पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/२३६

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२६३ मूलतान । मूलतान, शुजावाद, लोधरान, मैलसी और कावीरवाला । विस्तीर्ण स्तृपके अलावा यद्यपि प्राचीन मूलतान पांच तहसीलोंमें विभक्त है। - नगरी (कश्यपपुर) का कोई विशेष निदर्शन नहीं दिखाई शिक्षाके विचारसे प्रदेशके २८ जिलों में मूलतावका | देता, फिर भी प्रोक-वीर अलेकसन्दरके आक्रमणसे इस स्थान तीसरा है। फिलहाल सव मिला कर इसमें करीव | नगरका प्राचीन इतिहास मिलता है। उक विजयी ३०० स्कूल हैं। यहां एक संगीत स्कूल भी है। . महात्माने मलिल (मालव ) जातिको परास्त कर इस मूलतानमें एक सिविल अस्पताल, स्त्रियों के लिये प्राचीन राजधानो पर अधिकार किया था.! . विकोरिया जुविली अस्पताल, दो शाखा अस्पताल और यहाँकी प्रधान इमारतोंमें अरववासी मुसलमान साधु शहरके वाहर २८ चिकित्सालय हैं। वहाउद्दीन और रुकन उल आलमका मकबरा विशेषरूपसे २ उक्त जिलेकी तहसील। यह अक्षा० २६ २९ से | उल्लेखनीय है। उसके समीप प्रहादपुरी नामक नर- ३०२८ उ० तथा देशा० ७१ १७ से ७१.५८ पू०के सिंहमूर्ति-प्रतिष्ठित एक सुप्राचीन हिन्दूमन्दिर है । १८४८- मध्य अवस्थित है। भूपरिमाण ६५३ वर्गमील और, ४६ ई० में निकटस्थ दुर्गके वारूदखानेमें आग लग जानेसे जनसंख्या ढाई लाखके करीव है। इसमें मूलतान नामक । उसका बहुत कुछ अंश उड़ गया। दुर्गके मध्यस्थलमें एक शहर और २८६ प्राम लगते हैं। सूर्यका बड़ा मन्दिर अवस्थित है। हिन्दूविद्वेषो मुगल- ____३ पक्षाव प्रदेशका एक प्रधान शहर और मूलतान | औरङ्गजेबने इसे तहस नहस कर उसके ऊपर मसजिद जिलेका विचार सदर। यह अक्षा. ३०.१३ उ० तथा वनवाई। वह जुम्मा मसजिद सिखाजातिकी प्रधा- देशा० ७१ ३१ पू०के मध्य अवस्थित है। रेलवे द्वारा । नताके समय वारुदखानेके रूपमें व्यवहृत हुई थी। उस यह करांचोसे ५७६ मील और कलकत्तेसे १४२६ मोल , समय भी आग लग जानेसे उसका अधिकांश नष्ट हो दूर पड़ता है। गया। १८४८ ई० में मूलराजके विद्रोहकालमें मि० भांस नगरके चारों ओर ऊंची दीवार खड़ी है। केवल एगन्यु और लेफ्टेनाएट एण्डर्स नामक जो दो अंगरेज- दक्षिण ओर इरावती नदी मन्द गतिसे वहती है। कर्मचारी मारे गये उन्हींकी स्मृतिरक्षाके लिये दुर्गमें उक्त इरावती नदोकी गति तथा स्थानीय प्राचीन- ७० फुट ऊंचा एक मोनार खड़ा किया गया था। नगर- नदोगर्भ देखनेसे मालूम होता है, कि तैमूरलङ्ग जव भारत के पूर्व और हिन्दूशासनकर्त्ताओंके बनाये हुए प्रसिद्ध वर्ष पर चढ़ाई करने आया उस समय यह नदी नगरसे आमखास ( दरवार-घर ) में अभी तहसील कार्या- पांच कोस दक्षिण चन्द्रभागाके साथ मिली हुई थी। लय लगते हैं। दक्षिण ओर दीवान शावन मल्लका नगरके सामने उस नदीको गतिक परिवर्तनकालमें जो मकवरा है। दो द्वीप वन गये उन्हों के ऊपर सौधमालाविभूषित दुर्ग लाहोर-राजधानी और कराची वन्दर तक रेलवे वनाया गया था। क्योंकि, आसपासके विस्तीर्ण प्रान्तर लाईन दौड़ जानेसे नगरकी वाणिज्यसमृद्धि दिनों दिन से उनको ऊंचाई ५० फुट ज्यादा है। १८५४ ई० में अंग | वढ़ रही है। इसके सिवाय रेल और नाव द्वारा अमृतसर रेजी सेनाने यहाँके चहारदीवारीको तोड़ डाला था। जालन्धर, पिण्डदादन खां, भिवानी, दिल्ली आदि नगरों १८४६ ई० में अंगरेजोंके अधिकारमें आनेके वाद नगरको | तथा सुजावाद, लोधवान्, मैलसी, सरायसिन्धु, खरोड़, बड़ी उन्नति हुई है। किलेमें अभी अंगरेजी सैन्यदल तुलम्बा, जलालपुर और दन्यापुर आदि जिलोंके विभिन्न रहता है। वाणिज्य व्यवसाय करनेके उद्देशसे दूर दूर नगरों में वाणिज्य द्रष्य ले कर जाने आनेका अच्छा प्रवन्ध देशके अनेक लोग यहां आ कर बस गये हैं। हुसेन है। कन्धारवासी अफगान वणिक् सीमान्तसङ्कटको पार द्वारसे ले कर वाली महम्मदके द्वार तक एक बड़ी सड़क कर यहां आते और खरीद विक्री करते हैं। शहरमें तीन दौड़ गई है। उस सड़क पर जो वाजार बसा है वह हाई स्कूल, यूरोपीय वालकोंका एक मिडिल स्कूल और नगरको समृद्धिका परिचय देता है। | पालिकाके लिये लेण्ट मेरी कन्भेण्ट मिडिल स्कूल हैं। Vol, XVIII 59