पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/२६०

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२५७ मृत्तिका वनाये जाते हैं। मकान बनानेकी ईट दूसरे प्रकारकी। जामुनको पेड़ रहे तो उससे उत्तर तीन हाथ दूर दो मिट्टोसे बनाई जाती हैं। । पुरुष नोचे पूर्ववाहिनी शिरा अर्थात् धार रहती है। ____ वैज्ञानिक आलोचनासे पृथिवीके स्तरोंके सम्बन्धमें । उस स्थानमें एक पुरुष नोचे लोहगन्धिका मिट्टी और जो सिद्धान्त पाये गये हैं, पृथिवी और भूमि शब्दोंमें । पीला मेढ़क रहता है । जामुनके पेड़से पूरव यदि नजदीक- उनके नाम और गुणादि लिखे हैं। विज्ञानिकोंका इसमें में वल्मीक हो तो उसके दक्षिणमें दो पूरुष दूर और नीचे एकमत है कि जलवायुके कारण मिट्टी क्रमशः कठिन , स्वादिष्ट जल रहता है। मिट्टी खोदते समय आधा पुरुष नीचे पत्थरमें परिणत हो जाती है। मिट्टीके विकारसे जिस ' मत्स्य और पारावतके समान चट्टान होते हैं तथा इसको प्रकार हांडी आदि मिट्टीके वरतन तैयार होते हैं उसी मिट्टो नीले रङ्गको होती है और जल प्रभूत परिमाणमें प्रकार जलवायु आदिके संयोगसे भूगर्भस्थ मृत्तिकास्तर बहुत दिनों तक रहता है। उदुम्वर वृक्षसे तीन हाथ पश्चिम भी विकारको प्राप्त हो कर पीली मिट्टी सफेद मिट्टी, पत्थर के एक पुरुप नीचे उजला सांप, अंजनके समान पत्थर और पीछे होरकादि मूल्यवान् मणिमें रूपान्तरित हो जाता और उसके नीचे उत्तम जलवाली शिरा रहती है। है। पर्वत, पृथिवी, भूमि और मणि शब्द देखो। अर्जुन वृक्षके तीन हाथ उत्तर में यदि वल्मीक दीख पड़े विश्वकर्मप्रकाशमें मिट्टीके श्वेतादि चार वर्ण तथा तो उसके पश्चिम आधा पुरुष दूरमें जल रहता है। मिट्टी ब्राह्मणादि श्रेणी विभागका उल्लेख है तो भी भूतत्त्व- शोदते समय आध पुरुषकी दूरी पर उजला गोह, वेत्ताओंने अध्यवसाय और अनुसन्धान द्वारा पाटलादि । एक पुरुष नोचे धूसरी मिट्टी और उसके नीचे क्रमशः भिन्न भिन्न मत्स्तरोंका अस्तित्व निर्धारित किया है। वालु काली, पीलो, उजली और बलुई मिट्टी और मय छिद्रवाली मिट्टीसे ले कर, ज्वालामुखीके तरलोद्गार-, उसके नीचे अपरिमित जल रहता है। जो निगु एडी के धने कठिन पत्थर तक क्रमानुसार जितने कठिन स्तर वृक्ष वल्मीक पर खड़ा है उससे तीन हाथ दक्षिण पृथ्वीके गर्भ में पाये जाते हैं उनके नाम जनसाधारणको । णका । दो पुरुष नीचे जमीनमें खादिष्ट जल रहता है। शायद हो मालूम हो अतएर उनका उल्लेख यहां छोड़ । उससे भी आध पुरुष नीचे रोहित मछली, उससे नीचे दिया जाता है। कपिलवर्ण और उससे भी नीन्ने पाण्डुरवर्णकी मिट्टी, ___ वराहमिहिरको वृहत्संहितामें भूगर्भस्थ जलसंस्थान फिर बाल और शक्कर तथा शक्करके नोचे जल मिलेगा। के निर्णयके सम्वन्धमें भिन्न मिन्न तहोंका इस प्रकार यदि बेरके पेड़के पूर्व वल्मीक दिखाई दे तो जानना उल्लेख है:- मनुष्यके शरीरमें जैसे रकप्रवाहिनी शिराप रहती हैं । चाहिये कि वहां तीन पुरुष नीचे जमीनमें जल और वैसे ही पृथ्वीमें भी ऊपर और नीचे जलवाहिका शिराए जलसे आध पुरुष नीचे सफेद गोह नामक जन्तु है। हैं। आकाशसे एक ही रंगका और एक ही रसवाला ! यदि पलाश-समन्वित वेरका पेड़ रहे, तो तीन पुरुष नीचे जल नीचे आता है, वही भिन्न भिन्न मिट्टोमें भिन्न भिन्न जमोनमें पश्चिमको ओर जल रहता है। फिर उससे वर्ण और रसको धारण करता है। जल और मिट्टीका भी एक पुरुष नीचे दुन्दुभिका चिह्न दिखाई देगा। बैल निकट सम्बन्ध होने के कारण दोनोंकी आलोचना एक और ड्रमर वृक्ष जहां एक साथ उगे हों, वहांसे तीन साथ की जाती है। हाथ दक्षिण छोड़ कर यदि तीन पुरुष जमीन खोदी यदि निर्जल स्थानमें वेतका पेड़ रहे तो उससे तीन | जाय, तो जल और उससे आध पुरुष नीचे काला हाथ पश्चिम अद्ध पुरुष (१२० अगुल) नीचे पश्चिमक | मेढ़क पाया जायगा । काकोदुम्बर वृक्षके समीप सोते में जल वहता है। उससे अर्द्ध पुरुप नीचे पीले | वल्मीक दिखाई देनेसे १६॥ फुट नीचे पश्चिम दिग्वाही रंगका मेढ़क, पीली मिट्टी और पुटभेदक पत्थर इन सोता मिलेगा। इससे भी आध पुरुष नीचे कुछ चिट्ठोंके नोचे जल रहता है। जलहीन स्थानमें यदि | पाण्डुवर्ण और पीली मिट्टी तथा सफेद पत्थर और Voi, xvin 65