनो वस्तु जितनी "गर्भो वातप्रकोपेण दोहदे चावमानिते। मुट्ठीमें आ सके। ३ मुठिया, दस्ता। ४ एक प्रकारका भवेत् कुन्जः कुणिः पङ्ग भ्रको मिन्मिन एव च ॥" । जुआ। इसमें कोड़ियां बंद करके बुझाते है। ४ मन्त्र ___(सुश्रुत शारीरस्था० २ स०) तन्त्रका प्रयोग, जादू। निदानस्थानमें लिखा है, कि कफयुक्त वायु जब मूठना (हिं० कि० ) नष्ट होना, मर मिटना। शन्दवाहिनो धमनीमे भर जाती है, तब रोगो अकर्मण्य, । मूडा र हिं० पु० ) घास फूसको रस्सीसे वांध बांध कर मूक और मिन्मिन होता है। उस वायुके सरल होनेसे बनाए हुए लट्टे के आकारके लंबे लंबे पूल जो परेलकी फिर वे सव दोष रहने नहीं पाते। । छाजनमें लगाए जाते हैं, मुट्ठा। "आवृत्य वायुः सकफो धमनी: शब्दवाहिनीं। मूठाली (हि. स्त्री०) तलवार । नरान् करोत्यक्रियवान् मूकमिन्मिन गद्गदान ॥" । मूठि (हि० स्त्रो० ) १ मठ देखो। २ मुट्ठी देखो। ( सुश्रु त निदानस्था० १ ० ) । मूड (हिं० पु० ) म देखो। Vol, IVIII. 48