पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/२६९

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२६६ मृशिजतेल विकोके लिये तेल प्रस्तुत किया जाता है। सबसे हलका । ५लिग्नोयिन्-यह तेल लियोयिन् या वंडर लैम्पमें और तरल तेल साधारणतः धूना, रजन आदिको गोला जलाया जाता है। करने में काम आता है। उससे भारी तेल लालटेनी ६ कृत्रिम तार्पिन तेल, पेट्रोलियम और पौलिशिंग , या टोम-शुआयलरमें कोयलेके स्थानमें जलाया जाता है। भोयाल-१२०.१७० वाष्पीय उत्तापर्स चुनाये जाते हैं। मूल मिट्टीके तेलके अंशविशेषसे जो गुथ्य चुभाये | आपेक्षिक गुरुत्व ०७४०-०७४५ है। तीसोतलयुक्त ( Distallates) जाते हैं, नीचे उनकी एक तालिका दी चानिसका गोला करने और मुद्राक्षर (Pinter's type) जाती है। को साफ करने में इसका व्यवहार देखा जाता है। १ रिगोलिन् । Rhigolene)-३० उत्तापसे खोलने ७ इलिमिनेटिंग ओयाल, पेद्रोलियम, केरोसिन, पारा. लगता है। इसे ( Boiling Point ) माता, मलनसे फिन भोयाल, रिफाइड पेट्रोलियम-दीप जलाने और संवेद-राहित्य ( Anaesthetic) उपस्थित होता है। शोतप्रधान देशोंके रक्षित उपवनों (green house)-को २ पेट्रोलियम इथर ( Petroleum Ether )- यह गरम रखनेके काममें इसका व्यवहार होता है । आपेक्षिक ,केरोसोलिन, रिगोलिन् या शेरवुड ओयाल नामसे गुरुत्व ६-७४ से ० ८१ है। खुले वरतनमें ज्वलनमाना प्रसिद्ध है। ४५ से ६० डिग्री उत्ताप दे कर चुभानेसे (Ilashing Point ) १०-११० फा०, दीपनमात्रा १२० १३० फा। घणहीन उत्तम तेल निकलता है। उसमे मिट्टी तेल ८लुत्रिकटिंग ओयाल-आपेक्षिक गुरुत्व ०-८५० की वहुत कम गंध रहती हैं। ५०-६० उत्तापमाला १। इसका वर्ण नैलस्फटिकके जैसा कुछ पीला और आपेक्षिक गुरुत्व -६६५ है। खुले स्थानमे रखनेसे होता है। दान, चरवी और सरसोंके तेलको लस- अक्सिजन निकल जाता और गुरुत्व ०.६७० से ० ६७१ मा करने के लिये यह मिलाया जाता है। कभी कभी हो जाता है और वह सहज ही जलने लगता है। इसे बात इसमें कठिन पाराफिन गी रहता है। रोगमें मलनेसे दर्द दूर होता है। तेल चुआने के बाद जो ( Residues ) वच रहता है ३ पेट्रोलियम इथर न०२-६० से ७० डिग्री उत्ताप उनसे प्रायः गैस नामक जलनेवाला पदार्थ बनाया से चुआने पर गेसोलिन और कानाडोल उत्पन्न होने जाता है। हैं। आपेक्षिक गुरुत्व -६६५, ७० से १० डिग्रो उत्ताप पहले ही लिखा जा चुका है कि केवल पेट्रोलियमको से भी चुआने पर यह तेल पाया जाता है। हो मत्तिनतेल नहीं कहते; किरोसिन ( Kerosine ) ४ पेट्रोलियम बेन्जिन्-७० से १२० के बीच चुआने कोयलेका खनिज तेल तथा शिलाजतु आदि अन्यान्य से प्राप्त होता है। इसका आपेक्षिक गुरुत्व -६८० से पार्वतीय तेल भी मुत्तिजतैलके अन्तर्गत हैं। किन्तु ०-७००० सुरासार (Alcohol) भी इससे गल जाता | शिलाजतु ताव्यवहार दूसरे प्रकारका है। इसलिये उसका है। यह ६० मे ८० उत्तापमें जल उठता है । आक्सिजन | विवरण अन्यत्र दिया गया है। शिलाजतु देखो। सोख फर गुरुत्व बढ़ाता है। चीं रवर, आस् फाल्ट विरोसिन और पेट्रोलियमके गुण, प्रकृति और और सान्टाइन डाल देनेसे गल जाता है। फोलोफोनि व्यनहार प्रायः एकसे हैं, इसलिये दोनोंका वर्णन यहां (धूना विशेष ), मटिक और डारम रेजिन सहज ही गल लिखा गया। इस देशके लोग सस्तापनके कारण दीपमें करासनतल ही अधिक जलाते हैं। उद्भिजल तैयार जाते हैं। खुजली आदि चर्मरेगि पर लगानेसे फायदा करने में परिश्रम और पैसे अधिक लगते है, लेकिन मिट्टीका मालूम होता है तथा उसके कीड़े नष्ट हो जाते हैं । पेटके तल फुप से पम्प द्वारा निकाल कर भी काम लाया जा शूालमें इसको खानेसे लाभ पहुंचता है। दीप जलाने, सकता है। शारीरतत्त्वका ज्ञान प्राप्त करनेके लिये मृतशरीरको रक्षा ____ सस्ता होनेके कारण और और तेलोंको अपेक्षा करने, तेल मलने तथा वार्निस और लैक्कर ( Iacclur'), मिट्टी के तलका व्यापार बढ़ता जाता है। नारियल और प्रस्तुत करने में ही इसका अधिक प्रयोग होता है। - अंडी तेलके कोमल प्रकाशके स्थानमें आजकल किरो-