पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/२६२

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'मृचिका गम्भीर शब्द सुनाई दे वहां साढ़े तीन पुरुष, खारा जल, नकुल, तायेके जैसा पत्थर और लाल मिट्टी नोचे उत्तरवाहिनी शिरा रहती है। जिस पाई जाती है। उसके नीचे दक्षिणवाहिनी पृथिवीको वृक्षकी एक शाखा झुक गई अथवा पाण्डु वर्ण की हो शिरा वहतो है। यदि बेर और रोहित नामक वृक्ष एक गई हो उस वृक्षके १८ फुट नीचे जल है, ऐसा जानना साथ मिल कर उत्पन्न हुए हों और वहां वल्मोक न रहे, चाहिये। जिस वृक्षके फलपुष्पमें विकृति दिखाई दे, तो तोन हाथ पश्चिम हट कर ५० फुट नीचे जल रहता उससे तीन हाथ हट कर यदि २२ फुट जमीन खोदी जाय | है। जमीन खोदते समय पहली दक्षिणवाहिनी शिरासे तो जल-सोत मिलेगा। स्वादिष्ट जल वहतो है तथा दूसरी शिरा उत्तरकी ओर जिस कण्टकारिका लतामें कांटे न हों तथा सफेद | चली गई है। वहां पत्थर, सफेद मिट्टो और विच्छ फूल लगे हों उसके साढ़े तीन पुरुप नीचे जल है, ऐमा रहता है। यदि वेर और करील वृक्ष एक साथ अवस्थित कह सकते हैं। जहां दो शिरवाला खजूरको पेड़ खड़ा हो हो, तो तीन हाथ पश्चिम १०० फुट जमीन खोदने पर उसके पश्चिम १६ फुट नीचे जमीनमें जल रहता है। ईशानवाहिनो प्रचुर जलसे युक्त शिरा मिलेगी। यदि कनियार या सफेद फूलवाला ढाकका पेड़ रहे तो वेरवृक्ष पीलूवृक्षके साथ उत्पन्न होनेले तीन हाथ पूर्व तीन पुरुष नीचे जल मिलेगा। जिस मिट्टोमें उष्मा ११० फुट नीचे सारा जल रहता है। जहां ककुभ और अथवा धूम है वहां दो पुरुप नीचे जल तथा महाजल- करील अथवा ककुभ और विल्ववृक्ष एकत्र संयुक्त हो, प्रवाहयुक्ता शिरा भी है। जिस खेतको फसल नष्ट वहांसे दो हाथ पश्चिम पचीस पुरुष नीचे जल है, ऐसा अथवा स्निग्ध और अत्यन्त पीली हो जाती है उसके | जानना चाहिये। जहां वल्मीकके ऊपर पोली दुद और दो पुरुष नीचे महाशिरा रहती है। यदि पीलूक्षके उत्तर कुश उगे हों, वहां यदि कुआं खोदा जाय, तो १२० फुट वल्लीक रहे, वहाँसे पश्चिमकी ओर जल तथा ३० फुट | नीचे जल मिलेगा। जहां वल्मीकके ऊपर भूमिकदम्ब नीचे उत्तरगामिनी शिरा रहती है। खादते समय भौर दूध देखी जाय, वहांसे तीन हाथके फासले पर पहलो तहमें मेढ़क, फिर कपिल वर्णकी मिट्टी पचीसपुरुप नीचे जल पाया जाता है। जहां तीन चत्मोक' और पत्थर तथा उसके नीचे जल मिलेगा। यदि के मध्य कई तरहके वृक्षोंके साथ रोहितकवृक्ष रहे वहां १८ पोलूक वृक्षके पूरव वल्मीक रहे, तो वहांसे साढ़े पांच फुट नीचे जल है, ऐसा जानना चाहिये । जहाँ कई गांठ- हाथके फासले पर सात पुरुष नीचे जल है, ऐसा मालूम | वाला शमोवृक्ष हो और उसके उत्तर वल्मीक रहे, वहांसे होता है। खोदते समय पहली तहमें सित और असित पांच हाथके फासले पर पचास पुरुप नीचे जल है । एक वर्णयुक्त एक हाथका सांप और उसके नीचे खारा जल, स्थानमें यदि पांच वल्मीक रहे और वीचका वल्मीक पीला करीर वृक्षके उत्तर सांपका वास होनेसे उसके दक्षिण | दिखाई दे, तो वहां पचपन पुरुष नीचे शिरा मिलेगी। जल तथा पहली तहमें पीला वेंग रहता है। यदि रोहिः जहां पलाशके साथ शमीवृक्ष उगा हो वहां पश्चिमकी तक वृक्षके पश्चिम सर्पनिवास रहे तो उसके दक्षिण ओर साठ पुरुष नोचे जल रहता है। जमीन खोदते तोन हाथको दूरी पर ६२ फुट जमीन खोदनेसे क्षार- समय वहां सांप और वलुई पोली मिट्टी मिलेगी। जहां . समन्विता पश्चिमवाहिनी शिरा पाई जाती है। इन्द्र- श्वेत रोहितवृक्ष वल्मीक द्वारा परिवृत हो, वहांसे एक तरुके पूर्व वल्मोक दिखाई देनेसे उसके पश्चिम हाथ पूर्व सत्तर पुरुष परिमित जमीन खोदने पर जल हाथ भरको दूरी पर ८० फुट नीचे शिरा मिलती है। पाया जायगा। जहां कांटोंसे युक्त सफेद शमीपृक्ष ही, खोदते समय पहली तहमें कपिलवर्णका गोह नामक जंतु वहां थोड़ी दूर दक्षिण दो फुट नीचे जल रहता है, किन्तु मिलेगा। यदि सुवर्ण नामक वृक्षके वाम भागमें सपे- करीब डेढ़ फुट जमीन खोदने पर सांप मिलेगा। जामुन का विल रहे, तो दक्षिणको ओर दो हाथ हट कर पन्द्रह तथा निवृत्, मूर्वा, शिशुमारी, सारिवा, शिवा, श्यामा, पुरुष नीचे जल रहता है। खननकालमैं २ फुट नीचे | वीरुधी, वाराही, ज्योतिष्मतो, गरुड़वेगा, शूकरिका, माप-