पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/३१४

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मेलकलवण-पेला . ३२१ देना उचित है। इससे शुभ और अशुभ जाना जाता है, | एक बड़े ग्रामकी आवहवा अच्छी है। वह समुद्रपृष्ठसे इसीसे इसका नाम मेलक हुआ है। ३७७७ फीट ऊंचा है। अलावा इसके दारणो, देवा मेलकलवण (सं० क्ली० ) मिलतीति मिल-ण्वुल, मेलकं | और वैरागढ़ प्राममें प्रति साल एक मेला लगता है। लवणम् । औषधलवण। । ___ यहांके अधिवासी असभ्ध पहाड़ी हैं। उनमें ककु मेलगिरि-मान्द्राज प्रदेशके सालेम जिलान्तर्गत एक जातिको ही संख्या अधिक है। वे लोग कोलारिया शाखासे गिरिश्रेणी । यह अक्षा० १२ १० से १२३ उ० निकले हैं और हिमालयके उत्तर पूर्व पथ हो कर भारतमें तथा देशा० ७७ ३८ से ७८२ पू०के मध्य विस्तृत घुस गये हैं। ये महादेव और दूसरे दूसरे हिन्दू-देव- है। यह अधित्यकाभूमि साधारणतः ३५०० फुट ऊंची देवीकी पूजा करते हैं। अलावा इसके मृत पिता माता है। इसका सबसे ऊंचा शिखर पोनासिहेटा ४६६६ फुट आदि पूर्वपुरुषकी भी पूजा करते हैं तथा उनके लिये ऊंचा है। यहां मलयाली नामक दुई पहाड़ी जाति फुलजागनी उत्सव मनाते हैं। ये कुसंस्कारावद्ध तथा रहती है । पहाड़ी जंगल-भागमें वांस और चन्दनके पेड़ भूतप्रेतादि देवताओं पर विश्वास करते हैं। किसी देखे जाते हैं। पीनेके जलका अभाव होने के कारण यह | मरने पर ये कब्रिस्तानमें एक सागोनका तस्ता गाड़ स्थान बड़ा ही अस्वास्थ्यप्रद हो गया है। . मेलघाट-मध्यभारतके वरारराज्यके इलिचपुर जिला- ककु जब दरार आया तब यहां नेहाल जातिका न्तर्गत एक पहाड़ी विभाग और तालुक। यह अक्षा० आधिपत्य था। क्रमशः वह वलहीन हो कर स्वस्थान- २११० से ले कर २१४७ उ० तथा देशा० ७६३४ भ्रष्ट हो गया है तथा ककुंने उसके स्थान पर अधिकार से ले कर ७७°४० पू०के मध्य अवस्थित है। इसके कर लिया है। अभी नेहालगण अपनी भाषा तक छोड़ उत्तरमें मध्यप्रदेश और ताप्ती नदी, पूर्वमें ताप्ती और कर कद्दु जातिको भाषा बोलने लगे हैं। यही दो जातियां निमारी, दक्षिणमें इलिवपुर तालुक तथा पश्विममें मध्य- परस्पर सद्भावसूत्र में आवद्ध हैं। ये एक साथ बैठ कर प्रदेश है। भूपरिमाण १६३१ वर्गमील है। धूमपान करते हैं। ये दोनों ही कृपिजीवी हैं; कोई कोई ___ यह पर्वतश्रेणी सतपुराको एक शाखा है और पूर्व- पश्चिममें विस्तृत है। वैराड़ो पास यह समुद्रतलसे चोरो कर अपना गुजारा चलाते हैं। ३९८७ फीट ऊंची है और ताप्ती उपत्यकासे आ कर मेलन (सं० क्ली०) १ मिलन, एक साथ होना, इकट्ठा मिली है। होना।२ जमावड़ा । ३ मिलानेकी क्रिया या भाव। ४ पहाड़के पूवमें मल्लाना, पश्चिममें दुलघाट और वालागांवके पूर्वमें अवस्थित एक पुराना गांव । चिन्धारा नामके वहुतले गिरिपथ हैं। पार्वतीय वनमाग मेलपवुर-मद्रास प्रदेशके तिन्नेवल्ली जिलान्तर्गत एक गवर्नमेण्टको देखभालमें है। इन्हीं पोंसे वनजात नाना नगर। प्रकारकी वस्तु विकनेके लिये समतल क्षेत्रमें भेजी | मेलपलैयम्-मद्रासप्रदेशके तिन्नेवल्ली जिलान्तर्गत एक जाती है। नगर । यह तिन्नेवल्ली नगरसे डेढ़ कोसको दूरी पर ____ इस पर्वतसे वहुत-सी छोटी छोटी नदियां निकली | अवस्थित है। है जिनमें से ताप्ती नदीको पूर्णा और झिपना शाखा ही मेलमल्लार (सं० पु०) एक रागिनी जिसकी स्वरलिपि उल्लेखनीय हैं। गर्मी में अधिकांश नदियां सूख । इस प्रकार है । स स स रेप ध स स ध प म ग रे स। जाती हैं। | मेला (सं० स्त्री०) मिल-णिच, अङ् राप्। १ मेलक, मेलघाट पर्वत पर एक भी नगर नहीं है। गाविल- मिलन ।२ वहुतसे लोगोंका जमावड़ा । ३ मसि, रोश- गढ़ और नर्णाला नामक दो प्राचीन दुर्ग महाराष्ट्र केशरी | नाई । ४ अञ्चन । ५ महानीली (राजनि०) . शिवाजीके अभ्युदयकालसे ही प्रसिद्ध है । चिकालदा नामक मेला ( हिं० पु० ) १ वहुत-से लोगोंका जमावड़ा, भोड़ .