पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/२९७

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२६४ पेचकवा-मेढ़ १४ कुन्दुरु। (त्रि०) १५ श्यामल, काला। | मेड़का (हिं० पु०) १ किसी गोल वस्तुका बना हुआ मेचकता (सं० स्त्रो०) श्यामता, कालापन । किनारा । २ किसी वस्तुका मंडलाकार ढाँचा। मेचाजाई (हिं० स्त्री० ) मे थकता देखो। मेडराना (हिं० कि० ) मँडराना देखो। मेचका (सं० स्त्री०) वनकार्पासी, बन कपास। मेड़रो ( हिं० स्त्री०) १ किसो गोल या मंडलाकार वस्तु. मेचकाञ्जन (सं० क्ली० ) कृष्णाजन, काला सुरमा । | का उभरा हुआ किनारा | २ मंडलाकार वस्तुका ढाँचा। मेज (हिं० स्त्री०) एक प्रकारको पहाड़ी घास। यह हिमा ३ चक्कोके चारों ओरका वह स्थान जहां आटा पिस कर लय पर ५००० फुटको ऊंचाई तक पाई जाती है। इसे गिरता है। घोड़े और चौपाए बड़े चावसे खाते हैं। | मेडल (810 पु०) चांदी, सोने आदिको वह विशेष प्रकार- मेज़ (फा० स्त्री०) लंबी चौड़ी चौकी जो बैठे हुए आदमीके | की मुद्रा जो कोई अच्छा या बड़ा काम करने अथवा सामने उस पर रख कर खाना खाने, लिखने पढ़ने या और विशेष निपुणता दिखाने पर किसीको दी जाय। इस कोई काम करनेके लिये रखी जाती है । पर देनेवालेका नाम खुदा रहता है तथा जिस वातके मेज़पोश (फा० पु०) चौकी या मेज पर विछानेका | लिये दिया जाता है उसका भी उल्लेख रहता है। कपड़ा। मेडिया (हिं० स्त्री० ) मण्डप, छोटा घर । मेजवान ( फा० पु० ) भोजन कराने या आतिथ्य कराने- | मेढ़क (हिं० पु० ) एक जलस्थलचारी जन्तु । यह तीन वाला, मेहमानदार। चार अंगुलसे लेकर एक बालिश्त तक लंबा होता है। मेजर ( अ० पु०) फौजका एक अफसर । यह पानोमें तैरता है और जमोन पर कूद कूद कर चलता मेजा (हिं० पु० ) मेंढ़क, मण्डूक । है। इसके चार पैर होते हैं जिनमें जालोदार पंजे होते मेट (अ० पु०) मजदूरोंका अफसर या सरदार, जमादार ।। हैं। यह फेफड़ोंसे श्वास लेता है, मछलियोंको तरह मेटनहार (हिं० पु० ) मिटानेवाला, दूर करनेवाला। गलफड़ोंसे नहीं । विशेष विवरण मगडूक शब्दमें देखो। मेटना (हिं० कि०) १ घिस कर साफ करना, मिटाना। मेढ़ा (हिं० पु० ) सींगवाला एक चौपाया। यह लगभग २ दूर करना, न रहने देना।३ नष्ट करना। डेढ़ हाथ ऊँचा और घने रोयोंसे ढका होता है। इसका मेटिया (हिं० स्त्री०) घड़े से छोटा मिट्टीका वरतन । इसमें ) रोयाँ जो बहुत मुलायम होता है ऊन कहलाता है। इसका दूध दही आदि रखा जाता है। माथा और सींग बहुत मजबूत होते हैं। ये आपसमें मेटी (हिं. स्त्रो०) मेटिया देखो। बड़े घेगसे लड़ते हैं, इससे बहुतसे शौकीन इन्हें लड़ाने- मेटुवा (हिं० स्त्री० ) मेटको देखो। के लिये पालते हैं। मादा भेड़ जितनी ही सीधी होती मेटवा (हिं० वि०) कृतघ्न, किये हुए उपकारको न मानने- | है, उतने हो मेढ़े क्रोधी होते हैं। विशेष विवरण मेष शब्दमें देखो। वाला। मेठ (सं० पु०) मेटति उन्मांद्यति मेट-अच, पृपोदरादि- मेढासिंगी (हिं० स्त्री०) एक झाड़ीदार लता । यह मध्यप्रदेश और दक्षिणके जंगलों में तथा बम्बईके आसपास बहुत त्वात् साधुः। हस्तिपक, हाथोवान। होती है। इसकी जड़ औषधके काम आती है और मेड़ (हिं० पु०) १ मिट्टी डाल कर बनाया हुआ खेत या सर्पका विष दूर करनेके लिये प्रसिद्ध है। इसकी जमीनका घेरा, छोटा बांध। २ दो खेतोंके वोचमें हद या सीमाके रूपमें बना हुआ रास्ता। ३ ऊंची लहर या| पत्तियाँ चवानेसे जीभ देर तक सुन्न रहती है। मेषशृङ्गी देखो। तरंग। मेड़वंदी (हिं० स्त्री०) १ मिट्टो डाल कर बनाया हुआ | मेढ़ी (हिं० स्त्री०) १ तीन लड़ियों में गूथी हुई चोटो : २ घोड़ोंके माथे परको एक भौंरी।। घेरा। २इस प्रकार घेरा बनानेकी क्रिया। । मेढ़ (सं० पु०) मेहत्यनेनेति मिहपसेचने ( दाम्नीशसयुयुवस्तु मेड़क (हिं० पु० ) मेढ़क देखो।