पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/२६६

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मृत्तिकालवण -मृत्तिजतैल निम्नोक्त मन्त्रसे मृत्तिका अभिमन्त्रण करना आवश्यक । प्रकृतिमें अन्तर दीख पड़ता है। कठिनतम शिलाजतु है । मन्त्र इस प्रकार है- (Bitumen)-से तरल नापथा ( Haptha )-के वीच और "अश्वक्रान्ते रथक्रान्ते विश्णुक्रान्ते वसुन्धरे । भी अनेक पृथ्वीजात तैलकर पदार्थोंको उत्पत्ति होती है, उद्धृ तासि वराहेण कृष्णेनामितवाहुना ॥ उनमें मृत्तिजतैल ( Petroleum ) को मध्यम श्रेणी में रख मृत्तिके हर में पापं यन्मया पूर्वसञ्चितम् । सकते है। वर्ण और गठित पदार्थकी विषमताके अनु- मृत्तिका ब्रह्मदत्तासि प्रजया च धनेन च॥ सार इनके भेद निश्चित किये जाते हैं। विटुमेन या मृत्तिके त्वाञ्च गृह्णामि काश्यपेनाभिमन्त्रिताम् । शिलाजतुकी कठिनताके भेदोंके अनुसार उन पदार्थोके मृत्तिके जहि मे पापं यन्मया दुष्कृतं कृतम् ॥ भिन्न भिन्न नाम रखे जाते हैं। उनके आकरिक पिच त्वया हृतेन पापेन ब्रह्मलोकं व्रजाम्यहम् ॥" (अग्निपु०) । (Mineral Pitch ), श्रास्फाल्ट (Asphalte ) पिसस् मृत्तिकालवण (सं० पु० ) क्षारमृत्तिका, मिट्टीका लोना । फाल्टम् ( Pisasphaltum ) आदि नाम हैं। उनका पुराने धरोंकी मिट्टीकी दीवारों पर सीड़ होनेसे एक वर्ण अत्यन्त काला होता है। नापथा नामक एकदम प्रकारका नमक लग जाता है उसीको मृत्तिकालवण तरल तेलका वर्ण अपेक्षाकृत फीका होता है । किरोसिन्, कहते हैं। पाराफिन् आदि कोयलेके खनिज तेलकी तरलताके साथ मृत्तिकावती (सं० स्त्री०) नर्मदातीरस्थ प्राचीन नगरभेद ।। साथ वर्णमें भी अन्तर पड़ता है। पेट्रोलियम नामक ( भारत वनपर्व २५३१८) तेसियसने ( Ptesias jने इस पहाडका तेल ऊपर लिखे खनिज तेलकी अपेक्षा गाढ़ा नगरका मार्तिखोरा ( Martikhoras ) नामसे उल्लेख किया है। और लसलसा तथा उसका वर्ण हल्दीके जैसा कुछ मत्तिजतैल-भूगर्भनिःसृत तैलमेद, पृथ्वीके भोतरसे पीला होता है। निकला हुआ एक प्रकारका तेल ( Mineral oils), ____ उत्तर-भारतके अनेक स्थानों में, भासाम, बर्मा, वेल्लु- मिट्टोका तेल। भिन्न भिन्न देशमें इसका भिन्न भिन्न चिस्तान,. फारस; ककेसस्की पहाड़ीभूमि, जर्जिया, नाम है। दाक्षिणात्य-मट्टिकातैलम्, माटिकातैल; बंगाल- पिनसलभिनिया, भर्जिनिया, वेस्ट इण्डिज द्वीप, उत्तर अमेरिकाके अनेक स्थानों में विशेषतः यूनाइटेड् प्टेट्सके मेटतेल, नेपाल-काला शिलाजित् (शिलाजतु), कुमा- युन-शिलाजित् ( Bitumen); मराठी-मट्टिःचा-तेल, पेलिभोजाइक पर्वत, डान्यूव नदीके उत्तर मूभाग, गुजर-मट्टिनु-रेल ; तामिल-मन येन्नी, मानलम् । | इटली, वभेरिया, हनोवर, जाण्टे, खोजलैंड, इंगलैण्ड, तेलगू-मण्डितैलम्, भूमितैलम्, मण्डि-नूने ; कणाडो- फ्रान्स और चीनसाम्राज्यके भिन्न भिन्न स्थानमें यह तेल मुन्नुयान्ने ; मलय-मन तैलम् , वर्मा-ये-ना, येना, भूगर्भसे निकाला जाता है। येनान, संस्कृत-पृथ्वीतलम् ; अरबी-निफ्त, कामाल- शिलाजतु और मिट्टीके तेलका व्यवहार आयुर्वेदमें याहुद: फारसी-कामाल-याहुद: चीन-थि यु। दतलाया गया है। प्राचीन पाश्चात्य सभ्यसंसारमें भी जापान-केसोसेना-आवरा ; सुमात्रा-जापु, फ्रेंच- पहाड़ी तेल प्रचलित था। हिरोदोतस्ने जासिन्थस्- Petrole ; जर्मन--Stein-ol; अङ्गरेजी-Petroleum ( Zacynthus या Zante) के प्रस्रवणका उल्लेख किया या Rock-oill है। अरव और पारसी जातिके प्राचीन विवरणमें हिट- ___पहाड़ अथवा पहाड़ी-भूमिसे तेल जैसा एक गाढ़ा की तैल-निरिणीकी कथा लिखी है। ग्लिनि और पदार्थ निकलता है जिसे साधारणतः पहाड़का पसीना हाइओकोराइडिस्ने वत्ती जलानेके काममें आनेवाले कहते हैं। पहले यह वातादिकी पीड़ा दूर करनेके काम | जिस एग्रिगण्टस तेलका उल्लेख किया है, वह उस समय आता था परन्तु आजकल औपधमें इसका बहुत कम "सिसिलीय तेल के नामसे प्रचलित था। चीनराज्यके प्रयोग होता है । पृथ्वीके प्रायः सभी भागों में यह पहाड़ी प्राचीन कागजपत्रोमें पेट्रोलियमके प्रस्रवणका उल्लेख तेल पाया जाता है। स्थानभेदसे इसकी आकृति और पाया जाता है। मार्क पोलो और उसके पूर्वके परि-