पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/३११

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

३०८. पेनाजा-मेरु सेवन तथा तम्बाकू और पान खाना निषिद्ध बताया। यह पत्ता वादशाहसे छोटा और, गुलामसे बड़ा माना है। यदि कोई मादक वस्तु चुरा कर खाय और वह जाता है । मालूम हो जाय, तो उसे प्राणदण्ड भी मिल सकता है। मेमदपुर-गुजरात प्रदेशके महोकान्थ विभागके अन्तर्गत हर एक आदमोको सिर मुंडवाना और टोपी पहना एक देशी सामन्तराज्य । यहांके सरदार वड़ोदाके उचित है। कोई भी पराई स्त्रीके साथ बातचीत नहीं| गायकवाड़को प्रतिवर्ष १८० रुपया कर देते हैं। कर सकता। स्त्रियाँ पहनावेके ऊपर गिना बुरका डाले मेमना (हि० पु० ) १ भेड़का वच्चा । २ घोड़े की एक वाहर नहीं निकल सकतीं। ऐसी कठोर धर्शनोतिका जाति । शिथिल प्रकृतिवाले मलयवासी पालन न कर सके; | मेमार ( अ० पु० । भवन निर्माण करनेवाला शिल्पी, इसी कारण यह इस्लाम-धर्म वहुत दूर तक फैलने न | इमारत बनानेवाला। पीया। पादरियोंको जनता अश्रद्धाकी दृष्टिने देखने लगे| मेमारो-बङ्गालके वर्द्धमान जिलान्तर्गत एक बड़ा गांव । जिससे धर्मप्राणताका हास हो गया। रेशमो धोती और साड़ीके व्यवसायके लिये यह स्थान इन धर्मप्रवर्तकोंने आगे चल कर कई युद्धोंमे विजय- वहुत कुछ मशहूर है। यहां इष्ट इण्डिया रेल कम्पनीको लाम किया और सुमात्राके मध्यदेशमे एक विस्तीर्ण एक ऐशन है। राज्य बसाया। ओलन्दाजोके साथ विवाद हो जानेसे मेमिप ( स० वि०) पलकशून्य दृष्टि, जिसकी आंखों पर दोनों पक्षमें घमसान लड़ाई छिड़ी। १८४० ई०में तीन | पलक न हो। वर्ण तक लगातार लड़ाईके वाद मुसलमान मलय लोगों-मम सी मेमोरियल ( पु०) १ वह प्राचीन पत्र जो किसी ने ओलन्दाजोंके निकट अपनी हार खीकार की। बड़े अधिकारोके पास विचारार्थ भेजा जाय। २ स्मारक चिह्न, यादगार। उपनिवेश शब्द देखो। मेय ( स० वि०) १ परिमाणाह, जिसकी नाप जोख हो मेनाजा (सं० स्त्री०) मेनायाः जायते इति जन-ड स्त्रियां सके। २ जो नापा जोखा जानेवाला हो । टाप् । पार्वती। मेरक (सं० पु०) १ विष्णुशत्रुभेद, एक असुर जिसे विष्णु. मेनाद (सं० पु० ) में इति नादोऽस्य । १ विडाल, विल्ली। ने मारा था। २ छाग, वकरा । ३ मयूर, मोर । मेरठी (हिं० पु०) गन्नेकी एक जाति जो मेरठकी ओर मेनाधव (सं० पु०) मेनायाः धवः। हिमालय । होती है। मेनि (सं० पु०) १ आयुध विशेष। | मेरवना (हि० कि० ) १ दो या कई वस्तुओंको एकमें (शतपथबा० १११२।७१२४) करना, मिलाना । २ संयोग कराना, मिलाप कराना । २वन। ३ वाग्वत्र। ४ शक्ति। मेरा ( हिं० सर्व०) 'मैं' के संबधकारकका रूप, मुझसे संवध रखनेवाला। मेनिला (सं० स्त्री०) राजकन्याभेद । मेराउ (हिं० पु० ) मेराव देखो। मेनुल (सं० पु०) गोत्रप्रवर्तक ऋषिभेद। मेराव (हिं० पु०) मिलाप, समागम । का (सं०स्त्रो०) मां शोभामिन्धयति प्रकाशयतातिर सर्व) मेराका स्त्री-रूप, (स्त्री०)२ अहङ्कार। इन्ध-णिच् ण्वुल टापि अत इत्वं । क्षपविशेष, मेंहदी। | हामेरु (संपु०) मि (मिपीभ्यां रुः । उप ४११०१) इति मेन्धी (सं० स्त्रो०) मां शोभामिन्धयतीति इन्ध-णिच्-अन् । १ एक पुराणोक्त पर्णत जो सोनेका कहा गया गौरादित्वात् ङो । क्षुपविशेष, मेहदी। है। पर्याय-सुमेरु, हेमाद्रि, रत्नसानु, सुरालय। भेम (सं० पु०) वौद्धके मतसे एक बड़ी संख्याका नाम। देवर्षिगन्धर्वयुतः प्रथमो मेरुरुच्यते । मेम ( स्त्री०) १ यूरोप या अमेरिका आदिकी स्त्री प्रागायतः स सौवर्ग उदयो नाम पर्वत।।" (मत्स्य पु० १२१८) २ ताशका एक पत्ता. इसे वीवी या रानी भी कहते हैं।