पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/२९

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मुद्रातत्त्व (पाश्चात्य) • तरफ पल्लासका मस्तक है। किसी किसीमें नेमियन मोहर प्रलतत्त्वविदोंके मतसे पशियाखण्डकी मुद्राके सिंहके साथ युद्ध करनेको तैयार है। इन सब शिल्पोंमें | ढंग पर बनी हुई हैं। भेलियाको मोहरमें जो सिंहमूर्ति शिल्पियोंकी अप्रतिम निपुणता देखी जाती है। अङ्कित है उसमें भयङ्कर भावकी अपेक्षा सौन्दर्यको प्रधा- · · मेटापण्टम नगरकी मुद्रामें अनेक प्रकारके प्राकृतिक नता देखी जाती है। आइयोनियामें शिल्पियोंके हाथसे पदार्थोका चित्र देखा जाता है। किसीमें गेहूं के डंठल सिंहका विक्रम सौन्दर्यमें परिणत हो गया है । इटलोमें अङ्कित हैं। पहले इसके ऊपरी भागमें अनाजके सींक अडित सबसे पहले व्र टाइ लोगोंने ग्रीकमुद्रा प्रस्तुत की थी। रहती थीं, पोछे जव टारेण्टके अनुकरण पर इसके ऊपरी उनकी मोहरके एक भागमें पोसिदन-मूर्ति और दूसरे भागमें देवदेवियोंकी प्रतिमूर्ति चित्रित होने लगी, तब भागमें दरयावी घोड़े पर बैठे हुए आम्फिाइटको मूर्ति अनाजकी सी कोको निचले भाग पर स्थान दिया गया। अहित है। रौप्यमुद्रा पर पोसिदन और आम्फिब्राइटके देवदेवियोंके मध्य पार्सिफोन, कङ्कर्डिया और हाइजिया मस्तक दोनों ओर खोदे हुए हैं। कलोनियाकी मुद्रा पर प्रधान हैं। अलावा इसके नाना प्रकारके सुरम्य काल्प- तरह तरहके पौराणिक चित्र तथा हरिणको प्रतिमूर्ति निक चित्र भी भाकित देखे जाते हैं। है। इन सवसे ग्रीक-धर्मशास्त्रका बहुत कुछ रहस्य . प्राचीन साइवारिस नगर विलास-वैभवके लिये जाना गया है। इस मुद्रामें हरिणके वच्चेका सुन्दर बहुत प्रसिद्ध था। इस नगरकी अनेक प्रकारको विचित्र | नेत्र और चकित भाव देखनेसे शिल्पका यथेष्ट परिचय कारकार्ययुक्त मुद्दा आविष्कृत हुई है। ईसाजन्मसे ५१० पाया जाता है। क्रोटनको मुद्रामें त्रिशूलाडित राज- वर्ष पहले उक्तनगर कोटन द्वारा तहस नहस कर डाला | दण्डकी प्रतिमूर्ति तथा सम्मुखभगमें जियसका वाहन गया। पोछे वह स्थान भान्स-वासियोंका उपनिवेश- ईग लपक्षी है। किसी किसो मुद्राके एक भागमें हिरा- खरूप हो गया। ईसाजन्मसे ४४१ वर्ष पहले इसका क्लिस दिव्य-आसन पर और दूसरे भागमें विपद आसन नाम थुरियम था। इस देशके पेरिक्लिसके शासनकाल- पर पाइथन बैठे हुए हैं । त्रिपदके नोचेसे आपलो अलक्षित में बहुत सी आश्चर्य मोहरें आविष्कृत हुई हैं। प्रत्येक भावमें आपलो पाइथनके प्रति तोर फेंकने पर उद्यत हैं। मोहरके ऊपरी भाग पर पल्लासका मस्तक अंकित है। यह चिननैपुण्य देखनेसे विस्मयसागरमें गोता खाना. किन्तु इसका शिल्पसौन्दर्य मध्य-प्रीसके जैसा है। पड़ता है। फिर किसीमें पार्थिननके थिसि. पल्लासके मुकुटकी वनावट देखनेसे विस्मित होना पड़ता। यसको जैसी मूर्ति है, दूसरे भाग लासिनिया है। मुकुटके ऊपर सागरपिशाच सिल्ला (Seylla)- हीराकी प्रतिमूत्ति चित्रित है। लोकि नगरको पुरानी की मूर्ति चितित है। चित्रनैपुण्यकी पर्यालोचना करने- मोहर और रुपयेमें जो पौराणिक चित्र अङ्कित है आज से वह फिजियसका कल्पनाप्रसूत-सा प्रतीत होता है। तक उसका कोई तत्त्व आविष्कृत नहीं हुआ है। इसके पश्चाद्भागमें एक वप्रक्रीडापरायण वृषकी मूर्ति है। पश्चात् भागमें आइरिन अपूर्ण विलासभङ्गी पर तथा .फोसियाके उपनिवेश भेलिया-नगरमें विविध मुद्रा सम्मुख भागमें रोमा सिंहासन पर बैठे हुए है और पाई गई हैं। जब (५४४ ७० पू०) पराकान्त पारसिक | पिपिस उन्हें मुकुट पहना रहे हैं। इस विषयका ऐति- जातिने भेलियामें घेरा डाला, उस समय यहांके अधि हासिक निदर्शन आज तक अज्ञात है। पान्दोसिया वासी वैदेशिक पराधीनताको अस्वीकार कर हिस्पानिया नगरके रुपये और मोहरमें नगराधिष्ठालो अप्सरा आदि देशों में भाग गये थे। भेलिया नगरसे जो प्राचीन पाण्डिसाकी लावण्यमयो मूर्ति तथा दूसरे भागने रुपये और मोहर पाई गई हैं उनमें पशियाखण्डका प्रभाव क्राथिस नदीका उज्ज्वल दृश्य है । किसो लासिनिया दिखाई देता है। उनके एक तरफ एक सिंह अपना होराका और दूसरे भागमें पानकी प्रतिमूर्ति है । रेजियम कराल मुंह वाये हुए हरिणके वच्चेको निगलना चाहता| नगरकी मुहरें सामियान आदर्श पर वनो हैं। दुई है और दूसरी तरफ पल्लासको मूत्ति है। सिंहाङ्कित शासनकर्ता भानाक-जिलसने ई०सन ४६४-४७६ वर्षे पहले